राम नाम महामंत्र है, प्रभु का पावन मंत्र है ।इस मंत्र को भगवान शिव भी जपते हैं ।राम-नाम का जप करने में अमृत सा स्वाद है और यही स्वाद मोक्ष रूपी परिणाम प्रकट करता है।जिह्वा से राम नाम का उच्चारण होते ही जीवन का परिदृश्य बदल जाता है, जीवन के बाहरी और भीतरी क्षेत्र में प्रकाश ही प्रकाश भर उठता है।राम नाम के उच्चारण से शरीर और मन दोनों ज्योतिर्मय होने लगते हैं ।
राम -नाम का उच्चारण जीभ से होता है, देह से होता है, स्वरों से होता है परन्तु उसमें लीन होते हैं-- प्राण और मन। राम-नाम के उच्चारण से मन रूपांतरित होने लगता है और हृदय के द्वार खुलने लगते हैं ।राम- नाम नेत्र है अर्थात बोध कराने वाला है, अनुभव प्रदान करने वाला है।जिस ज्ञान से राम न दिखे , राम की अनुभूति न हो , जिस ज्ञान से परमात्मा साक्षात और साकार न हो , वह ज्ञान निरर्थक है।राम ज्ञान का नेत्र है इसलिए हमें भटकने से बचाता है, हमारे जीवन को सही राह दिखाता है।राम नाम के द्वारा हम परमात्मा से साक्षात्कार कर सकते हैं ।
राम-नाम अनमोल रतन है , जप लो इसको प्राणी।
ऋषि मुनि सब जपते इसको, है ये अमृत वाणी ।।
राम नाम भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।राम नाम के बिना हम अधूरे भारतीय हैं ।राम- नाम के दो अक्षर मधुर हैं, मनोहर हैं ।मधुरता जिह्वा का स्वाद होती है और मनोहरता , मन की लीनता।जीवन में राम नाम से अधिक और कुछ नहीं है।राम-नाम में स्वाद है, अमृत है , इसमें तृप्ति, तुष्टि, सुगति और मोक्ष भी है।राम नाम से जो तरंगें एवं लहरें उठती हैं वे अत्यन्त आनन्ददायी होती हैं ।
राम-नाम भक्त और भगवान के बीच का सेतु है, दोनों को जोड़ता है।प्रभु से जुड़ाव के मिलन का यह आनंद होता है और इससे जो प्रसन्नता होती है , यही तो परम मोक्ष है।राम नाम किसी भी अवस्था में जपा जाए इसका परिणाम सदा सुखद ही होता है ; क्योंकि राम-नाम सार्वजनिक एवं सर्वकालिक है।इसे कोई कहीं मी , किसी भी समय में जप सकता है।इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं---
भायँ कुभायँ अनख आलसहूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ।।
राम- नाम रूपी महामंत्र पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है ।अन्य मंत्रों के लिए तिथि, मुहूर्त, घड़ी, स्थान एवं काल आदि निर्धारित होते हैं ।राम-नाम सभी का मंत्र है। राम नाम के जप से सम्पूर्ण ज्ञान प्रकट हो जाता है।
राम नाम की ज्योति जलाकर, जीवन को चमकाओ।
राम नाम जप करो निरन्तर, परम धाम को पाओ ।।
राम-नाम जिस वर्णमाला से लिखा जाता है, वह उसकी देह है।वर्णमाला देह है और राम-नाम उसके नेत्र हैं ।सारा ज्ञान वर्णमाला में ही समाहित होता है।वर्णमाला के बिना हम आपने ज्ञान को अभिव्यक्त नहीं कर सकते, अपने ज्ञान को आकार नहीं दे सकते।
तुलसीदास जी कहते हैं कि ' बरन विलोचन ' ।वरन् अर्थात वर्णमाला और लोचन अर्थात नेत्र ।राम- नाम वर्णमाला के नेत्र हैं ।
<<<<<<< महामंत्र " राम-नाम" से मोक्ष प्राप्ति >>>>>>>>
राम-नाम के जप से जन्म-जन्मांतर की सारी गाँठें खुल जाती हैं ।ये गाँठें हमने अपने कर्मो के कारण ही बाँध रखी हैं ।शरीर से प्राण का जुड़ाव है, प्राण से मन जुड़ा है और मन से जीवात्मा जुड़ी है।शरीर में बड़ी सूक्ष्म ग्रन्थियाँ हैं ।ये ग्रन्थियाँ खुलते ही मनुष्य जीवनमुक्त होने लगता है।राम- नाम के निरन्तर जप से इन ग्रन्थियों का भेदन होता है।राम-नाम ऐसी कुंजी है, जो सभी ग्रन्थियों का भेदन करती है।
मुख्य रूप से तीन सूक्ष्म ग्रन्थियाँ होती हैं-- ब्रह्म ग्रन्थि, रुद्र ग्रन्थि, और विष्णु ग्रन्थि।इन ग्रन्थियों का भेदन करके जीवन्मुक्त अवस्था प्राप्त की जा सकती है ।जीवन्मुक्त अवस्था के बारे में उपनिषद् का मंत्र कहता है---
भिद्यते हृदयग्रन्थिश्छिद्यन्ते सर्वसंशया ।
क्षीयन्ते चास्य कर्माणि तस्मिन् दृष्टे परावरे ।।--- मुंड.2/2/8
अर्थात अंत में हृदय की गाँठ खुल जाती है और जीवात्मा मुक्त हो जाती है।राम-नाम के जप से ऐसा दिव्य प्रकाश उत्पन्न होता है कि
मन में कोई संशय नहीं रहता।और न ही कोई प्रश्न उठता है।राम-नाम के जप से कर्म का अंधकार मिट जाता है और फिर कुछ भी जानना शेष नहीं रह जाता है।
राम नाम है मुक्ति दाता , भव से पार कराए ।
इसके बिना कोई न जग में, सुख शान्ति को पाए ।।
🕉राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्त्र नाम ततुल्यम श्री राम नाम वरानने🕉
ReplyDeleteआपको सादर धन्यवाद
ReplyDeleteजय श्री सीता राम