वैसे तो जीवन में पग-पग पर परीक्षाएँ होती हैं लेकिन विद्याध्ययन के समय में विद्यार्थियों की परीक्षाएँ चुनौती भरी होती हैं, जिनमें विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होना होता है।कम समय और पाठ्यक्रम ज्यादा होने पर परीक्षा के समय बच्चों में तनाव बढ़ता है।
जैसे-जैसे बच्चों की परीक्षाओं के दिन नजदीक आते हैं, बच्चों में घबराहट शुरू हो जाती है और वे अधिक पढ़ने लगते हैं, दिन रात इसके लिए एक कर देते हैं और परीक्षा की तैयारी के लिए कम समय रह जाता है तो रटने की कोशिश करते हैं ।बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी उतने परेशान होते हैं जितने कि बच्चे ।ऐसा लगता है मानो अभिभावकों की परीक्षा है।
परीक्षा की तैयारी के बारे में जानने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि परीक्षा का उद्देश्य (मकसद) क्या है ?
1 क्या परीक्षा का मकसद अधिक से अधिक नंबर पाना है ?
2 किसी विषय पर बच्चे के ज्ञान की परीक्षा है ?
3 क्या परीक्षा में असफल होने वाला बच्चा, जीवन में कहीं और सफल नहीं हो सकता ?
4 क्या अधिक अंक ही बच्चे के सम्पूर्ण ज्ञान की निशानी हैं ?
5 ऐसा क्या करें जिससे परीक्षा में तनाव न हो ?
6 क्या परीक्षा जीवन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ?
ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिन पर हमारी सामाजिक व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था, दोनों को सोचने की जरूरत है ।
आज की शैक्षणिक व्यवस्था के अनुसार बच्चों को परीक्षाएँ तो देनी ही होती हैं और पास होने के लिए पूरा प्रयास करना भी जरूरी होता है। इसलिए सबसे पहले अभिभावकों को यह समझना होगा कि परीक्षाओं में बच्चे तनाव में न रहें। बच्चों को तनाव से बचाने के लिए परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत दबाव न बनाएँ, बल्कि उसकी तैयारी में सहयोग देकर उनका आत्मविश्वास बढाएँ , उसे मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करें और मनोबल बढाएँ ।
<<<<<<परीक्षा की मुश्किल घड़ियाँ कैसे सरल करें >>>>>>>
परीक्षा की तैयारी तभी ज्यादा सही और सार्थक होती है , जब विषय को पहले से पढ़ा गया हो, उसके नोट्स बनाए गए हों और उसके बारे में सही समझ हो।इसलिए पहले यह निर्धारित कर लें कि परीक्षा के लिए कितने विषय और कितनी विषय सामग्री को तैयार करना है।इसके लिए जरूरी है कि परीक्षा के काफी दिनों पहले ही तैयारी करवाना शुरु कर दें।कुछ अभिभावक पूरे वर्ष बच्चों को हर विषय की पढ़ाई पर नियमित ध्यान देते हैं, जिससे
उनके बच्चों को परीक्षा के दिनों में तनाव नहीं होता।
परीक्षा के दिनों में बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखें, ताकि बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे ।सूखे मेवे जैसे अखरोट ,भीगे हुए बादाम का सेवन बच्चों के दिमाग़ को स्वस्थ व तेज बनाता है।
पर्याप्त मात्रा में बच्चे पानी पिएँ ।पोषकतत्वों से युक्त भोजन बच्चे को स्वस्थ व सक्रिय करने में मदद करता है ।बच्चों की नींद भी पूरी होती रहे।
परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चों को प्रश्नों के उत्तर लिखकर याद करने की कला सीखनी चाहिए।लिखकर याद करने से व प्रमुख बिन्दुओं को लिखने से विषय अच्छी तरह समझ में आता है।इस तरह लिखने का अभ्यास भी होता है और प्रश्नों का जबाब देना सरल हो जाता है ।
जितना भी बच्चे पढें उसको अच्छी तरह से समझकर पढें ।यदि विषय अच्छी तरह से समझ में आ जाए तो वे अपनी भाषा में भी लिख लेते हैं इससे उनकी मौलिकता में वृद्धि होती है जो आगे चलकर बड़ी क्लासों में काम आती है।
परीक्षा के समय जो उत्तर बच्चों को पता हैं उन्हें पहले लिखें और जिनके उत्तर पूरी तरह नहीं पता हों उनको बाद में करें ।उत्तर लिखते समय प्रश्न क्रमांक का नम्बर अवश्य डालें ।अपने उत्तर बिंदुवार लिखें और महत्वपूर्ण शब्दों को बोल्ड करें ।
परीक्षा के विद्यार्थी सजगता व सावधानी रखें ताकि प्रश्नों को ठीक तरह समझा जा सके और उत्तर देते समय मन में कोई दुविधा न हो। यदि लिखने का तरीका सही हो , भाषा स्पष्ट हो, सही शब्दों का उपयोग हो , व्याकरण अशुद्धि न हों तो लिखे गए उत्तरों से कोई भी परीक्षक प्रभावित हो सकता है और वह अच्छे अंक दे सकता है।
इन सभी बातों पर विचार करते हुए हमें अपने बच्चों की तैयारी में सहयोग करना चाहिए जिससे बच्चे तनाव से बचे रहें और प्रसन्न मन से परीक्षाएँ देकर सफलता हासिल करें ।सभी अभिभावकों को यह भी सोचना चाहिए कि सभी बच्चों की ग्रहणशक्ति एक जैसी नहीं होती इसलिए बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना न करें, हर परिस्थिति में उन्हें सकारात्मक सोचने को प्रेरित करें ।हर विद्यार्थी परमेश्वर की अनुपम कृति है।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
No comments:
Post a Comment