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Saturday, February 8, 2020

स्वास्थ्य ही परम धन है -- आधुनिक आहार ( फास्टफूड और जंक फूड) का अधिक सेवन नुकसानदायक

  <<<<<<  स्वास्थ्य ही परम धन है  >>>>>>

" स्वास्थ्य ही परम धन है "  यह उक्ति पूर्णरूपेण सत्य है ; क्योंकि स्वास्थ्य ही सुखी , संतुलित एवं सफल जीवन का आधार है ।जीवन के चारों पुरुषार्थ-- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष स्वास्थ्य के बल पर ही संभव हैं ।स्वास्थ्य वेष कीमती है, बहुमूल्य है।जीवन का कोई भी सुख उत्तम स्वास्थ्य के बिना नहीं उठाया जा सकता ।

 " खाना जितना सादा, स्वास्थ्य लाभ उतना ज्यादा "

स्वास्थ्य होगा तो ही जीवन में सुख, समृद्धि एवं वैभव का आनन्द उठाया जा सकता है।इस सत्य और तथ्य को जानते हुए भी अक्सर बहुसंख्यक लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति घोर लापरवाही बरतते हैं, स्वास्थ्य की अनदेखी, उपेक्षा और अवहेलना करते हैं ।हमारी खान-पान के प्रति लापरवाही कालांतर में रोगों के रूप में सामने आती है।स्वास्थ्य की उपेक्षा अनगिनत बीमारियों को जन्म देती है और जीवन रोगों का घर बन जाता है।

 आज जितने शारीरिक रोग बढ़ रहे हैं उनमें अधिकांश विकृत जीवन शैली और विकृत खान-पान की ही देन हैं ।मधुमेह, उक्त रक्तचाप, हृदयाघात, मोटापा जैसे रोग तो आज आम हो गए हैं ।

स्वास्थ्य की अनदेखी करने के पीछे अनेक तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं ।कोई व्यस्तता को स्वास्थ्य की अनदेखी का कारण बताता है तो कोई परिस्थितियों का बहाना बनाता है।कोई कहता है कि-- हमें समय नहीं मिलता , समय मिलने पर कुछ भी खा लेते हैं । किसी-किसी को सादा भोजन नहीं अच्छा लगता उन्हें सदा चटपटा स्वादिष्ट भोजन ही चाहिए ।

आजकल स्कूलों और कॉलेजों की कैन्टीनों में भी फास्टफूड और जंक फूड ही ज्यादा मिलते हैं ।आजकल हमारे देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या में भी वृद्धि हो रही है ।परिणाम स्वरूप कुछ   महिलाएँ अक्सर ही  घर पर खाना न बनाके बाहर से फास्टफूड आदि मँगाकर बच्चों को खिलाती हैं ।हमारे देश में आजकल फास्टफूड की अनेक दुकानें खुलती चली जा रही हैं ।अब तो गाँवों में भी फास्टफूड का प्रचलन बढ़ रहा है।
 
<<<फास्टफूड व जंकफूड का अधिक सेवन नुकसानदायक>>>

आजकल रोगों में वृद्धि के अनेक कारण हैं उनमें से एक है -          आधुनिक आहार ( फास्टफूड और जंक फूड) का अधिक सेवन। यदि कभी-कभी स्वाद बदलने के लिए हम फास्ट फूड या जंक फूड का सेवन करें, तो इतना नुकसान दायक नहीं होगा लेकिन यदि हम इन्हें अपना नियमित आहार बना लें या इन फास्टफूड या जंकफूड का अधिक उपयोग करें तो इनके दीर्घकालिक दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं ।

उचित मात्रा एवं अनुकूल भोजन का गुण फास्टफूड में नहीं होता ।जैव विविधता वाले अपने देश में फास्टफूड का प्रचलन कहीं भी शुभ नहीं है ।पश्चिमी अंधानुकरण से हम पाश्चात्य भोजन को अपनाकर अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं ।हम जो खाद्य या पेय पदार्थ ग्रहण कर रहे हैं, उनसे होने वाले असर का भी हमें खयाल करना चाहिए ।अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाना हो बिल्कुल सादा, पौष्टिक और संतुलित ।

                            जंक फूड उन्हें कहते हैं, जो व्यावसायिक होते हैं व जिनमें पोषक तत्व न्यून (कम) होते हैं ।डाॅक्टर एंड्रयू स्मिथ ने इनसाइक्लोपीडिया ऑफ जंक फूड एंड फास्ट फूड में इन आहारों का विस्तृत वर्णन किया है ।
 
आजकल बच्चे व बड़े सभी आयु वर्ग के लोगों में फास्टफूड के प्रति आकर्षण बढ़ा है।हम जिसे फास्टफूड कहते हैं, उसके स्वाद को बढ़ाने के लिए, चटपटा एवं तीखापन लाने के लिए तरह-तरह के रसायनों का भरपूर प्रयोग किया जाता है । अधिकांश फास्टफूड मैदा से ही निर्मित होते हैं और अधिक मैदा का भी प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। 

जिह्वा के स्वाद के लिए तरह-तरह के उपक्रम किए जाते हैं ।इसमें पोषक तत्वों की कमी रहती है तथा वसा और सोडियम की मात्रा अधिक होती है।फास्ट फूड  शारीरिक वजन में वृद्धि, मोटा, डायबिटीज , हृदयरोग आदि का कारण बन सकता है ।फास्ट फूड के अधिक सेवन से -- अनिद्रा , तनाव, चिंता आदि भी होते हैं ।

केनेडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हैल्थ के अनुसार फास्ट फूड स्वास्थ्य को बढ़ाने में कुछ सहयोग नहीं करता।फास्ट फूड में सोडियम की मात्रा अधिक होती है,जिसको ग्रहण करने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और प्यास लगती है प्यास लगने पर कुछ लोग कोकाकोला जैसे एसिड से युक्त पेय पदार्थों को ग्रहण करते हैं और दोनों ( फास्टफूड और कोकाकोला) का सम्मिलित उपभोग अनेक रोगों को जन्म देता है।इनसे किडनी सम्बंधित रोग और हाई ब्लडप्रेशर का खतरा भी बढ़ जाता है, हाई कोलेस्ट्रॉल से हृदय रोग की सम्भावना भी बढ़ जाती है।

                     फास्ट फूड का बच्चों को ज्यादा शौक होता है।पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन के अनुसार अधिक बेकरी प्रोडक्ट जैसे-- पिज्जा, हैंबबर्गर , हाॅटडाॅग्स आदि का अत्यधिक सेवन नुकसानदायक है।जंक फूड के अति अधिक सेवन से मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के बीच साइनेप्सेस प्रभावित होते हैं, जिससे स्मरण शक्ति घट सकती है और सीखने की प्रवृत्ति में भी कमी आती है।इस भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जिससे रक्त में शर्करा बढ़ जाती है और त्वचा में भी विविध रोग होने लगते हैं , जैसे-- त्वचा में चकते पड़ना, खुजली होना आदि।

 यूनिवर्सिटी ऑफ बर्कले , कैलिफोर्निया में 2009  में किए गए एक शोध के अनुसार--- जो व्यक्ति सप्ताह में दो से अधिक बार फास्टफूड का सेवन करते हैं उन्हें मोटापा होने की संभावना बढ़ जाती है ।आगे चलकर मोटापा कई बीमारियों को जन्म देता है।

चिकित्सकों के अनुसार-- फास्टफूड के निरंतर सेवन से डायबिटीज होने की संभावना रहती है।एक आंकड़े के अनुसार सन्  1980 में पूरे विश्व में 15.30 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित थे ,जिनकी संख्या सन्  2011 में दोगुनी होकर 35 करोड़ हो गई ।इस बढोत्तरी का मुख्य कारण है-- स्वाद पूर्ति के लिए कुपोषित एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करना।

आज के समय में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और खाद्य सामग्री पहले जैसी शुद्ध नहीं-- ऐसे वातावरण में और भी ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरुरत है ।

                        हमारे देश के अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व पोषक तत्वों  से भरपूर पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं ।इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए अपने पारंपरिक भोजन की ओर लौटना चाहिए ।

                   बच्चे खुद अपने स्वास्थ्य और सेहत के प्रति सजग नहीं हो सकते और न ही वे खान- पान की गलत आदतों के खतरे समझ सकते हैं इसलिए हमें बच्चों के आहार में शुरू से ही सब फलों का समावेश करना चाहिए । छोटे बच्चों को भी शुरू से ही घर पर अपने हाथों से बने हुए भोजन की आदत डालें ,जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा बने ; क्योंकि उत्तम स्वास्थ्य जीवन के विकास का प्रथम सोपान है। 
 "जिसको हो परिवार की सेहत से प्यार , 
               वह भला भोजन बनाने से क्यों इन्कार "

सभी स्वास्थ्यप्रद भोजन ग्रहण करके सुखी और समृद्ध बनें, यही शुभकामना ।
     " स्वास्थ्य ही परम धन है "  और  "पहला सुख निरोगी काया" 
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।


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