वायु प्रदूषण आज विश्व की एक ज्वलंत समस्या है।जीवित रहने के लिए श्वास लेना अनिवार्य प्रक्रिया है और यदि श्वास लेने वाली वायु में जहर घुला हो तो यह जीवन के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है।दुनिया में बढ़ता हुआ वायु-प्रदूषण कई तरह से स्वास्थ्य संबन्धी चुनौतियों को प्रस्तुत कर रहा है।वायु में घुलता जहर आज हमारे जीवन में तरह-तरह की बीमारियों के रूप में संकट के बादल लेकर आ गया है।
आज देश के छोटे बड़े अधिकांश शहरों में वायुप्रदूषण के कारण लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता चला जा रहा है।हम सोचते हैं कि हम विकास कर रहे हैं लेकिन सच तो यह है इसी विकास के कारण ही हवा ज्यादा प्रदूषित होती चली जा रही है।आज प्रदूषण फैलाने वाले लोग अपने त्वरित लाभ को हासिल करने के लिए अन्य लोगों को परेशानियों में डाल रहे हैं ।
चिकित्सकीय पत्रिका ' दि लेंसेट ' के अनुसार हर साल वायुप्रदूषण से उत्पन्न बीमारियों से 10 लाख से ज्यादा भारतीयों की मृत्यु हो जाती है।दुनिया के सबसे प्रदूषित 100 शहरों में 13 शहर भारत में हैं । "विश्व स्वास्थ्य संग़ठन" की एक रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रतिशत लकवे तथा 19 प्रतिशत कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों की बीमारियों के पीछे पर्यावरण प्रदूषण ही मुख्य कारण है।
एक शोध के अनुसार वायुप्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के जो भी कारण हैं वे परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं ।वायु प्रदूषण सभी प्रकार के प्रदूषणों में घातक बनकर उभरा है।एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण से मनुष्य में गुर्दे की बीमारियों की संभावना बढ़ सकती है।वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण के लिए हर तरह से नुकसान दायक है।
2 <<<<<< वायु प्रदूषण के कारण >>>>>>
1 - वायु - प्रदूषण बढाने में सबसे अहम् भूमिका है - यातायात में प्रयोग होने वाले डीजल पैट्रोल से चलने वाले वाहनों की ।जैसे -जैसे जनसँख्या वृद्धि हो रही है वैसे ही वैसे सभी प्रकार के वाहनों में भी वृद्धि हो रही है।वाहनों से निकलने वाला धुँआ वातावरण में घुलकर हवा को अशुद्ध कर रहा है।सड़कों पर प्रतिदिन दौड़ते लाखों वाहनों से हर रोज काॅर्बन-मोनोऑक्साइड , हाइड्रोकार्बन,
नाइट्रोजन ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, सल्फर डाइऑक्साइड और दूसरे कण निकल रहे हैं ।
पिछले पन्द्रह वर्षों में दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में निजी वाहनों की संख्या में 82 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।वैज्ञानिकों के अनुसार, इन गाड़ियों से निकलने वाले धुँए का लगभग 99.4 प्रतिशत हिस्सा वातावरण में घुलकर अदृश्य रहता है।इनमें से हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड सूर्य के प्रकाश और उच्च तापक्रम से क्रिया करके ग्राउंड लेवल ओजोन का निर्माण करते हैं ।यह ग्राउंड लेवल ओजोन साँस की बीमारियाँ पैदा करता है और फेफड़ों को भी नुकसान पहुँचाता है।
2 - वायु प्रदूषण का दूसरा मुख्य कारण औद्योगिक कारखाने हैं; क्योंकि कारखानों के द्वारा जहरीली गैसें छोड़ी जाती हैं ।इन कारखानों से लाभ तो उद्योग पतियों को अथवा अन्य प्रभावी वर्ग को होता है लेकिन कई गुना नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है ।
3 - वायु प्रदूषण का तीसरा कारण भवन निर्माण ( बिल्डिंग कन्सट्रक्शन) भी है । इसमें अत्यधिक मात्रा में पत्थरों की कटाई आदि के कारण धूल उड़ती है जो हवा में मिलकर हवा को प्रदूषित करती है। भवन निर्माण से लाभ तो बिल्डरों को होता है लेकिन हानि लाखों परिवारों को होती है।जैसा कि सभी जानते हैं शहरों में अनेक बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कार्य निरंतर चलता ही रहता है।
4 - वायु प्रदूषण का एक कारण कोयला आधारित बिजली प्लांट भी है।इसके द्वारा काॅर्बन डाइऑक्साइड के साथ- साथ सल्फर तथा नाइट्रोजन के हानिकारक रसायन वायु में छोड़े जाते हैं ।ये रसायन भी हवा को प्रदूषित करते हैं ।
5 - वायु प्रदूषण का एक कारण खेतों में जलाई जाने वाली पराली है।किसानों द्वारा धान की बाल को ऊपर से काट लिया जाता है ।शेष पराली को खेत में ही जला दिया जाता है; क्योंकि इसका दूसरा कोई लाभप्रद उपयोग नहीं है। विगत दिनों दिल्ली एवं हरियाणा में स्मोग के रूप में कुख्यात हुआ वायु-प्रदूषण इसी पराली के जलाने से उत्पन्न हुआ था।
6 - हमारे देश में विवाहोत्सवों व दीपावली पर जलाए जाने वाले पटाखे भी वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं ।पटाखों से उत्सर्जित होने वाली गैसें तथा धातु के कण बड़े जहरीले होते हैं पटाखों में मुख्यतः पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और सल्फर भरा जाता है।पटाखों की रोशनी को अधिक चमकीला तथा असरदार बनाने के लिए उसमें एल्युमिनियम, मैग्नीशियम,स्ट्रान्शियम, सोडियम, ताँबा, बेरियम जैसे धातु तत्व भी मिलाए जाते हैं ।पटाखे चलाने पर ये धातु कणों के रूप में हवा में बिखर जाते हैं और हमारी साँसों के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं ।
अलग-अलग देशों में वायुप्रदूषण के अलग-अलग कारण हैं ।चीन में इसका कारण कोयला जलाने से निकलने वाले महीन कण हैं ।हमारे देश में खाना बनाने में गीली लकड़ी, खरपतवार और दूसरी चीजों को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।यूरोप, ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे आदि सभी देश वायुप्रदूषण की समस्या झेल रहे हैं । ये सभी देश बिजली चालित वाहनों की शुरूआत कर रहे हैं जिससे वायुप्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार हो।
3 <<<<<<< वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव >>>>>>>
वायु प्रदूषण हर तरह से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है; क्योंकि जिस हवा में हम श्वास लेते हैं, श्वास के साथ ही वायु में घुले हुए खतरनाक कण हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारे स्वास्थ्य को खराब कर रहे हैं ।एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि वायुप्रदूषण से मनुष्यों में गुरदे की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
हाँलाकि बहुत पहले से ही वायु प्रदूषण को हृदयरोग, स्ट्रोक, कैंसर,अस्थमा से जोड़ा जाता रहा है।शोध कर्ताओं ने शरीर की बीमारियों में वायुप्रदूषण का पता लगाने के लिए करीब साढ़े आठ साल तक अध्ययन किया और पाया कि वायुप्रदूषण और शरीर की बीमारियों के बीच स्पष्ट सम्बन्ध है।
प्रदूषित वायु मनुष्यों के साथ-साथ पशु- पक्षी व अनेक जीवों के लिए खतरा बनती चली जा रही है। वायु प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो मानव जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।भारत में हर दिन दो मृत्यु वायु प्रदूषण से हो जाती हैं ।दिल्ली में तो अब वायु प्रदूषण के कारण कई- कई दिन स्कूल बन्द करने पड़ते हैं ।
प्रदूषित हवा के कारण बच्चों में साँस लेने सम्बन्धी बीमारियाँ तथा डायरिया जैसे रोग पाए जा रहे हैं ।
वाॅशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोo अली के अनुसार-- वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों को नुकसान होता है, इसके अलावा वह हृदय और गुरदों जैसे अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचाता है ।इस तरह दुनिया में बढ़ता हुआ वायु-प्रदूषण कई तरह से जीवन व स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को प्रस्तुत कर रहा है ।
4 <<<<<<< बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के उपाय >>>>>>>
आज बढ़ते प्रदूषण की ज्वलंत समस्या के समाधान के प्रयास किए जाएँ, जिससे हमारा समस्त पर्यावरण सुरक्षित व स्वच्छ हो।
बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए पहला - - वायु प्रदूषण की वृद्धि करने वाले कारणों पर रोक लगाई जाए और दूसरा वायु प्रदूषण को सोखने वाले पेड़- पौधों की संख्या में वृद्धि की जाए।समस्त वन- जंगल और पेड़-पौधे वातावरण में स्थित कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर लेते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं ।जिससे हमारा पर्यावरण संतुलित होता है।
पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह इलैक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग शुरु कर देना चाहिए । भारत समेत कुछ अन्य देश भी धीरे-धीरे इलैक्ट्रिक वाहन शुरु करने की पहल कर रहे हैं, इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास जारी हैं ।ध्वनि व वायुप्रदूषण बढाने वाले पटाखों के निर्माण व बिक्री पर पाबंदी लगाई जाए और प्रचार माध्यमों से समाज को पटाखों से होने वाले नुकसान बताकर पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू एच ओ ) के अनुसार वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य के खतरे को मापने के लिए पीएम - 2.5 सबसे सटीक पैमाना है।पर्टीकुलेट मैटर यानी पीएम- 2.5 पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित ठोस या तरल पदार्थ के छोटे ऐसे कण हैं, जिनका आकार महज 2.5 माइक्रोग्राम से भी कम होता है ।ये कण बड़ी आसानी से हमारे नाक व मुँह के जरिए शरीर के अन्दर तक पहुँचकर हमें बीमार बना सकते हैं ।
डब्ल्यूएचओ ने समय- समय पर सभी देशों को निर्देश जारी किया है कि पर्टीकुलेट मैटर ,ओजोन, नाइट्रोजन, मोनो ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं ।अतः इन हानिकारक पदार्थों के लिए एक सीमा तय करनी चाहिए ।
सभी किसानों को भी प्रदूषण के प्रति जागरूक किया जाए।जिससे वे भी पराली जलाना बन्द कर दें ।सरकार को चाहिए कि-
फसल के अवशेष ( पराली ) के अन्य उपयोग के लिए बाजार में ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे किसानों को पराली न जलानी पड़े और फायदा भी हो।
पर्यावरण संतुलन का मानव जीवन में बहुत महत्व है।आओ हम सब अपनी धरती माता का पेड़-पौधों से श्रंगार करके वायु प्रदूषण
की रोकथाम करें ।और वायु प्रदूषण वृद्धि के कारणों पर भी रोक लगाएँ ।
" हम प्रकृति के बनें पुजारी "
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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