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Wednesday, February 12, 2020

अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस ---- खुश रहना एक मानसिक दशा , हम कैसे खुश रहें ?

          <<<<<<अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस >>>>>>
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 20 मार्च का दिन अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस घोषित किया है।भूटान के प्रधानमंत्री "जिग्मे वाई थिनले" की पहल पर 20 मार्च 2013 से ही यह दिवस मनाना शुरू किया गया है।
खुशी मनुष्य के जीवन का आधार है ।इसी कारण खुशी को विकास के पैमाने के तौर पर स्वीकारा गया है और दुनिया भर के कई देश इस पर नीतियाँ बनाकर उस पर अमल करने में लगे हैं ।संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व भर के संगठनों और लोगों से शिक्षा और जागरूकता अभियानों के जरिए प्रसन्नता दिवस मनाने की अपील की है ।

            क्यों कोई खुश रहता है और कोई क्यों खुश नहीं रह पाता-- मनोवैज्ञानिक आज भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाए हैं ।एक सर्वेक्षण के आधार पर--- फिनलैंड के लोग विश्व में सबसे ज्यादा खुश लोग हैं ।डेनमार्क, आइसलैंड, स्विटजरलैण्ड और नाॅर्वे उस सूची में शीर्ष देशों में शामिल हैं ; जबकि 155 देशों की उस सूची में भारत 133 वें स्थान पर है। इस सूची में सम्मिलित देशों में लगभग हजार लोगों से कुछ सवाल पूछे जाते हैं जिनके आधार पर यह सूची प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस ( वर्ल्ड हैप्पीनैस डे) 20 मार्च को जारी की जाती है।

  <<<<<<< खुश रहना एक मानसिक दशा है >>>>>>>

खुश रहना एक मानसिक दशा है, खुश रहने के लिए दौलतमन्द होना जरुरी नहीं है ।लगभग सभी अध्ययनों ने यह साबित किया है कि खुश रहने वाले लोग कुटुंब में रहते हैं ।उनकी अपने परिवार वालों से व दोस्तों से अच्छी निभती है।जनरल ऑफ सोशियो - इकोनाॅमिक्स के आँकड़ों के अनुसार खुश रिश्ते बहुत कीमती होते हैं ।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हैप्पीनैस विशेषज्ञ डैनियल गिल्बर्ट के अनुसार- जीवन में जो भी चीजें हमें प्रसन्नता दे रही होती हैं, वे सब किसी न किसी रूप में परिवार व दोस्तों के माध्यम से ही आ रही होती हैं ।वर्षों तक इस विषय का अध्ययन करने वाले जाॅर्ज वैलंट के अनुसार--हमारे जीवन को जो सबसे अधिक प्रभावित करते हैं -
वे हैं दूसरों के प्रति हमारे सम्बन्ध ।इसलिए जीवन में रिश्ते बहुत मायने रखते हैं ।

दूसरों से जुड़ाव, लगाव,अपनत्व हमें बहुत सारी खुशियाँ देता है।
जो व्यक्ति दूसरों के साथ बड़ी आसानी से सहज रहते हैं, सामंजस्य बिठा लेते हैं, अपनत्व जोड़ लेते हैं, वे खुशियाँ पाते हैं और खुशियाँ बिखेरते है।आत्मीयता का विस्तार ही हमारी खुशियों को असीम बनाता है।

आधुनिक जीवनशैली में बाहरी समृद्धि को अधिक महत्व दिया जाता है इस समृद्धि के कारण मनुष्य अन्दर से खोखला हो गया है अर्थात उसकी सच्ची प्रसन्नता कहीं खो गई है।तनाव और चिन्ताएँ बढ़ गई हैं ।स्वाभाविक खुशी न जाने कहाँ खो गई है।समृद्ध होकर भी खुश नहीं रह पाते लोग।

खुशियाँ तो कभी किसी दराज के भीतर किसी पुरानी किताब के पन्नों में मिल जाती हैं तो कभी अपने पकाए बेस्वाद भोजन के स्वाद में भी महसूस होती हैं ; जबकि कभी-कभी पाँचसितारा होटल के मैन्यू में वह ढूँढने से नहीं मिलतीं ।कभी-कभी किसी बेकार बर्तन में चिड़ियों के लिए आधा गिलास पानी रखकर भी व्यक्ति सारा दिन खुश रह सकता है और कभी मन्दिर में 500 का प्रसाद चढ़ाकर भी खुश नहीं रह पाता ।

इस तरह देखा जाए तो खुशी का सम्बन्ध मन को संतोष व सूकून देने वाली भावनाओं से होता है। क्योंकि जो भावनाएँ मन को कचोटती हैं, असंतुलित करती हैं, वे कभी भी खुशियों से जुड़ी नहीं हो सकतीं ।
 
              <<<<<<< खुश कैसे रहें >>>>>>>

खुशी के पल जीवन को खिलखिला देते हैं, महका देते हैं, एक नई  ऊर्जा व उमंग से भर देते हैं,  इसलिए ऊर्जावान और प्रेरित बने रहने के लिए खुश रहना बहुत जरूरी है। खुशी के बिना जीवन में नीरसता छा जाती है लेकिन खुशी से हमारे जीवन में प्रकाश की तरंगें छा जाती हैं ।   

●●●  हम खुश कैसे रहें----- हमारे आस-पास ही खुश रहने के  ऐसे बहुत से साधन हैं लेकिन हम उनसे अनभिज्ञ हैं-------

1--- हम जिस वातावरण में रहते हैं, प्रकृति ने उसमें अपनी भरपूर कला व सुंदरता का समावेश किया है।बस, खुश रहने के लिए हमें हमारे आस-पास के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने की जरूरत है ।

● 2--- हम हम हर पल अपने दोष और कमियों पर ही ध्यान देंगे तो उदास ही रहेंगे।इसकी जगह यदि हम अपने गुणों में वृद्धि करें और अपनी विशेषताओं का भरपूर उपयोग करें तो हमारी खुशी में वृद्धि होगी।

● 3--- अपनी रुचि व क्षमता के अनुसार  जीवन में एक लक्ष्य बनाएँ, और उस ओर प्रयासरत रहें ; क्योंकि वे व्यक्ति जीवन में अधिक खुश रहते हैं, जिनके जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होता है।जीवन को उद्देश्य पूर्ण बनाना खुशियों को हासिल करना है।

● 4--- जीवन में हर पल कुछ नया सीखने की कोशिश करें ।नया सीखने से हमारी खुशियों में वृद्धि होती है और हमारी योग्यता भी बढ़ती है ।

● 5--- खुश रहने के लिए हमें सदा सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए ; क्योंकि नकारात्मता हमारी खुशी छीन लेती है।इसलिए हर काम उत्साह के साथ करने की आदत रखनी चाहिए, जिससे 
नकारात्मकता हमसे दूर रहे।

● 6--- जीवन में बहुत सी ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं जब हम प्रयास करके भी असफल रहते हैं ।ऐसे समय पर हमें घबराना नहीं चाहिए और फिर से संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए जिससे कि हमारे मन में निराशा न हो और हमारी खुशी बरक़रार रहे।

● 7--- दूसरों की मदद करना, उनकी यथा संभव सहायता करना भी हमें आंतरिक खुशी देता है।इससे हमें सच्ची आंतरिक प्रसन्नता मिलती है।

● 8--- हमारे शरीर और मन का सम्बन्ध परस्पर एक - दूसरे से जुड़ा है।यदि शरीर स्वस्थ है तो मन भी स्वस्थ होगा।इसलिए खुश रहने के लिए शरीर और मन दोनों का ही स्वस्थ रहना जरूरी है अन्यथा हम खुशियों के पल को महसूस नहीं कर पाएँगे।

● 9--- खुश रहने के लिए अपने परिवार, मित्र, पड़ोसी व दैनिक जीवन में जो भी हमारे संपर्क में आते हों उन सभी से अच्छा व्यवहार रखना चाहिए ।यदि हम खुशियाँ देंगे तो पाएँगे भी।

● 10--- अपने भविष्य को अपार संभावनाओं व खुशियों से भरपूर निहारें ; क्योंकि उज्ज्वल भविष्य की संभावना व्यक्ति के अन्दर सकारात्मकता का बीजारोपण करती है और उसके भविष्य को सुंदर बनाती है।

खुशी पर हर व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार है कोई इसे हमसे छीन नहीं सकता ।हमारी खुशी हमारे स्वभाव पर ही निर्भर है।जीवन का हर पल हमें खुशियों से भर सकता है, यदि हम इसे खुशियों से निहारें ।आधुनिक जीवन में तनाव मुक्त रहना है तो हमें खुश रहने की आदत बनानी होगी।

"परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना कि सभी के जीवन में सदा खुशियाँ हों, प्रसन्नता हो।"
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
 



 

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