यह दुनिया खूबसूरत रंगों से भरी हुई है।धरती से लेकर आकाश तक प्रकृति ने अनेक रंगों को बिखेरा है।नीला आकाश मानो अनंत ऊँचाई को अपने में समेटे है उसमें यदा-कदा उभरने वाली सफेद व काले बादलों की आकृतियाँ, उदीयमान सूर्य का स्वर्णिम प्रकाश, रात्रि के अँधेरे में आकाश में सजे हुए चमकते तारे और उसमें स्वच्छ चाँदनी का प्रकाश । हरियाली से सुशोभित धरती , कहीं रेत, कहीं पहाड़ तो कहीं मिट्टी। मिट्टी के भी अनेक रंग हैं- कहीं लाल, कहीं पीली, कहीं मटमैली तो कहीं काली । सब ओर रंग ही रंग हैं ।
इसके अतिरिक्त धरती के गर्भ में समायी हुई विभिन्न धातुओं की खदानें, कीमती पत्थरों में भी विविध रंग हैं ।समुद्र के गर्भ में छिपे कीमती हीरे- जवाहरात भी विविध रंगों की आभा लिए होते हैं ।
प्रकृति ने वृक्ष- वनस्पतियों में फल-फूलों में भी अपने सुन्दर रंगों की छटा बिखेरी है।इस पृथ्वी पर रहने वाले विविध प्राणियों के रंग भी कई तरह के हैं ।जगत का सत्य ही यह है कि इस सृष्टि में बिना रंग के कुछ भी नहीं है।
इस दुनिया के विविध रंगों का सौन्दर्य हम अपनी आँखों से निहार सकते हैं ।जैसे ताजा खिला हुआ फूल देखकर मन आनंदित हो जाता है और उसकी ओर आकर्षित होता है।हरे- भरे खेतों को देखकर भी मन को सुकून मिलता है।लाल गुलाब प्रेम की महक छोड़ता है तो पीला गुलाब प्यारी सी दोस्ती का इज़हार करता है।बरसात के मौसम में आकाश में इन्द्रधनुषी-रंग मन को मोह लेते हैं ।
हमारे देश की यह विशेषता रही है कि प्राचीन काल से ही प्रकृति के हर तत्व की शोध की जाती रही है।विविध रंगों का संसार भी प्रकृति से मिला हुआ सुन्दर उपहार है।रंगों का आध्यात्मिकता से संबंध है , ज्योतिष शास्त्र से भी गहरा संबंध है। रंगों का मानव स्वभाव से भी गहरा संबंध है ।जीवन के विविध आयामों में विविध रंगों को संकेत के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
<<<<विविध रंगों का मानव जीवन में अलग-अलग प्रभाव>>>>
● लाल रंग
रंगों की बात आए तो सबसे पहले हमें लाल रंग याद आता है।आध्यात्मिकता के सन्दर्भ में यदि देखा जाए तो लाल रंग प्रथम पूज्य भगवान गणपति व माता पार्वती का प्रिय रंग है।ग्रह देवता सूर्य भगवान को भी जल और लाल पुष्प से अर्ध्य समर्पित किया जाता है। ज्योतिष आचार्य भी सूर्य व मंगल ग्रह की शान्ति के लिए माणिक्य व मूँगा रंग धारण करने की सलाह देते हैं ।इन दोनों ग्रहों की शान्ति के लिए लाल रंग प्रयोग किया जाता है ।शुभ कार्यों में लाल वस्त्र, लाल फूल और लाल कुंकुम प्रयोग किया जाता है ।
लाल रंग सुहाग और प्रेम का प्रतीक माना जाता है इसलिए भारतीय विवाह में दुल्हन को लाल जोड़ा ही पहनाया जाता है लेकिन यह रंग क्रोध और संघर्ष का भी परिचायक है।यह रंग उत्प्रेरक, उत्तेजक तथा जोशीला होता है।यह रंग रणभूमि का भी प्रतीक होता है।खतरे को व्यक्त करने में भी इस रंग का प्रयोग होता है।हमारे शरीर में बहने वाले रक्त का रंग भी लाल है इसलिए कभी-कभी कुछ लाल वस्तुओं को रक्तवर्ण भी कह दिया जाता है ।यह रंग ऊष्णता व ऊर्जा का भी प्रतीक है ।लाल रंग हमारी शारीरिक ऊर्जा को प्रभावित करता है।
● पीला रंग
पीला रंग प्रकाश व प्रसन्नता का प्रतीक है ।यह रंग ज्ञान का भी प्रतीक है । इसीलिए वसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा पीले वस्त्र धारण करके ही की जाती है ।यह रंग भगवान विष्णु व वृहस्पति देव का प्रिय माना जाता है ।इसीलिए गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनना, पीले रंग का आहार ग्रहण करना व पीले फूलों से पूजा करना अति शुभ माना गया है ।गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा का विधान है । वृहस्पति ग्रह की शान्ति के लिए ज्योतिषाचार्य पीले रंग की आभा लिए पुखराज रत्न पहनने की सलाह देते हैं ।
हमारे मन्दिरों में पूजा अनुष्ठान करने समय पुजारी भी अधिकांश पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करते हैं ।यह रंग उमंग का प्रतीक है। पीला रंग सकारात्मकता का संदेश भी देता है। धार्मिक कार्यक्रमों में पीला रंग शुभ माना जाता है ।इस रंग से हमारे विचारों में स्पष्टता आती है ।मन में सतर्कता बढ़ती है ।इस रंग से आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है ।यह रंग हमारे शरीर में उत्पन्न विषाक्त पदार्थों को दूर करने में उपयोगी साबित होता है।बुद्धि को प्रखर बनाने वाला, सौन्दर्य का पर्याय यह रंग हमारे मनोभावों को बिना कुछ कहे व्यक्त कर देता है।
● हरा रंग
हरा रंग प्रकृति व हरियाली का प्रतीक है ।वर्षा ऋतु के आने से समूची प्रकृति के पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं ।वसंत ऋतु में भी समस्त पेड़ पौधे सौन्दर्य से भरपूर होकर प्रकृति की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं ।वन-उपवनों में हरी घास देखकर मन को सुकून मिलता है, ऐसा लगता है कि हरे मलमल का कालीन बिछा हुआ हो।हरा रंग शारीरिक-मानसिक शुद्धि करने के लिए भी प्रयोग होता है।अस्वस्थ होने पर भी हरी साग-सब्जियों का सेवन , हरे रंग की मूँग दाल व हरे पेय पदार्थों जैसे -- पुदीने, गन्ने, धनिए आदि का शरबत पीने की सलाह दी जाती है।
हरा रंग बुध ग्रह का प्रतीक है और यह हमारी बुद्धि को शांत और संतुलित रखने में मदद करता है ।इसलिए यदि मन में किसी भी प्रकार की निराशा हो तो हरियालीयुक्त स्थानों पर जाने से मन में सकारात्मकता का संचार होता है और मन प्रसन्न हो जाता है ।
कुछ लोग बुधवार को हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं ।हरे रंग के अपने कई रंग हैं, जैसे- धानी हरा, समुद्री हरा आदि।हमारे देश के झन्डे में इस रंग का समावेश हमारे देश के वैभव को दर्शाता है।
● नीला रंग
नीला रंग एकता , शांति , शीतलता व सतर्कता का प्रतीक है ।इस रंग के भी विविध प्रकार हैं, जैसे- आसमानी नीला, फिरोजी नीला , स्याह नीला आदि।मानसिक रूप से सुकून देने वाला यह रंग हमारी आँखों को बहुत भाता है। ग्रहों में शनिग्रह का रंग नीला है इसलिए शनिग्रह की शान्ति हेतु ज्योतिषाचार्य नीलम धारण करने को कहते हैं ।हमारा आकाश व समुद्र दोंनो ही नीले रंग के दिखते हैं ।यह रंग भी अपने आप में अति महत्वपूर्ण है ।बागों में कभी-कभी नीले रंग के सुन्दर फूल भी सभी को आकर्षित करते हैं ।
● गुलाबी रंग
गुलाबी रंग ---- कहा नहीं जा सकता कि गुलाबों से गुलाबी रंग नाम दिया गया है या गुलाबी रंग से गुलाब के फूलों को गुलाब नाम मिला है, जो भी हो-- गुलाबी रंग बहुत मनमोहक होता है।यह रंग कोमलता व सुन्दरता का प्रतीक है ।हृदय से इस रंग का गहरा संबंध है , इसलिए प्रेम की अभिव्यक्ति में गुलाबी रंग का प्रयोग किया जाता है ।यह रंग मन की प्रसन्नता को व्यक्त करता है।गुलाबी रंग हल्का गुलाबी और रानी रंग ( गहरा गुलाबी) नाम से जाना जाता है।
● नारंगी रंग
नारंगी रंग वीरता का प्रतीक है और ऐश्वर्य को भी दर्शाता है।हमारे राष्ट्रीय झंडे में इस रंग का प्रतीक है।यह रंग खुशी, उत्साह व त्याग- भावना का प्रतीक है।यह केसरिया नाम से भी जाना जाता है।यह सक्रियता का प्रतीक है।अक्सर धार्मिक कार्यक्रमों में लोग इस रंग के वस्त्र धारण करना शुभ मानते हैं ।हमारे संत जन भी इस रंग को महत्व देते हैं ।किसी भी रंग की किसी दूसरे रंग से तुलना नहीं की जा सकती; क्योंकि हर रंग की अपनी अलग विशेषता है।
● सफेद रंग
सफेद रंग का सम्बन्ध चंद्र ग्रह व शुक्र ग्रह से है।चंद्रमा का सम्बन्ध हमारे मन से होने के कारण, सफेद वस्तुएँ मन को शांत व संतुलित करने में सहयोग करती हैं ।यह रंग प्रकाश का प्रतीक है ।सफेद रंग एकता, शुद्धता, शांति व उज्ज्वलता का प्रतीक है ।इस रंग का प्रयोग करने से मन में शुभ भावनाएँ जाग्रत होती हैं ।
● काला रंग
यह रंग प्रकाश का अवशोषक है और कई रंगों को अपने में समाहित करने की क्षमता रखता है।यह रंग अँधियारे का प्रतीक है, जिस तरह प्रकाश की महत्ता है उसी प्रकार काले रंग का भी हमारे जीवन में विशेष महत्वपूर्ण है इसीलिए तो नजर उतारने के लिए काला टीका लगाया जाता है ।आँखों की खूबसूरती बढाने व उन्हें स्वस्थ रखने के लिए काजल लगाया जाता है और बुरी नजर से बचाने के लिए काला धागा बाँधा जाता है। हमारे देश के कुछ हिस्सों में शुभ कार्यक्रमों में इस रंग के वस्त्रों का प्रयोग नहीं करते ।
यदि हम गम्भीरता से विचार करें तो हम पाएँगे कि सृष्टि की शुरुआत ही रंगों से हुई है या यह भी कहा जा सकता है कि रंग भी प्रकृति का एक आवश्यक घटक ही है ; क्योंकि रंगों के बिना प्रकृति स्वयं को कैसे अभिव्यक्त करती। शायद रंगों के बिना भी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती ; क्योंकि हर जीव का एक रंग जरूर होता है।
आओ शुभकामना करें कि सभी का जीवन प्रकृति के विविध रंगों से सदा सुशोभित होता रहे।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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