मुस्कराहट व्यक्तित्व की शान होती है।मुस्कराता हुआ चेहरा सबको आकृष्ट करता है।मुस्कराहट अजनबियों से भी दोस्ती के तार जोड़ देती है।चेहरे पर छाने वाली एक मुस्कराहट थोड़ी देर के लिए हर तरह के तनावों से दूर कर देती है।मुस्कराहट से हमारे आस-पास का वातावरण भी खुशनुमा बन जाता है।मुस्कराता चेहरा सभी के लिए सदा आकर्षण का केन्द्र होता है।
जो लोग मुस्कराकर हर समस्या का समाधान ढूँढने में विश्वास करते हैं वे सफलता प्राप्त करके ही रहते हैं ।मुस्कराहट स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी औषधि है।हाँ , बस मुस्कान कृतिम या बनावटी न होकर स्वाभाविक होनी चाहिए ।मुस्कराहट एक व्यायाम की तरह है , जो व्यक्ति के चेहरे पर चमक बनाए रखने में सहायक होती है। मुस्कराहट से न केवल दूसरों को आकर्षित किया जा सकता है बल्कि खुद को भी एक सुखद एहसास से भरा जा सकता है क्योंकि मुस्कराहट से स्फूर्ति व ऊर्जा का संचार होता है ।
<<<<<<मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मुस्कराहट के प्रभाव >>>>>
मनुष्य के चेहरे के भावों पर मनोवैज्ञानिक शोध करते रहते हैं ।मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मुस्कराने की आदत न सिर्फ स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है ; बल्कि जीवन और खुशियों के बीच सामंजस्य बैठाने में भी सहायक होती है।
कहा जाता है कि जन्म लेते ही शिशु रोता है, चार-पाँच सप्ताह बाद मुस्कराता है तथा चौथे-पाँचवें महीने में हँसने लगता है।मनोवैज्ञानिकों के अनुसार-- हमारे मस्तिष्क में माइनर न्यूरॉन पाया जाता है , जो मुस्कान पैदा करता है।मुस्कान भी हमारी बाॅडी लेंग्वेज का एक हिस्सा है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रमुख डॉक्टर विलियम फ्रेंक का कहना है कि मुस्कराते चेहरे वाले लोग दूसरे लोगों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहते हैं ।उनकी रोगप्रतिरोधक शक्ति भी औरों से अधिक होती है।वे निर्णय भी जल्दी लेते हैं ।वे छोटी-छोटी बातों में तनाव नहीं लेते।
मनोवैज्ञानिक केल्टर का मानना है कि " सच्ची प्रेममय मुस्कान का अभ्यास जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।" मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक रूप से सच्ची मुस्कान व्यक्ति के मस्तिष्क तक यह संदेश पहुँचाती है कि वह सुरक्षित है।मुस्करा कर बात करने वाले से सभी लोग जल्दी प्रभावित हो जाते हैं ।
मनोवैज्ञानिकों का यह मानना है कि जब व्यक्ति जान-बूझकर कोई झूठ बोलता है तो वह सामान्य से कम मुस्कराता है।झूठी मुस्कान सच्ची मुस्कान से अधिक नकली होती है इसलिए दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता कम रखती है।मुस्कान के छह प्रकार हैं-- बंद ओठों की मुस्कान, तिरछी मुस्कान,
बंद जबड़ों की मुस्कान, ऊर्ध्व स्मित मुस्कान, खुले मुँह की मुस्कान
और स्थाई मुस्कान ।
हमारी मुस्कराहट से हमारे आस-पास के लोगों पर हमारे व्यक्तित्व का उत्साहवर्द्धक असर पड़ता है।कहते हैं- कि डॉक्टर के हँसते हुए चेहरे से मरीज की आधी बीमारी ठीक हो जाती है।मुस्कराहट व्यक्ति के जीवन में एक जादुई असर दिखाती है।मुस्कराहट का यह जादू हर कोई कर सकता है और सबके चेहरे पर मुस्कराहट ला सकता है।इसलिए सभी को मुस्कराने की आदत डालनी चाहिए ।
यदि लोग अपनी समस्याओं और परेशानियों के मध्य अपनी स्वाभाविक मुस्कान को बनाए रख सकेंगे, तो पाएँगे कि कुछ ही समय में उनकी समस्याएँ भी समाधान सरलता से दे देंगी।मुस्कराकर किसी को सिर्फ खुश ही नहीं करते बल्कि दूसरों की पीड़ा भी कुछ देर के लिए कम कर सकते हैं ।
मुस्कराने में कुछ खर्च नहीं होता, यह सिर्फ मन की प्रेरणा और अधरों की हरकत होती है।ऐसा लगता है कि मुस्कराना सिर्फ एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं; क्योंकि जब तक व्यक्ति के मन में उल्लास, खुशी, शांति, संतोष का भाव न हो तब तक अधरों पर मुस्कान नहीं आती।मुस्कराने से हमारे मन की नकारात्मक भाव दूर हो जाते हैं ।
मानव प्रकृति पर शोध करने वाले मनोवैज्ञानिकों का यह कहना है कि मुस्कराहट की 19 किस्में होती हैं और हर मुस्कराहट का अपना अलग अंदाज होता है।मुस्कराते हुए चेहरे जल्दी ही कहीं भी अपनी पहचान बना लेते हैं ।कोई भी चीज बाँटने से कम नहीं होती इसलिए आज से ही हम मुस्कान बाँटने की आदत बनाएँ ।
"मुस्कराहट से जीवन में अमृत वर्षा होती है। आओ हम सब मूस्कराएँ।:
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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