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Wednesday, February 5, 2020

स्वास्थ्य---- ब्रह्म मुहूर्त में उठना ( प्रातःकालीन जागरण) क्यों है लाभदायक, बदलती आधुनिक जीवनशैली । जानें इस पोस्ट में---



       <<<<<ब्रह्म मुहूर्त में उठना लाभदायक >>>>>
ब्रह्म मुहूर्त यानी रात्रि के अन्तिम प्रहर या सूर्योदय से लगभग डेढ़ दो घंटे पहले का समय ।हमारी प्राचीन परम्पराओं में ' ब्रह्म मुहूर्त '
में उठने का समय तय किया गया है।हमारे ऋषि-मुनियों ने जीवनशैली के सभी नियम स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के लिए ही बनाए थे।प्रातःकालीन ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।

 हमारे शास्त्रों में भी ब्रह्म मुहूर्त में जागने को ही सही बताया है, तभी तो प्राचीन काल में ब्रह्म मुहूर्त में, गुरुकुलों में गुरुजन अपने शिष्यों को वेदों और शास्त्रों का अध्ययन करवाते थे।ऋग्वेद के अनुसार-- जो मनुष्य सुबह जल्दी उठता है , उसकी आयु लम्बी होती है।ब्रह्म मुहूर्त में रजोगुण एवं तमोगुण की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए इस समय में बुरे मानसिक विचार भी शान्त हो जाते हैं ।

वैज्ञानिक शोधों के अनुसार--- सुबह जल्दी उठने से हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएँ सक्रिय रहती हैं ।जिससे हमारी स्मरण शक्ति भी अच्छी बनी रहती है।अनेक शोध अध्ययनों ने यह भी प्रमाणित किया है कि ब्रह्म मुहूर्त के समय हमारा वायुमंडल काफी हद तक प्रदूषण रहित होता है।इस समय वातावरण में प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा भी अधिक रहती है।

आयुर्वेद के अनुसार-- ब्रह्म मुहूर्त में प्रवाहित होने वाली वायु, चन्द्रमा से प्राप्त अमृत कणों से युक्त होने के कारण हमारे स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान होती है, यह वीरवायु कहलाती है।जब हम ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठते हैं, तो यही अमृतमयी वायु हमारे शरीर को स्पर्श करती है।इसके स्पर्श से हमारे शरीर में तेज, बल, शक्ति, स्फूर्ति एवं मेधा का संचार होता है, जिससे मन प्रसन्न व शांत होता है।इससे हमारे फेफड़ों की शक्ति भी बढ़ती है, जिससे रक्त शुद्ध होता है।यही कारण है कि इस समय की गई सैर और व्यायाम, योग और प्राणायाम हमारे शरीर को निरोगी रखते हैं ।

सुबह जल्दी उठना हमारे लिए किसी औषधि से कम नहीं है।इससे हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति ( इम्यून सिस्टम) मजबूत होती है जिससे हम बीमार नहीं पड़ते ।प्रातःकाल टहलने से शरीर में शक्ति का संचार होता है और शरीर कांतियुक्त हो जाता है।

प्रातःकाल पक्षी भी जाग्रत होकर चहचहाने लगते हैं ।इसके साथ विभिन्न तरह के पशु भी प्रातःकाल में ही अधिक सक्रिय रहते हैं , मानो हमें भी संदेश देते हैं- कि अब जाग जाओ।पशु- पक्षियों की नियमित दिनचर्या उन्हें स्वस्थ व सक्रिय बनाए रखती है और हमें भी यह प्रेरणा देती है कि प्रकृति के नियमों का पालन किया जाए।

 सूबह जब व्यक्ति प्रातःकालीन उगते सूर्य का दर्शन करता है , अर्ध्य समर्पित करके सद्प्रार्थनाएँ करता है , तो मन में सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है  और सूर्य की स्वर्णिम किरणें भी व्यक्ति के शरीर व अंतर्मन में प्रवेश कर उसे लाभान्वित करती हैं ।प्रातःकालीन सूर्योदय व उसके पूर्व- पश्चात का समय आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से भी उपयुक्त होता है, इसीलिए  हमारी संस्कृति में सुबह के समय जप, पूजा, ध्यान, प्राणायाम व व्यायाम का बहुत महत्व है।

यदि हम रामायण पढें, श्री मद्भागवत महापुराण पढें तो इन शास्त्रों के अनुसार--  ईश्वर रूप श्रीकृष्ण व श्री राम भी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जप, ध्यान एवं सूर्योपासना आदि किया करते थे।

<<<<<< बदलती आधुनिक जीवनशैली >>>>>>

आज की बदलती जीवनशैली में हम देर से सोने और देर से उठने को ही आधुनिक जीवनशैली का एक हिस्सा मानने लगे हैं ।हमेशा से ही जल्दी सोना और जल्दी उठने को ही महत्व दिया गया है।इसके विपरीत देर से सोना और देर से उठना , ये दोनों ही आदतें स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं हैं ।

                        आधुनिक जीवन में अनेक कारण ऐसे भी हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति चाहकर भी जल्दी सो नहीं सकता।महा नगरों में दूर-दूर काम पर जाना, रात्रि के समय में नौकरी करना।शहरों में तो आजकल देर रात पार्टियाँ बहुत होने लगी हैं, जिनके कारण न तो लोग जल्दी सो पाते और न उठ पाते।इसके अलावा अनेक ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से जीवनशैली अप्राकृतिक हो  गई है ।

  अप्राकृतिक जीवनशैली के कारण रोगों में भी वृद्धि हो रही है ।देर से सोना और देर से उठने के कारण खान-पान भी व्यवस्थित नहीं रह पाता। देर रात भोजन ग्रहण करने से पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है ।आजकल बहुत कम उम्र में ही लोग अनेक रोगों के शिकार हो रहे हैं । कभी-कभी किसी कारणवश देर तक जागना और उठना , इतना नुकसानदेह नहीं होता लेकिन इस क्रम को हम अपने जीवन में निरंतर के क्रम में शामिल कर लें तो इसके विपरीत परिणाम भी भुगतने पडेंगे।

आजकल हमारे देश में देर से उठने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।कारण चाहे जो भी हों, सुबह देर से उठना एक तरह से लोगों ने अपना अधिकार समझ लिया है।आज की जीवनशैली में पहले टीवी और अब मोबाइल फोन पर इंटरनेट एक बहुत बड़ा कारण है।लोग देर रात तक इनमें व्यस्त रहते हैं, बडों की देखा- देखी बच्चे भी देर तक जगते हैं ।यह सब देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले 10 - 15 सालों में भारत के घरों में सुबह जल्दी उठने वाले लोग कम ही रहेंगे।
 
  आजकल विदेशों ने  हमारे देश की ऋषि-मुनियों की परम्परा ( वैदिक परम्परा) का महत्व समझ लिया है और वे इन परम्पराओं का पालन करके स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं लेकिन हम भारतीय अपनी वैदिक परम्पराओं से दूर होते जा रहे थे।  गत कुछ वर्षों से हमारे देश में योग क्रान्ति शुरु हुई है तब से हम भारतीयों ने अपनी योग पद्धति का महत्व समझना शुरू किया है और अब बहुत से भारतीय ब्रह्म मुहूर्त में उठकर योग - ध्यान आदि यौगिक क्रियाओं के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ उठा रहे हैं ।

समय रहते हम सभी को प्रातःकालीन ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व समझ लेना चाहिए । बच्चों में भी जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत अभी से डालें ।हमारी संस्कृति के अनुसार प्राकृतिक जीवनशैली हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान है।अब से हम कोशिश करें- - जल्दी सोने और ब्रह्म मुहूर्त में उठने की।

 उठ जाग मुसाफिर भोर भई ,अब रैन कहाँ तू सोवत है।
जो  सोवत  है सो  खोवत है ,  जो जागत है सो पावत है ।।


  

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