head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): अन्तर्राष्ट्रीय फूल दिवस, फूल प्रकृति का श्रंगार, भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम, फूलों के रासायनिक प्रभाव एवं औषधीय महत्व अर्थात सुगंध चिकित्सा ।

Friday, February 14, 2020

अन्तर्राष्ट्रीय फूल दिवस, फूल प्रकृति का श्रंगार, भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम, फूलों के रासायनिक प्रभाव एवं औषधीय महत्व अर्थात सुगंध चिकित्सा ।

 ●●● अन्तर्राष्ट्रीय फूल दिवस, फूल प्रकृति का श्रंगार ●●●
 19 जनवरी अन्तर्राष्ट्रीय फूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस सृष्टि में प्रकृति ने जब से विस्तार पाया तभी से फूलों की भी उत्पत्ति हुई होगी। फूल प्रकृति का श्रंगार हैं, ये प्रकृति का उपहार हैं ।फूलों के माध्यम से प्रकृति अपना श्रंगार करके वातावरण में अपनी सुगंध , सुन्दरता व विशेषता बिखेरती है।

परमेश्वर की अद्भुत कृति हैं- फूल।इस सृष्टि में फूलों की हजारों जातियाँ हैं ।प्रकृति के अद्भुत रहस्य व उसकी गूढ़ता का एहसास फूलों की विविधता भरी खुशबुओं और रंगों को देखकर लगाया जा सकता है।फूल प्रकृति की चेतनता , उर्वरता, सजीवता, व जीवंतता के प्रतीक हैं ।प्रकृति के साथ-साथ समूची पृथ्वी फूलों से शोभायमान होती है।

प्रकृति फूलों के माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करती है अर्थात जब फूल खिलते हैं तो प्रकृति भी इनके साथ मुस्कराती है।फूल वातावरण को न केवल सुगंधित व स्वच्छ करते हैं वरन् प्रकृति का सौन्दर्य भी बढ़ा देते हैं ।स्पष्ट है कि फूलों का मनुष्य समाज से सदियों पुराना रिश्ता है।फूल प्रसन्नता के प्रतीक हैं ।फूल समर्पण, सम्मान, सौंदर्य, संवेदना, सुकोमल भावनाओं व शुभकामनाओं के प्रतीक हैं ।

                मनुष्य व फूलों का रिश्ता आदिकाल से ही रहा है।मानव जीवन के विकास क्रम के साथ-साथ मनुष्य ने विभिन्न-विभिन्न फूलों की पहचान की और उन्हें अपने आस-पास उगाया, विकसित किया और उनका उपयोग भी किया।पूरी दुनिया में लगभग पैंसठ  (65) हजार प्रजातियाँ पाई जातीं हैं ।यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि वनस्पतियों की विविधता के अलावा धरती पर किसी भी दूसरी प्रजाति की इतनी प्रजातियाँ नहीं पाईं जातीं ।

                      फूल शब्द का पर्याय ही मानो सौन्दर्य है।अनेक बार सौन्दर्य की उपमा फूलों से की जाती है।जैसे- कमल नयन, फूल जैसा बच्चा, गुलाब जैसा मुखड़ा इत्यादि-इत्यादि ।फूलों की सुन्दरता सहज ही सबको आकर्षित करती है और इनकी खुशबू  वातावरण में बिखरकर सुगंध बिखेरती है एवं वातावरण को पवित्र एवं ऊर्जावान भी बनाती है ; क्योंकि फूलों के समान सुंदर , पवित्र और सुगंधित और कुछ नहीं होता।इसीलिए फूलों से तरह-तरह के इत्र भी बनाए जाते हैं ।

 ●●● फूल हैं भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम ●●●

फूल मानव मन की भावनाओं की अभिव्यक्ति का अति सुन्दर माध्यम हैं ।ईश्वर की पूजा हो, किसी भी प्रकार का उत्सव हो, किसी को बधाई देनी हो , किसी के प्रति प्रेम दर्शाना हो-- सभी अवसरों पर फूलों के द्वारा भावनाएँ अभिव्यक्त की जाती हैं ; क्योंकि फूल अपनी सुगंध, अपनी पवित्रता व अपने सौन्दर्य से वह सब बयान कर देते हैं जो शब्दों में नहीं कहा जा सकता।फूल दिलों के बीच की दूरियाँ भी कम कर देते हैं ।

फूलों में भावनात्मक प्रगाढ़ता उत्पन्न करने का गुण है।एक अमेरिकी वैज्ञानिक पीयर्सन ने वर्षों  फूलों का अध्ययन किया और पाया कि फूल अपने चारों ओर के वातावरण में एक ऐसी ऊर्जा बिखेरते हैं जो व्यक्ति के मन में न केवल ताजगी भरती है, बल्कि इससे दिमाग को एक विशेष प्रकार की विश्रांति भी मिलती है।यही कारण है कि वातावरण को सजीव, सुगन्धित व सुसज्जित बनाने में ताजे फूलों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है ।

दुनिया के किसी भी मनुष्य को कभी किसी ने यह नहीं सिखाया कि फूलों को पूजा में उपयोग करना चाहिए  या फूलों द्वारा प्रेम अभिव्यक्ति करनी चाहिए ।किसी ने कभी यह भी नहीं कहा कि फूलों को देखकर उल्लासित होना चाहिए ।फूलों के द्वारा जो कुछ भी व्यवहार शुरु हुआ है वह स्वतः ही हुआ है।दुनिया की हर संस्कृति व हर समाज में फूलों का महत्व है।दुनिया का हर समाज अपने इष्ट को फूल समर्पण करता है ,अपने प्रेम की अभिव्यक्ति  व श्रद्धांजलि भी फूलों के द्वारा करता है।

प्राकृतिक फूलों की भीनी खुशबू  वातावरण में सुगंध बिखेरती है व फूलों की अद्भुत छटा किसी का भी मन मोह लेती है और मन को तरोताजा कर देती है।फूलों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक, फूलों से पैदा होने वाले भावनात्मक आकर्षण को देखकर आश्चर्य चकित हैं ।दुनिया के कोने-कोने में बसे हुए लोगों के मन में फूलों के प्रति जो भाव है , उसमें काफी समानता पाई जाती है।

         ●●● फूलों के रासायनिक प्रभाव ●●●

                फूलों के अत्यन्त  सकारात्मक प्रभाव होते हैं ।वैज्ञानिकों ने पाया है कि फूलों के व्यापक प्रभाव हैं ।ॠतुराज वसंत के आते ही जब प्रकृति में सब ओर फूल खिल  जाते हैं तो इन्सान का मन भी प्रसन्नता का अनुभव करता है।रंग-बिरंगे फूलों को देखने मात्र से व इनकी सुरभित सुगंध से लोगों के मन में ऐसी पुलकन पैदा होती है , जिसकी तुलना संभव नहीं है।

जापान के एक वैज्ञानिक कास्टूरा कौमूरा ने अपने अनुसंधान में पाया कि वसंत ऋतु में चारों तरफ खिले हुए फूल शरीर में ऐसे रसायन बनाते हैं जो हमारी भावनाओं को सुदृढ़ करते हैं।रसायन शास्त्रियों ने अपने अध्ययनों द्वारा प्रमाणित किया है कि ताजे फूलों की खुशबू वातावरण में मौजूद कार्बन- डाइऑक्साइड के असर को कम करती हैं ।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि फूलों का संपर्क हर तरह के स्वभाव वालों की संवेदनाएँ जगाने की क्षमता रखता है।फूलों से हरे-भरे उपवन को देखकर अपराधी स्वभाव वाले मनुष्य भी एक बार ठहरकर फूलों को देखते जरूर हैं ।फूलों का यह रासायनिक प्रभाव ही है जिसके कारण फूल हर तरह के लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं ।रंग व सुगंधों के रसायन विज्ञान की इतनी उन्नति के बावजूद विज्ञान फूलों की विविधतापूर्ण खुशबुओं और रंगों की अनंतता देखकर आश्चर्यचकित है।

फूलों का यह रासायनिक प्रभाव ही है , जो लोगों को मुग्ध करता है और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है।
 
●●● फूलों का औषधीय महत्व , सुगंध चिकित्सा ●●●

                         मनुष्य व फूलों का सम्बन्ध आदिकाल से ही रहा है।प्राकृतिक फूलों की अपनी महत्ता है ।प्राचीन काल से ही अलग-अलग तरह के फूलों की पहचान करके एवं उनका महत्व समझकर बड़े पैमाने पर फूलों को उगाया जाता रहा है और उनका प्रयोग भी किया जाता रहा है।फूलों की विशेष सुगन्ध के माध्यम से चिकित्सापद्धति विकसित की गई, जिसे आधुनिक भाषा में एरोमाथेरेपी ( सुगंध चिकित्सा ) कहते हैं ।फूलों का औषधीय महत्व भी है।

आधुनिक शोधों में पाया गया है कि फूलों की भिन्न-भिन्न किस्में और अलग-अलग गन्धें विभिन्न रोगों के उपचार में काम आ सकती हैं ।मानसिक तनाव जैसी परेशानियों से इन सुगंधों से लाभ मिलता है।वस्तुतः सुगंध चिकित्सा का प्रचलन प्राचीन काल से ही चला आ रहा है।गेलेन एवं सेल्सस प्रभृति चिकित्सा विज्ञानियों ने  सुगंध  चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की।वे शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों के उपचार में विविध प्रकार के सुगंधित पुष्पों एवं जड़ी-बूटियों का उपयोग करते थे।

पिछले दिनों तत्कालीन सोवियत संघ में गंध चिकित्सा द्वारा रोग-निवारण के लिए वाक नगर ( रशियन फेडरेशन ) में एक अस्पताल खोला गया। उसमें रोगों के अनुसार रोगियों को अलग-अलग गंध वाले पुष्पों के गमलों के बीच बिठा दिया जाता है और उन्हें गहरी साँस लेकर सुगंध खींचने के लिए कहा जाता है।किस रोगी को कितनी देर तक , किस समय , किस फूल की गंध सूँघनी चाहिए-- यह उसके रोगनिदान के आधार पर किया जाता है।भिन्न-भिन्न फूलों में भिन्न-भिन्न रोगों के निवारण की क्षमता खोजी गई है और उस आधार पर गंध चिकित्सा पद्धति विकसित की गई है ।
 
आजकल वातावरण को खुशबू दार बनाने के लिए कृतिम खुशबू के भी उत्पाद मिलने लगे हैं ।यह कृतिम खुशबू वातावरण में मौजूद कार्बन-डाॅइऑक्साइड को कम करने के बजाय उसे और ज्यादा बढ़ा देती है कृतिम खुशबुओं के अधिक संपर्क में रहने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं ।

प्राकृतिक फूलों में विशेषताएँ ही विशेषताएँ हैं ।इसलिए मानव जीवन में फूलों का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है।और आज भी मानव जीवन फूलों से सुशोभित हो रहा है।

हम सभी सदा फूलों की तरह मुस्कुराते रहें ।




No comments:

Post a Comment