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Wednesday, February 19, 2020

समुद्री प्रदूषण -- समुद्रों को साफ रखना क्यों है जरूरी, समुद्री पर्यावरण को माइक्रोप्लास्टिक से नुकसान ।

   <<<<<<समुद्री प्रदूषण, समुद्र को साफ रखना जरूरी>>>>>>
सदियों से हमारा जीवन समुद्र से जुड़ा हुआ है।बिना समुद्र के पृथ्वी पर जीवन की कल्पना असंभव है अर्थात समुद्र और मानव जीवन का एक गहरा रिश्ता है ।वैज्ञानिक चेता रहे हैं कि समुद्र में प्रदूषण के कारण यह रिश्ता कमजोर हो रहा है।क्योंकि हमने समुद्र को कूड़ादान समझ लिया है, जिसमें कुछ भी फेंका और बहाया जा सकता है ।हमारी इन गलतियों से वर्तमान में समुद्री प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। अगर आज हमने समुद्र को प्रदूषित होने से नहीं बचाया तो आने वाले समय में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है ।

सभी जानते हैं कि कृषि और जीने के लिए पानी अत्यन्त आवश्यक हैं , पानी के लिए हम बरसात पर निर्भर हैं, और बरसात होने में समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।समुद्रों से गर्मी में   पानी भाप बनकर उड़ता है वही फिर बादल बनकर बरस जाता है।कहने का तात्पर्य है कि बारिश सीधे रूप से समुद्र से ही प्रभावित होती है।

समुद्री प्रदूषणके खतरों से अनजान हम समुद्र में हर तरह का कचरा फेंक रहे हैं और इसका परिणाम यह हो रहा है कि कभी हवा , तो कभी बारिश के सहारे यह कचरा हमारे पास ही वापिस   आ रहा है।

      समुद्र और जंगलों का इतना जुड़ाव है , कि समुद्र के वातावरण में पैदा हुए असंतुलन से हमारे जंगल समाप्त हो सकते हैं; क्योंकि समुद्री प्रदूषण बारिश के रूप में हमें बहुत हानि पहुँचा सकता है।हम अपनी फैक्ट्रियों में कितना पानी स्वच्छ कर पाएँगे यह तो बाद की बात है लेकिन पानी का मुख्य स्रोत तो बारिश ही है।

धरती पर उपलब्ध जल का लगभग 97 % ( प्रतिशत) जल सागरों में है और सागर हमारी धरती के लगभग 71% ( प्रतिशत) हिस्से पर है ।इसलिए सागर की उपस्थिति पर धरती का अस्तित्व निर्भर करता है ।आमतौर पर यह मान्यता है कि सागर बहुत विशाल हैं , इनमें कुछ भि डाल दिया जाए तो पर्यावरण पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा , पर वास्तविकता इसके विपरीत है।

हम यह भी नहीं जानते कि पेडों से ज्यादा ऑक्सीजन समुद्र से मिलती है और समुद्रों से ऑक्सीजन हमें तभी मिलेगी जब हम समुद्र को साफ और स्वच्छ रखकर प्रदूषित होने से बचाएँगे।
जलवायु परिवर्तन की बात करते समय भी हम यह भूल जाते हैं 
कि कार्बन पृथक्करण सबसे ज्यादा समुद्र में होता है , जंगल में नहीं ।पेड़ पौधे समग्र पर्यावरण की रक्षा के लिए  अत्यन्त आवश्यक हैं, लेकिन सबसे अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन तो समुद्र में होता है।इसलिए धरती को बचाने के लिए भी समुद्र का साफ रखना बहुत जरूरी है ।

<<<<<<समुद्री पर्यावरण को माइक्रोप्लास्टिक नुकसान>>>>>>

समुद्री पर्यावरण को माइक्रोप्लास्टिक बहुत नुकसान पहुँचा रही है।इससे सम्बंधित उदाहरण भी आए दिन देखने को मिल रहे हैं और इन सब परिस्थितियों के लिए हम मनुष्य ही जिम्मेवार हैं ।ऐसा ही एक उदाहरण---- भारत के तमिलनाडु में सन् 2007 अगस्त पंबन साउथ तट के किनारे 18 फुट लम्बी व्हेल शार्क मरी हुई मिली ।
शव परीक्षण के बाद वन्य अधिकारियों ने बताया कि उसके पाचन तंत्र में प्लास्टिक की चम्मच फँसी हुई थी।कुछ खाते हुए व्हेल शार्क के शरीर में चली गई होगी।

समद्र में प्लास्टिक पहुँचने का प्रमुख कारण शहरों के नदी-नालों का कचरा सीधे समुद्र में मिल जाना है।अनुमान है कि हर साल  13 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र के पानी में मिल जाती है।एक अध्ययन में यह पाया गया है कि 20 नदियाँ ( ज्यादातर एशिया की) दुनिया का दो तिहाई प्लास्टिक अवशिष्ट समुद्र में ले जाती हैं ।इसमें गंगा नदी भी शामिल है ।इसके लिए भी सीधे तौर पर हम जिम्मेवार हैं; क्योंकि नदियों में भी हम ही कचरा डाल रहे हैं ।

यदि प्लास्टिक- प्रदूषण से समुद्री पर्यावरण में होने वाले आर्थिक असर को देखा जाए , तो इससे पर्यटन को हुए नुकसान और समुद्री तटों की साफ-सफाई पर हुए खर्च का अनुमान प्रतिवर्ष 13 मिलियन डाॅलर लगाया गया है।

   सन् 2004 में पर्यावरण विज्ञानी रिचर्ड थाॅम्पसन द्वारा एक शब्द ' माइक्रोप्लास्टिक' का उपयोग किया गया था ।यूनिवर्सिटी ऑफ प्लिमथ के वैज्ञानिकों द्वारा किए एक अनुसंधान के अनुसार समुद्री जीव एक प्लास्टिक बैग ( किराने का सामान रखने वाला बैग) के 10 लाख माइक्रोस्कोपिक टुकड़े कर सकते हैं और जब ये माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े समुद्री जीव-जन्तुओं के आहार का हिस्सा बनते हैं, तो ये माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े उनकी मृत्यु का कारण बनते हैं । 

समुद्री वैज्ञानिकों ने इसके लिए यूरोप के उत्तरी और पश्चिमी समुद्र तटों में एंपीपोड ओर्चस्टिया द्वारा बैग के किए गए टुकड़ों का अध्ययन किया था। माइक्रोप्लास्टिक की समस्या के बारे में लोगों में अभी जागरूकता कम है, लेकिन वैज्ञानिक इसे और गहराई से जानने की कोशिश कर रहे हैं ।

जब  सन् 2018 की शुरुआत में ग्रीनपीस के एक जहाज ने अंटार्कटिका महाद्वीप से पानी के 17 नमूने लिए तो उनमें से 9 नमूनों में प्लास्टिक के टुकड़े पाए गए थे ।ओखी तूफान के कारण भी महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों के समुद्रतटीय इलाकों में प्लास्टिक के मलवों के ढेर इकठ्ठे हो गए हैं, जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है हम अपने समुद्र और पर्यावरण को क्या दे रहे हैं ।

सन् 2016 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार यह आशंका जताई जा रही है कि-- सन् 2050 तक समुद्री जल में मछलियों से भी ज्यादा प्लास्टिक हो सकती है।इन सभी अध्ययनों के आधार पर हम कह सकते हैं कि प्रकृति से हमें चेतावनियाँ मिलनी शुरु हो गई हैं ।यदि समय रहते हमने समुद्र को प्रदूषित होने से बचाने के प्रयास नहीं किए तो भयानक परिणाम सामने आ सकते हैं ।

                                           पर्यावरण संस्था 'ग्रीन पीस' के अनुसार-- हर साल लगभग 28 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसका 20 % ( प्रतिशत) हिस्सा सागर में फेंक दिया जाता है ।इस प्लास्टिक कचरे के कारण समुद्री खाद्य श्रंखला पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। समुद्री कचरा , जमीनी कचरे की तरह एक जगह इकट्ठा न होकर पूरे सागर में फैल जाता है।इसलिए यह पर्यावरण, समुद्री यातायात और मानव स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुँचाता है ।

भारत सहित 14 देशों के पीने के पानी पर किए विश्लेषण में यह पाया गया कि 83% पीने के पानी में माइक्रोप्लास्टिक शामिल है।
माइक्रोप्लास्टिक को हम आँखों से देख नहीं सकते यह हमारे पानी में भी हो सकती है और हमें इसके बारे में पता भी नहीं होगा।

ग्रीन पीस संस्था के शोध आँकड़ों के अनुसार-- प्रतिवर्ष लगभग दस लाख पक्षी और एक लाख स्तनधारी जानवर समुद्री कचरे के कारण काल का ग्रास बन जाते हैं ।हमारे देश में लगभग आठ हजार किलोमीटर लंबी समुद्र की तटरेखा पर सघन आबादी बसी हुई है ।जनसंख्या के बढ़ते  दबाव के कारण शहर अपने कचरे को सागर में डाल रहे हैं ।पिछले तीन दशकों से विश्व के बड़े देश भी अपना कचरा जहाजों में भरकर समुद्रों में डालते रहे हैं ।

विशालता के कारण समूचे सागर की सफाई संभव नहीं है ।इसलिए यह आवश्यक है कि समुद्र व सागर को कचरा निस्तारण का स्रोत न बनाया जाए, बल्कि भूमि पर ही कचरे-कूड़े के निस्तारण का उचित प्रबंध किया जाए और इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाई जाए।

 हमें समुद्री प्रदूषण व अन्य सभी प्रकार के प्रदूषणों को दूर करने के लिए प्लास्टिक का उपयोग कम करना होगा और पेड़ पौधे भी लगाने पडेंगे।नदियों और समुद्रों में कचरा डालने पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ेगा ।तभी हम समुद्र को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं ।



   "समुद्री प्रदूषण दूर भगाएँ जीवन में सुख-शान्ति लाएँ "

सादर अभिवादन व धन्यवाद ।

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