आजकल अनिद्रा अर्थात नींद न आने की समस्या एक आम बात हो गई है ।आधुनिक लोगों की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि उनकी नींद रूठ गई है और नींद की समस्या सबको जकड़ती चली जा रही है ।आज यह समस्या केवल वयस्कों एवं वृद्धों की ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी हो रही है ।
अनिद्रा एक महामारी के समान फैलती जा रही है । 10 से 30 प्रतिशत वयस्क इसकी गिरफ्त में हैं और प्रतिवर्ष इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है । 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अनिद्रा की समस्या सबसे अधिक होती है ।महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में दो गुना अधिक होती है ।आजकल व्यक्ति की औसत नींद 20 प्रतिशत घट गई है अर्थात वह कम सोता है ।विश्व में प्रत्येक तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक बार अनिद्रा रोग से पीड़ित होता है ।
अपने देश में आजकल यह समस्या बढ़ती ही जा रही है ।भारत में 6.5 प्रतिशत महिलाएँ अनिद्रा रोग से पीड़ित हैं और 4.3 प्रतिशत पुरुष भी इस रोग से पीड़ित हैं । 4 प्रतिशत लोग जो कि अवसादग्रस्त हैं, वे भी इसी रोग से पीड़ित हैं और 3 प्रतिशत चिंता के कारण इस रोग की गिरफ्त में हैं ।
विकसित देशों में लाखों लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं ।अगर यह स्थिति ऐसी ही रही तो सन् 2030 में यह आँकड़ा बढकर करोड़ों में जा सकता है कुछ विकसित देशों में तो निद्रा प्रशिक्षक की सेवाओं को लेने का चलन तेजी से जोर पकड़ता जा रहा है , इससे पता चलता है कि विकसित देशों के लोगों में अनिद्रा की समस्या बहुत ज्यादा है ।
●●● अनिद्रा रोग क्या है ? ●●●
अनिद्रा रोग उसे कहते हैं, जो हमारी निद्रा में खलल डालता है, विघ्न पैदा करता है ।सामान्य भाषा में कहें तो बहुत देर रात तक नींद न आना फिर रात की नींद पूरी न होने के कारण दिन में नींद के झोके आना , थकान और चिड़चिड़ापन बना रहना । इस कारण किसी काम में मन न लगना ।
अनिद्रा केवल एक रोग नहीं है, बल्कि अनेक रोगों का कारण भी है ।तनाव, चिंता, अवसाद, दरद , हृदय रोग, थकान आदि से इसका गहरा सम्बन्ध है ।अनिद्रा-- अल्कोहल, कैफीन एवं निकोटिन जैसे दूषित तत्वों के कारण भी पैदा होती है ।यह उन लोगों में अधिक होती है, जो रात में जागते हैं और काम करते हैं ।इससे शरीर की जैविक घड़ी (बायोलाॅजिकल क्लाॅक) में व्यतिक्रम आ जाता है और नींद के समय पर नींद नहीं आती ।वर्तमान शोध आँकड़ों के अनुसार, भारत में साठ साल की उम्र के 40 से 60 प्रतिशत लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं ।
●●● अनिद्रा के प्रकार ●●●
अनिद्रा जीवनशैली के दुष्प्रभावित होने से होती है ।अनिद्रा तीन प्रकार की होती है ।
1● ट्रांजिएंट अनिद्रा -- यह अनिद्रा पैदा होती है - वातावरण के बदल जाने से, नींद का समय बदल जाने से, अवसाद और तनाव से ।यह तब पैदा होती है, जब व्यक्ति सप्ताह भर नींद की समस्या से जूझता है ।
2 ● एक्यूट अनिद्रा -- एक्यूट निद्रा तब पैदा होती है, जब व्यक्ति एक महीने तक नींद की समस्या से परेशान होता है । यह रोग एक महीने तक नींद की समस्या से परेशान होता है ।सोने के लिए कोई समस्या नहीं होने के बावजूद नींद नहीं आती है और तरह-तरह की कल्पनाएँ आने लगती हैं ।इसे तनावजन्य अनिद्रा रोग भी कहते हैं ।
3 ● क्राॅनिक अनिद्रा -- क्राॅनिक अनिद्रा एक माह से ज्यादा नींद न आने के कारण होती है ।इसमें शरीर के हाॅर्मोनों में असंतुलन पैदा हो जाता है ।यह मानसिक थकान, भ्रम एवं मांसपेशियों की शिथिलता के कारण पैदा होती है
●●● अनिद्रा के लक्षण ●●●●
अनिद्रा के कई प्रकार के लक्षण होते हैं, जैसे --- नींद आने में समस्या खड़ी होती है , उठने के बाद भी नींद-सी स्थिति बनी रहती है , ताजगी का अनुभव नहीं होता , तनाव एवं चिड़चिड़ापन बना रहता है ।रात में अचानक नींद खुल जाती है और घंटों तक नहीं आती है ।नींद आते-आते दो -तीन बज जाते हैं ।नींद गहरी नहीं आती है ।प्रातः जल्दी नींद खुल जाती है और फिर नींद नहीं आती है ।
●●● अनिद्रा के कारण ●●●
अनिद्रा रोग के वैसे तो अनेक कारण हैं ; फिर भी इस समस्या के पीछे हमारी बुद्धि है , जो अनिद्रा जैसे रोग को बढ़ावा देती है ।बुद्धि हमारी समस्याओं को बढ़ा देती है , समाधान नहीं देती ।जब तक हम सोचते रहते हैं, तब तक हमें नींद नहीं आती है । हम विचारों में उलझे रहते हैं, बुद्धि में विचरण करते रहते हैं ।बुद्धि की सक्रियता के कारण नींद विलुप्त हो जाती है ।
जब तक हमारे दिमाग में कल्पनाएँ और विचार स्पंदित होते रहते हैं, तब तक हम सो नहीं पाते हैं ।जब कल्पनाएँ गिर जाती हैं और विचार उठना बन्द हो जाते हैं तो कब हमें नींद आ जाती है हमें पता ही नहीं चलता ।हृदय केंद्र पर जैसे ही हमारी चेतना प्रवेश कर जाती है तो नींद आ जाती है ।हृदय का मतलब यहाँ पर बायोलाॅजिकल हार्ट नहीं है ।हृदय का मतलब है रीढ़ की हड्डी में जो हृदय केंद्र है, छाती के मध्य में जो स्थान है , वह हृदय केंद्र ।
जब चेतना हृदय में प्रवेश कर जाती है तो तन भी सो जाता है और मन भी सो जाता है ।ऐसी स्थिति में गहरी नींद आती है और इसे ही योगशास्त्र में सुषुप्ति कहते हैं ।सुषुप्ति परम विश्रांति है ।इस प्रकार की नींद से रोग दूर होते हैं, हमें ऊर्जा मिलती है , हमें ताजगी मिलती है ।
नींद देर से आने का एक कारण है कि शारीरिक श्रम कम करना ।आजकल की जीवनशैली में शारीरिक श्रम कम होता है ।घरों में अनेक बिजली के उपकरण आ गए हैं - जैसे कपड़े धोने की मशीन आदि ।कहने का तात्पर्य यह है कि बहुत से घरेलू काम जो हाथ से होते थे ,अब मशीनों से होने लगे हैं ।स्वाभाविक है कि शरीर यदि थका होगा तो उसे नींद आने में समस्या नहीं होगी ।
●●● अनिद्रा रोग दूर करने का यौगिक समाधान ●●●
अनिद्रा रोग को दूर करने का सर्वोत्तम समाधान है---- हृदयचक्र पर ध्यान करना ।बुद्धि से हृदय की ओर जाने के इस ध्यान में अनिद्रा टिक नहीं सकती ।शांत होकर , स्थिर होकर हृदय चक्र पर ध्यान करने से बुद्धि की उधेड़बुन शांत हो जाती है और परम विश्रांति का एहसास होता है ।यह जितना गहरा होता है, नींद भी उतनी गहरी होती जाती है ।अनुभवी जनों का मानना है कि इस प्रयोग से दस मिनट की गहरी नींद से तीन-चार घंटे की ताजगी मिल सकती है ।
शवासन व योगनिद्रा आदि भी कुछ ऐसी यौगिक तकनीकें हैं, जिनसे व्यक्ति कम समय में थकानमुक्त होकर तरोताजा महसूस कर सकता है और आजकल की व्यस्त जीवनशैली में कम समय में बिना किसी तनाव के आसानी से अपनी नींद पूरी कर सकता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद भी आवश्यक है इसलिए हमें उचित शारीरिक श्रम भी करना चाहिए और योग का सहारा भी लेना चाहिए ।यदि जीवन में हम चिंतामुक्त होना, निर्विचार होना सीख जाएँगे तो नींद की समस्याओं से आसानी से मुक्त हो जाएँगे ।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
तनाव ग्रस्त जीवन
ReplyDeleteभौतिक विलासिता की चीजों का देखा देखिए अनुसरण
उनको पाने के लिए अपना सामाजिक स्तर सुधार ने की उधेड़बुन में तनाव ग्रस्त जीवन के कारण अनिद्रा की स्थिति बनती है