head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): भारतीय रसोईघर व स्वास्थ्य, रसोईघर की साफ-सफाई,खाद्य सामग्री का रखरखाव, किस प्रहर में कैसा आहार करें, मन के भावों का भोजन पर प्रभाव ।

Tuesday, November 24, 2020

भारतीय रसोईघर व स्वास्थ्य, रसोईघर की साफ-सफाई,खाद्य सामग्री का रखरखाव, किस प्रहर में कैसा आहार करें, मन के भावों का भोजन पर प्रभाव ।

            ●●● भारतीय रसोईघर व स्वास्थ्य ●●●
भारतीय घरों में रसोई का अति महत्वपूर्ण स्थान है ; क्योंकि यह वह स्थान है , जहाँ से पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है और परिवार के सभी सदस्यों के  स्वास्थ्य का निर्धारण भी होता है ।इसीलिए रसोई एक ऐसा स्थान है, जहाँ सबसे अधिक साफ-सफाई की जरूरत होती है; क्योंकि यह स्थान सबसे अधिक प्रयोग में आता है और यदि यहाँ सफाई न हो तो स्वास्थ्य बढ़ाने के स्थान पर बीमारियाँ फैलाने का स्रोत बन जाता है ।
         
         ●●● रसोईघर की साफ-सफाई ●●●

सदियों से घर के बड़े बुजुर्गों ने रसोईघर की स्वच्छता व साफ-सफाई पर बहुत जोर दिया है ।स्नान करके ही इस स्थान पर प्रवेश करने व भोजन पकाने की अनुमति रही है ।बरतनों की साफ-सफाई, उनकी सुव्यवस्था, अन्न , सब्जियाँ, मसाले व अन्य आवश्यक सामग्रियों का भली प्रकार रखरखाव , समय-समय पर उनका निरीक्षण , आवश्यकतानुसार उनके संग्रह व क्रय आदि पर भी विशेष ध्यान रखने को कहा गया है ।

आधुनिक समय की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है तो रसोईघर में भी बदलाव स्वाभाविक है ।बदलते समय के साथ रसोईघर में कुकिंग गैस, प्रेशर कुकर  व अन्य  बिजली उपकरणों का समावेश हो गया है ।जिनका उपयोग करने में बहुत सावधानी व रखरखाव की जरूरत है ।

पहले बरतन मिट्टी से साफ किए जाते थे आजकल बरतन साफ करने के लिए तरह-तरह के डिटरजेंट बाजारों में मिलने लगे हैं ।बरतनों की सफाई में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि उनमें डिटर्जेंट का अंश न रहे ।
    
रसोईघर में मक्खियाँ, काॅकरोच व अन्य कीड़े आदि न पनपने
 पाएँ , इसका विशेष ध्यान रखा जाए ।रसोईघर में उपयोग आने वाले उपकरणों, जूठे बरतन , फ्रिज , डस्टबिन, रसोई में इस्तेमाल होने वाले कपड़े आदि भी नियमित साफ किए जाएँ जिससे उनमें बैक्टीरिया न पनपें।

वैसे तो रसोईघर में चप्पल का प्रवेश वर्जित होना चाहिए, लेकिन आज के समय में शायद बिजली उपकरणों के कारण या अन्य कारणों से चप्पल का इस्तेमाल जरूरी हो तो रसोईघर की अलग चप्पल रखनी चाहिए ।

 ●रसोईघर में प्रयुक्त होने वाली खाद्यसामग्री का रखरखाव●

अच्छे स्वास्थ्य के लिए रसोईघर की साफ-सफाई व सजावट के साथ-साथ रसोईघर में प्रयुक्त होने वाली खाद्यसामग्री का उचित रखरखाव  व समयानुसार उनका प्रयोग आवश्यक है अन्यथा वे उपयोग के लायक नहीं रह जातीं ।रसोईघर में जो सूखी खाद्य सामग्रियाँ होती हैं उन्हें सदा सूखे डिब्बों में ही रखनी चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनमें किसी भी तरह की नमी न होने पाए इसलिए गीले हाथों से सामग्री न निकालें और न ही उन्हें निकालने के लिए गीली चम्मच आदि का इस्तेमाल करें ; क्योंकि जरा सी भी नमी खाद्य सामग्री को खराब कर सकती है ।

भोजन बनाने में प्रयुक्त सब्जियों को अच्छी तरह धोना अति आवश्यक है , लेकिन कुछ सामग्रियाँ जो सूखी होती हैं उन्हें छान-बीन कर ही डिब्बों में रखना चाहिए व भोजन बनाते समय भी एक बार पुनः ध्यान कर लेना चाहिए क्योंकि कभी-कभी सामग्रियों में कीड़े भी लग जाते हैं।

भोजन में पोषक तत्व बने रहें इसलिए जहाँ तक हो सके , ताजी सब्जियों का ही भोजन बनाने में उपयोग किया जाए।कई दिनों तक रखी हुई सब्जियों में स्वाद व पोषक तत्व , दोनों की ही कमी हो जाती है । भोजन बनाने में चोकर वाला आटा व हरी पत्तेदार सब्जियों आदि का यदि भोजन बनाने में प्रयोग हो व भरपूर मात्रा में इनका सेवन हो तो अलग से फाइबर की जरूरत नहीं पड़ती ।ठंडी-गरम आदि विपरीत प्रकृति वाली चीजों को एक साथ न खाया जाए ।साथ ही मौसमी ताजे फलों व सब्जियों को अपने भोजन में अवश्य शामिल करें ।

    ●●●किस प्रहर में कैसा आहार ग्रहण करें ●●●

भारतीय संस्कृति में आहार ग्रहण करने में समय का भी अत्यन्त महत्व है। आयुर्वेद के अनुसार दिन में जब वातावरण गरम होता है, तब शरीर की पाचनशक्ति भी तीव्र रहती है ।इस आधार पर हम अपने शरीर की  जरूरत व माँग के हिसाब से दिन में तीन या चार बार आहार ग्रहण कर सकते हैं ।

●सुबह--   स्वल्पाहार (सुबह का नाश्ता) का समय होता है ,इस प्रहर में हल्की धूप होती है, इस समय फल, दूध, अंकुरित अनाज, दलिया आदि लिया जा सकता है ।
●दोपहर-   इसके चार या पाँच घंटे बाद दोपहर के भोजन का समय होता है ।इस प्रहर में वातावरण गरम होता है और शरीर की पाचनशक्ति भी तीव्र होती है, इसलिए इस समय संपूर्ण आहार ले सकते हैं ।
●शाम  -- शाम के समय फलों का ज्यूस, सब्जियों का सूप, तुलसी, अदरक, कालीमिर्च आदि से बनी हर्बल चाय या इनके विकल्प के रूप में  अपनी रुचिअनुसार अल्प आहार ग्रहण कर सकते हैं ।
●रात्रि  --- रात्रि का भोजन ऐसा होना चाहिए, जो गरिष्ठ न हो, आसानी से पचने योग्य हो ।जो लोग रात्रि के समय कार्यस्थल पर जाते हों उन्हें अपनी नींद का विशेष ध्यान रखना चाहिए उन्हें  रात्रि में अधिकतम 9 से 10 के बीच भोजन कर लेना या शाम को 5 से 6 के बीच भोजन करके ही अपने कार्यस्थल में जाना चाहिए ।

●भोजन पकाते समय मन के भावों का भोजन पर प्रभाव●

भोजन बनाते समय, बनाने वाले के मन के जो भाव होते हैं, उन भावों का भी भोजन पर असर पड़ता है अतः भोजन बनाते समय , परोसते समय मन को शांत व प्रसन्न रखना चाहिए ।जब भोजन पकाते समय हमारे मन के भाव अच्छे होंगे तो वह भोजन ग्रहण करने वाले को भी प्रसन्नता प्रदान करेगा ।

भोजन , बनाते व पकाते समय , परोसते समय व खाते समय हमारे मन में क्या भाव हैं--- इनका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है ।ये भाव हमारे स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करते हैं ।कहा भी गया है-- जैसा खाएँ अन्न , वैसा बने मन ।अतः किसी कारणवश यदि व्यक्ति की मनोदशा कुप्रभावित है तो उसे सही व सामान्य करने के बाद ही भोजन करना चाहिए ।

       भोजन करते समय मन को प्रसन्न रखना चाहिए और इस वक्त अन्य काम नहीं करने चाहिए-- जैसे मोबाइल पर बात करना, टीवी देखना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए । भोजन बहुत जल्दी-जल्दी भी नहीं करना चाहिए , भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए । जल्दी-जल्दी कम चबाया हुआ भोजन हमें अपनी पौष्टिकता नहीं दे पाता ।

भोजन की पौष्टिकता ग्रहण करने के लिए और उसे आसानी से पचाने के लिए भोजन को अच्छी तरह चबा कर खाना चाहिए ।आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि जल भी पिया जाए तो उसे भी धीरे-धीरे पीना चाहिए ; क्योंकि जब हमारे ग्रहण किए जाने वाले भोजन व पेय पदार्थों में लार का सम्मिश्रण होता है तो रासायनिक क्रियाओं द्वारा उनमें आश्चर्यजनक परिवर्तन हो जाता है और वह पाचन में मदद करके हमें स्वास्थ्य लाभ पहुँचाता है ।

         हमारे पूर्वजों ने कहा है ---- लंबी उम्र जीने के दो ही रहस्य हैं--- कठोर परिश्रम करना और बिना कड़ी भूख लगे कुछ न खाना ।क्योंकि कड़ी भूख लगने पर खाना अधिक स्वादिष्ट लगने लगता है ।

अतः अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमारा रसोईघर अच्छी तरह साफ व व्यवस्थित होना आवश्यक है साथ ही खाद्य सामग्रियाँ भी साफ होनी जरूरी हैं एवं भोजन सही समय पर , सही मात्रा व कुछ आयुर्वेद के नियमों के अनुसार ग्रहण किया जाए ।इसलिए यह सत्य ही है कि हमारी रसोईघर का हमारे स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है ।

सादर अभिवादन व धन्यवाद ।

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