प्रकृति शब्द अद्भुत है ।भारत, भारतीय संस्कृति व भारतीय मनीषा ने इसे गढ़ा है ।'प्रकृति' यह अनूठा शब्द दुनिया की किसी दूसरी भाषा में नहीं है ।अंग्रेजी भाषा में प्रायः प्रकृति शब्द का अनुवाद नेचर (nature) या क्रिएशन (creation) के रूप में किया जाता है ।जब कि ये दोनों शब्द प्रकृति का ठीक-ठीक परिचय देने व इसे परिभाषित करने में असमर्थ हैं ।
प्रकृति शब्द का अर्थ है--- कृति से पहले ।इस तरह प्रकृति का अनुवाद हुआ -- प्रि क्रिएशन ।प्रकृति शब्द बेजोड़ है ।प्रकृति का अर्थ है -- कृति से पहले यानी कि जब कुछ भी नहीं था , तब भी जो था ।जब कुछ भी विनिर्मित नहीं हुआ था, तब भी जो था -- प्रि -क्रिएशन ।सृजन होने से पहले किसी की शाशवत उपस्थिति रही, वही प्रकृति है ।इसलिए प्रकृति को क्रिएशन से परिभाषित करना संभव नहीं है ।इसी तरह नेचर (nature)भी नहीं कहा जा सकता ; क्योंकि नेचर तो वह है, जो हमें दिखाई पड़ रहा है ।
प्रकृति शब्द, सांख्य दर्शन का विलक्षण शब्द है ।सांख्य दर्शन ने और विशेषज्ञ व्याख्यारों ने इसे परिभाषित करते हुए कहा है -- जो कुछ दिखाई पड़ रहा है, वह जब नहीं था और जिसमें छिपा था, उसका नाम प्रकृति है ।जो कुछ दिखाई पड़ रहा है , जब सब मिट जाएगा और उसी में डूब जाएगा, जिससे निकला है, उसका नाम प्रकृति है ।तो इस तरह से प्रकृति वह है, जिसमें से सब निकलता है और जिसमें सब विलीन हो जाता है ।सभी रूप व आकारों के उद्गम व विसर्जन का स्थान है -- प्रकृति ।
●भगवान श्री कृष्ण के अनुसार प्रकृति-- श्री भगवान कहते हैं-- प्रकृति और पुरुष, ईश्वर और शक्ति, माया और ब्रह्म दोनों अनादि हैं ।इनका न तो आरंभ है और न अंत, न इनकी उत्पत्ति है और न विनाश ।भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं--- ये दोनों अनादि हैं ।प्रकृति भी अनादि है और पुरुष भी अनादि है ।यह जगत भी अनादि है और विधाता भी अनादि है ।इनमें से किसी ने किसी को नहीं बनाया ।हाँ, ये कभी दृश्य होते हैं तो कभी अदृश्य, कभी प्रकट होते हैं तो कभी अप्रकट ।लेकिन न तो कुछ मिटता है और न कुछ बनता है ।
सृष्टि में परिवर्तन होता है, रूपांतरण होता है, लेकिन मूलतत्व यथावत् रहता है ।दृश्य और अदृश्य दोनों की उपस्थिति बनी रहती है ।यह दृश्य और अदृश्य होना, प्रकट और अप्रकट होना एक विधि है , एक व्यवस्था है ।इसीलिए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि प्रकृति और पुरुष दोनों अनादि हैं ।दृष्टा और दृश्य, दोनों का कोई भी आदि और अंत नहीं है ।
तथ्यपूर्ण पोस्ट , सादर प्रणाम आदरणीया 🙏🌺
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण