head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नाॅस्त्रेदेमस, जीवन परिचय ,भविष्यवाणियों का संग्रह व लेखन विधि, प्रसिद्ध भविष्यवाणियाँ , भविष्यवक्ता ' कीरो ' ( विलियम वार्नर )

Thursday, May 7, 2020

फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नाॅस्त्रेदेमस, जीवन परिचय ,भविष्यवाणियों का संग्रह व लेखन विधि, प्रसिद्ध भविष्यवाणियाँ , भविष्यवक्ता ' कीरो ' ( विलियम वार्नर )

        ●●●  नाॅस्त्रेदेमस का जीवन परिचय ●●●
 विश्व इतिहास में ऐसे अनेक भविष्यवक्ता हुए हैं, जिनकी भविष्यवाणियों की सत्यता समय ने प्रमाणित की।ऐसे ही भविष्यवक्ताओं में फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नाॅस्त्रेदेमस का नाम आता है। इनका जन्म 14 दिसम्बर 1503 को रेमी दे प्रोवे नामक कस्वे में हुआ था। नाॅस्त्रेदेमस किशोरावस्था से ही भविष्यवाणियाँ करने लगे थे । किशोरावस्था से ही इनकी भविष्यवाणियाँ ख्याति प्राप्त करने लगी थीं ।

नाॅस्त्रेदेमस के पिता क्षेत्र के प्रसिद्ध चिकित्सक थे ,इसलिए 15 वर्ष की उम्र में नाॅस्त्रेदेमस को एविनिऑन विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान के पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया ।एक दिन उन्होंने अपने मित्र से बातचीत के दौरान कहा कि मैं इस विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाऊँगा।उनकी यह बात सच साबित हुई और शहर में प्लेग फैल जाने के कारण उनको माॅटेपियेर विश्वविद्यालय जाकर अपनी शिक्षा पूर्ण करनी पड़ी ।यहीं से उनके भविष्य दर्शन के दौर की शुरुआत हुई ।

●● नाॅस्त्रेदेमस की भविष्यवाणियों का संग्रह, लेखन विधि●●

नाॅस्त्रेदेमस की प्रथम पुस्तक "अल्मेनक"  रातोंरात प्रसिद्ध हो गई ।अल्मेनक की सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक "ले प्राॅफीसे" लिखी , जिसमें 6338 प्राॅफिसिज या भविष्यवाणियों का संकलन है।कालांतर में इनमें से कई भविष्यवाणियाँ लुप्त या नष्ट हो गईं, पर जितनी भी भविष्य वाणियाँ उपलब्ध हैं, वे सभी समय-समय पर विश्व भर में उत्सुक लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं ।

माना जाता है कि नाॅस्त्रेदेमस ध्यान की चरम अवस्था में स्थित होकर जो दृश्य देखते थे , उन्हें ही लिपिबद्ध कर लेते थे और वे कथन ही भविष्यवाणियों के नाम से विख्यात हुए।नाॅस्त्रेदेमस के लेखन में चार से ज्यादा भाषाओं का समावेश होने के कारण एवं लिखने का तरीका अत्यन्त रहस्यमय होने के कारण उनकी भविष्यवाणियों का सीधा अर्थ निकाल पाना संभव नहीं हो पाया है। आज नाॅस्त्रेदेमस की पुस्तक पर विश्व भर में 2000 से ज्यादा टिप्पणियाँ उपलब्ध हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि उनके एक कथन के कितने अलग-अलग अर्थ निकाले जा सकते हैं।

       ●●●नाॅस्त्रेदेमस की प्रसिद्ध भविष्यवाणियाँ●●●
नाॅस्त्रेदेमस द्वारा की गईं प्रसिद्ध भविष्यवाणियों में लंदन की भीषण आगजनी , नैपोलियन के उत्थान और पतन , हिटलर की मृत्यु, प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्धों से लेकर 11 सितंबर को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले सम्मिलित हैं ।नास्त्रेदेमस की भविष्यवाणियों का अध्ययन करने पर अनेक विशेषज्ञों का मत है कि नाॅस्त्रेदेमस ने 21वीं सदी में भारत के पुनरुत्थान की एवं विश्वशक्ति बनने की घोषणा की है, जिस संभावना को कदापि नकारा नहीं जा सकता ।

नाॅस्त्रेदेमस ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में घोषणा की कि 21वीं सदी नई सदी होगी और इस सदी में यूरोप अपने पुराने धर्म को त्यागकर नए धर्म को अंगीकार करेगे तथा एक आध्यात्मिक नेता सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करेगा ।कौन जाने कि कल का सूर्य यही समाचार लेकर आ रहा हो।

 सारे विश्व का भविष्य देखन वाले नाॅस्त्रेदेमस की मृत्यु भी उनकी स्वयं की भविष्यवाणी से हुई ।कहते हैं कि 2 जुलाई, 1566 की रात को उन्होंने अपने सबसे विश्वस्त साथी एवं शिष्य शेविनी को कहा कि कल सुबह हमारी-तुम्हारी मुलाकात नहीं हो पाएगी।अगली सुबह नाॅस्त्रेदेमस अपने कक्ष में मृत पाए गए ।

 ●● आयरिश भविष्यवक्ता 'कीरो' ( विलियम वार्नर )

प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं में एक नाम आयरिश भविष्यवक्ता विलियम वार्नर का आता है, जो कीरो के नाम से प्रसिद्ध हुए।सर्वविदित है कि कीरो का हस्तरेखा ज्ञान भारत देश में ही विकसित हुआ जहाँ उन्होंने कोंकणी विद्वान "श्री नारायण जोशी " 
से हस्तरेखा विज्ञान का ज्ञान प्राप्त किया ।लेटिन भाषा में "कीरो" शब्द का अर्थ हाथ की रेखाओं का ज्ञान है।

भविष्यवक्ता कीरो ने अनेक भविष्यवाणियाँ कीं ,जो सच निकलीं ।कीरो की भविष्यवाणियों से लाभान्वित लोगों की कड़ी में विख्यात साहित्यकार मार्क ट्वेन, जासूस माताहारी, ऑस्कर वाइल्ड, प्रसिद्ध वैज्ञानिक थाॅमस एडीसन से लेकर इंग्लैंड के राजा एडवर्ड सप्तम का नाम आता है , जिनके सम्राट बनने की एकदम सही घोषणा भविष्यवक्ता कीरो ने की थी ।

                                  आचार्यों के अनुसार भूत और भविष्य का ज्ञान और कुछ नहीं, वरन् मनुष्य के कर्मों और संस्कारों का सम्यक ज्ञान है ।चित्त का परिष्कार करते हुए जब मनुष्य उस अवस्था में पहुँचता है , जहाँ उसे अपने एवं अन्य के द्वारा किए गए शुभ-अशुभ कर्मों का पूर्ण ज्ञान हो जाता है तो उसी गणना के आधार पर उस व्यक्ति के अतीत और भविष्य का सही आंकलन कर पाना संभव हो पाता है ।

सादर अभिवादन व धन्यवाद ।

2 comments:

  1. बहुचर्चित शख्सियत की भविष्यवाणी और जीवनगाथा से परिचय कराने के लिए धन्यवाद आपका 🙏

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  2. आपको सादर अभिवादन व जय श्री कृष्ण ।

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