विश्व में चट्टानों को काटकर या तराशकर बनाई गई गुफाओं की कमी नहीं ।भारत में भी अनेक गुफा मंदिर हैं। राॅक कट स्थापत्य जितना भारत में प्रचलित रहा है, उतना शायद ही विश्व के किसी कोने में रहा हो।भारतीय गुफा मंदिर आध्यात्मिक, ऐतिहासिक व कलात्मकता की दृष्टि से अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं ।भारत के गुफा मंदिर भारत के प्राचीन कलाकारों की अविश्वसनीय उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनेस्को द्वारा भारत के कई गुफा मंदिरों को वैश्विक सांस्कृतिक धरोहरों के रूप में सम्मानित किया गया है ।
निस्संदेह भारत के गुफा मंदिरों का संसार अद्भुत, रोचक व रोमांचकारी है।जिनका राॅक कट स्थापत्य विविधतापूर्ण एवं अत्यन्त समृद्ध है।हमारे लिए बड़े गर्व का विषय है कि हमारे गुफा मंदिर विश्व भर की प्राचीन संस्कृतियों की आश्चर्यजनक उपलब्धियों में शुमार हैं ।
●●● भारतीय प्रसिद्ध गुफा मंदिरों का वर्णन ●●●
1-- ●●● बिहार की बाराबर गुफाएँ-●●●
बिहार की बाराबर गुफाएँ भारत की सबसे प्राचीन राॅक कट गुफाएँ हैं। ये बिहार में गया से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित हैं।इन गुफाओं का निर्माण तीसरी सदी ईसा पूर्व प्रारंभ हो गया था , जिन्हें अधिकांशतः 322 से 185 ईसा पूर्व मौर्यकाल में पूरा किया गया।वृहत् ग्रेनाइट चट्टानों से तराशी गईं इन गुफाओं को देखकर लगता है कि जैसे ये लेजर से तराशी गईं हों।
ये गुफाएँ बौद्ध धर्म से जुड़ी रहीं, लेकिन जैन धर्म की गुफाएँ भी यहाँ विद्यमान हैं, जो उस काल की धार्मिक सहिष्णुता को उजागर करती हैं ।कुछ गुफाओं में अशोक के शिलालेख भी निहित हैं ।इन्हें बौद्ध भिक्षुओं एवं जैन साधकों द्वारा पूजा एवं आवास केंद्र के रूप में प्रयुक्त किया गया है।
2-- ●●● एलीफेंटा गुफाएँ मुंबई ●●●
मुंबई के इंडिया गेट से दस किमी दूर टापू पर स्थित एलीफेंटा गुफाएँ भी स्वयं में उल्लेखनीय हैं, जो प्रमुखतया भगवान शिव को समर्पित हैं, जिन्हें हिंदू कालाचुरी राजाओं द्वारा छठी शताब्दी के मध्य तक तैयार किया गया था।इन गुफाओं में अधिक जानकारियाँ नहीं हैं, लेकिन इन गुफाओं की विलक्षण कलात्मकता देखकर प्राचीन कलाविदों की अद्भुत प्रतिभा का परिचय मिलता है।
इस टापू का नाम मूलतः धारापुरी था, जिसे पुर्तगालियों द्वारा एलीफेंटा नाम दिया गया ; क्योंकि उन्हें यहाँ पहुँचने पर पत्थर के बने हुए बड़े हाथी दिखे थे।इस टापू में पाँच हिन्दू तथा दो बौद्ध मंदिर हैं ।इसमें सबसे रोचक एवं प्रभावशाली महान गुफा है, जिसमें कलात्मक गुणवत्ता से भरपूर कई संरचनाओं के बीच 6.1 मीटर ऊँची भगवान शिव की प्रख्यात त्रिमूर्ति उल्लेखनीय एवं दर्शनीय है।साथ ही यहाँ अर्द्धनारीश्वर, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाते हुए तथा नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं ।
3-●● उड़ीसा में उदयगिरि व खंडागिरि पहाड़ी की गुफाएँ●●
उदयगिरि एवं खंडागिरि के पास दो पहाडियों में 27 राॅक कट जैन मंदिर बने हुए हैं, जिन्हें पहली सदी ईसा पूर्व की मानी जाती हैं ।इनमें से कुछ गुफाएँ तो प्राकृतिक हैं और कुछ तराशी गईं हैं ।ये गुफाएँ ऐतिहासिक,धार्मिक एवं स्थापत्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।ये दो पहाड़ियाँ पूर्वी भारत के स्थापत्य, कला एवं धर्म-क्षेत्र में जैन राॅक कट स्थापत्य के सबसे प्राचीन समूह का प्रतिनिधित्व करती हैं ।
इन गुफाओं के अभिलेखों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि ये गुफाएँ कलिंग के प्रसिद्ध राजा खारवेल द्वारा सर्वप्रथम तराशी गईं थीं और उसके बाद प्रथम ईसापूर्व काल में उसके जैनभक्त शासकों द्वारा आगे बढ़ाया गया ।इनमें से आज कुछ हिंदू मंदिर हैं । इन गुफाओं में सबसे अधिक प्रभावी है रानी गुफा ( नं .1 ), जो अद्भुत नक्काशी वाली दो मंजिला संरचना है। व्याघ्र गुफा ( नं.10)
का द्वार अद्भुत एवं दर्शनीय है। हाथी गुफा ( नं. 14 ) राजा खारवेल के शासन की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारियों से भरी हैं ।
4-- ●●● कान्हेरी गुफाएँ मुंबई ●●●
कान्हेरी गुफाएँ, मुंबई शहर के बाहर स्थित संजय गाँधी राष्ट्रीय पार्क के जंगल में स्थित अद्भुत एवं दर्शनीय 109 गुफाओं का समूह है, जिन्हें बौद्ध मंदिर एवं मठ के रूप में प्रथम सदी ईसा पूर्व से नौवीं ईसवी तक तराशा गया ।आज तो ये मुंबई शहर के छोर पर स्थित हैं, लेकिन 2000 वर्ष पहले वीरान जंगलों का क्षेत्र रहा होगा। जब बौद्ध भिक्षुओं ने वीरान जंगलों में बनी इन गुफाओं में रहना शुरू किया, तो व्यापारियों को राहत मिली और उन्होंने फिर वसाल्ट चट्टानों को काटकर कमरे तराशने शुरु किए ।
कान्हेरी गुफाओं में सबसे महत्वपूर्ण कार्य यहाँ पाँचवीं एवं छठी शताब्दी के मध्य हुए , जब इन गुफाओं को मौर्य एवं कुशाणकाल में शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया गया ।यहाँ की गुफा नं 3 में सात मीटर ऊँची बुद्ध भगवान की प्रतिमा दर्शनीय है। यहाँ की अधिकांश गुफाएँ मठ का हिस्सा रही होंगी ; जहाँ रहने , अध्ययन करने व ध्यान करने की व्यवस्था थी।पूजा के लिए यहाँ चट्टानों को काटकर बनाए गए स्तूप भी हैं ।
5--- ●●● बादामी गुफा मंदिर कर्नाटक ●●●
बादामी गुफा मंदिर, चालुक्य राजाओं द्वारा छठी-सातवीं सदी में अपनी सत्ता की शक्ति के प्रतीक के रूप में बनाए गए थे।ये गुफा मंदिर कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में जिला बागलकोट में हैं ।यहाँ चार गुफा मंदिर हैं, जिनमें तीन हिंदू तथा एक जैन मंदिर है।सौन्दर्य से भरपूर ये गुफाएँ भारतीय कला एवं वास्तु शिल्प में चालुक्य शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
बादामी गुफा मंदिरों के भित्तिचित्रों में की गई बारीक नक्काशी इस काल की संस्कृति का परिचय देती है।बादामी गुफाएँ शासकों की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाती हैं, जिसमें हिंदू , बौद्ध एवं जैन धर्म साथ-साथ पनपे ।गुफा नं. 1 भगवान शिव के लिए समर्पित है, गुफा 2 और 3 भगवान विष्णु के लिए तथा गुफा नं. 4 में जैन मंदिर हैं ।
6-- ●●● भाजा गुफाएँ, महाराष्ट्र ●●●
भाजा गुफाएँ 22 गुफाओं का समूह है , जो दो सौ ईसा पूर्व निर्मित की गईं थीं ।ये गुफाएँ बौद्ध धर्म को समर्पित हैं ।महाराष्ट्र पूणे में लोनावाला के समीप स्थित इन गुफाओं में बृहत् चैत्यगृह , एक प्रार्थना कक्ष तथा एक कोने में बना स्तूप है।यहाँ की अन्य प्रसिद्ध संरचना 14 स्तूपों का समूह है , जिसमें 5 स्तूप अंदर हैं तो 9 स्तूप बाहर ।इनमें 12 नं. की गुफा सबसे प्रभावशाली है , यह भारत का सबसे बड़ा चट्टानों से बना हुआ मंदिर है।
7-- ●●● मशहूर राॅक कट मंदिर , काँगड़ा ●●●
मशहूर राॅक कट मंदिर ,काँगड़ा---- आठवीं और नौवीं सदी में काँगड़ा घाटी के सेंडस्टोन ( बलुआ पत्थर) रिज को तराशकर पिरामिड आकार के दर्जनों मंदिर बनाए गए, जिनमें जटिल नक्काशी की गई है ।एक ही चट्टान से तराशे मंदिर समूह के कारण इसे मिनी एलोरा भी कहा जाता है ।इनके सामने एक बहुत बड़ा 50 मीटर लंबा तालाब है, जिसमें मंदिर का अक्स परछाईं के रूप में सदा दीखता रहता है।संभवतः यह भारतीय नागर शैली के स्थापत्य का प्राचीनतम नमूना है। माना जाता है कि 1905 के भयावह काँगड़ा भूकंप में मंदिर का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था।
8--- ●●● महाबलीपुरम के पंचरथ राॅक कट मंदिर ●●●
महाबलीपुरम के पंचरथ भी दक्षिण भारत की स्वयं में अद्भुत संरचनाएँ हैं ।चट्टानों से तराशे गए मंदिर एवं पशुओं ( शेर,हाथी, नंदी) के स्थापत्य एक ही चट्टान से तराशे गए हैं, जिनको सातवीं सदी का माना जाता है ।यह प्राचीन पल्लव साम्राज्य की प्राचीन मंदिर नगरी महाबलीपुरम के नाम से प्रख्यात है।पंचरथ राॅक कट स्थापत्य का यह एक बहुत ही दुर्लभ उदाहरण है ; जहाँ भवन का बाहरी एवं भीतरी भाग -- सब एक ही चट्टान से तराशे गए हैं ।
9-- ●●● कार्ला गुफाएँ, महाराष्ट्र ●●●
कार्ला गुफाएँ, महाराष्ट्र के लोनावाला में स्थित हैं ।ये भारत के सबसे प्राचीन गुफा मंदिरों में से हैं तथा हिंदू और बौद्ध गुफा स्थापत्य का प्रतिनिधित्व करते हैं ।ये भारत के सबसे विलक्षण राॅक कट चैत्य हैं ।बौद्ध धर्म को समर्पित इन गुफाओं का निर्माण 120 ईसा पूर्व किया गया , जो दूसरी सदी ईसवी तक चलता रहा ।कुछ कार्य पाँचवीं से दसवीं सदी तक चले ।अत्यन्त प्राचीन होते हुए भी इनकी कलात्मक बारीकियाँ बहुत उन्नत किस्म की हैं ; जो प्राचीनकला के श्रेष्ठ उदाहरणों में से हैं ।
यहाँ पर भारत का सबसे बड़ा राॅक कट हाल बना है ; जिसे पहली सदी ईसा पूर्व बनाया गया, जो 45 मीटर लंबा एवं 14 मीटर ऊँचा है ।विशेषज्ञों के अनुसार-- यह रचना कई हजार वर्ष बाद बने ईसाई कैथेड्रल के लिए सृजन-प्रेरणा रही होगी।इन गुफाओं की सीलिंग लकड़ी की बनी हैं, जिन्हें 2000 वर्ष पूर्व काटा गया था और वे आज भी संरक्षित हैं ।
10--- ●●● अजंता गुफाएँ , महाराष्ट्र ●●●
अजंता गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित हैं ।अजंता गुफाओं को वघोरा नदी के किनारे एक ठोस चट्टान से तराशा गया है ।अजंता गुफाएँ 29 गुफाओं की एक माला है, जिन्हें दो चरणों में, क्रमशः दूसरी सदी ईसा पूर्व एवं छठी शताब्दी में बनाया गया ।ये गुफाएँ भारत में बौद्ध कला के उत्कृष्टतम नमूनों में से एक हैं ।ये गुफाएँ 650 ईसवी से खाली रहीं व सन् 1819 में एक अंग्रेज अफसर द्वारा इन्हें खोजा गया।
ये गुफाएँ प्राचीनकाल की समृद्ध विरासत लिए हुए हैं और मानवता की अभूतपूर्व उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करती हैं ।1200 वर्षों की गुमनामी के बाद जब इन गुफाओं को खोजा गया तो इनके स्थापत्य ने यूरोपीय एवं अमेरिकी कला को गहराई से प्रभावित किया , यूरोप और अमेरिका के कई कलाकार तो अजंता गुफाओं की पेंटिंग एवं मूर्तियों के जैसे दीवाने ही हो गए।
अजंता गुफाओं में जहाँ एक ओर दूसरी सदी ईसा पूर्व में बनी सबसे पुरानी भारतीय पेंटिंग हैं, तो वहीं गुफा नं . 17 में भारत की कुछ सर्वश्रेष्ठ गुफा पेंटिंग भी मौजूद हैं ।अजंता की गुफाएँ इंजीनियरिंग की अद्भुत उपलब्धियोंका प्रतिनिधित्व करती हैं ।कुछ गुफाओं के बड़े-बड़े हाॅल बिना किसी खंभे की सहायता से बने हैं ।
ये हाॅल बाॅस्केट बाल के मैदान जितने बड़े हैं और 1500 वर्षों से बिना किसी परिवर्तन के यथावत् स्थिर हैं ।
अजंता गुफाओं को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया गया है और ये आर्कियलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा भी संरक्षित हैं ।अनेक पर्यटक इन्हें देखने जाते हैं ।
11--- ●●● ऐलोरा गुफाएँ महाराष्ट्र ●●●
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित ऐलोरा गुफाएँ दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई हैं । 34 मठों एवं मन्दिरों को समाहित करती ये संरचनाएँ भारत के अंतिम राॅक कट मन्दिरों में से एक हैं ।ये गुफाएँ निर्माण कौशल एवं कलात्मक दृष्टि से मानवता की सर्वोच्च उपलब्धियों में से एक हैं ।यहाँ तीन धर्मों के मन्दिर विद्यमान हैं । 12 बौद्ध मंदिर एवं मठ , जिनको 630 से 700 ईसवी में बनाया गया । 17 हिन्दू मन्दिर, जिनको 550 से 780 ईसवी में बनाया गया और 5 जैन मंदिर, जिनको 800 से 1000 ईसवी में तैयार किया गया ।
ऐलोरा गुफाओं की सबसे अद्भुत रचना है -- कैलास मंदिर, जो लगभग 84 मीटर लंबी एवं 29 मीटर ऊँची संरचना है ।इसे एक ही चट्टान को ऊपर से तराशकर बनाया गया है, जिसमें 100 वर्ष लगे और दो लाख टन चट्टानी पत्थर बारीकी से तराशते हुए हटाए गए ।मन्दिर को कैलास पर्वत के रूप में आकार देने की कोशिश की गई है।
इसके अतिरिक्त कई कलात्मक गुफाएँ हैं , जिनमें कोर्पेटर गुफा 10 , दोताल गुफा 11 , दशावतार गुफा 15 ,
रामेश्वर गुफा 21 तथा अभूतपूर्व रूप में सुसज्जित इंद्रसभा गुफा 32 उल्लेखनीय एवं दर्शनीय हैं । ऐलोरा में विद्यमान मूर्तियों, पेंटिंग्स तथा उत्कीर्ण संदेशों में निहित कलात्मक एवं दार्शनिक संदेशों की अद्भुत समृद्धता को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है।
इसी तरह भारत में अन्य और भी गुफा मंदिर हैं, जो प्राचीन भारत की उन्नत स्थापत्य कला, सर्वधर्म समभाव एवं तकनीकी कौशल पर प्रकाश डालते हैं ।सचमुच गुफा मंदिरों का अद्भुत व रोचक संसार है।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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