अपने भावों में, विचारों में, कर्मों में डूबकर जब हम कुछ करते हैं,उसी को एकाग्रता व तल्लीनता से कार्य करना कहते हैं ।इसी एकाग्रता व तल्लीनता से हम आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त करते हैं ।वास्तव में जिस दिशा में हमारा मन गहराई से जुड़ता है , डूबता है, उतरता है, जितनी मात्रा में तल्लीन होकर वह कार्य करता है , उतने ही आश्चर्यजनक परिणाम को वह हस्तगत करता है।
वास्तविकता यह है कि हम इतने बिखरे हुए हैं कि किसी भी कार्य में पूरी तरह से डूब नहीं पाते , इसलिए उसके प्रभाव व परिणाम भी आधे-अधूरे पाते हैं ।कार्य में डूब जाने का यह रहस्य जिसने जान लिया है, वह निश्चित रूप से अपने जीवन में आगे बढ़ा है, जीवन में उपलब्धियाँ हासिल की हैं ।वास्तव में जिस दिशा में हमारा मन गहराई से जुड़ता है, डूबता है, हम उसी में कुछ बहुमूल्य खोज लेते हैं ।
जिस तरह समुद्र की गहराई में मोती, माणिक्य व बहुमूल्य रत्न मिलते हैं ; जब कि उथले जल में उन्हें न तो देखा जा सकता और न ही पाया जा सकता ।इसी प्रकार एकाग्रता व तल्लीन होकर कार्य करने पर हम चमत्कारिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन आधे- अधूरे मन से कार्य करने पर हम सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।
वास्तव में अपने कार्य में एकाग्र होकर हम स्वयं से जुड़ते हैं ।जब हमारा अपने कार्य में मन लगता है तो यह जीवन का बहुमूल्य क्षण होता है, जिसमें हम जीवन में उपलब्धियाँ पाते हैं ।किसी कार्य में डूबकर ही हम उसके बारे में संपूर्ण रूप से जान पाते हैं , विशेषज्ञ बन पाते हैं ।
जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, महान व्यक्ति हुए हैं उन सभी ने अपने कार्य के प्रति एकाग्र व तन्मय होना सीखा है।कार्य के प्रति समर्पण ही उन्हें वह एकाग्रता देता है, जिसके द्वारा वे स्वयं से, अपने कार्य से एकाकार हो पाते हैं और यही तन्मयता उन्हें सफलताओं व विभूतियों की सौगात प्रदान करती है।
दुनिया में एक-से-एक सफल लोग हुए हैं, एक से बढ़कर एक आश्चर्यजनक कारनामे लोग करते हैं, लेकिन सबकी सफलता का एक ही कारण है कि वे अपने कार्य में तल्लीन होकर कार्य करना सीख लेते हैं ।लेकिन जैसे ही उनकी यह तल्लीनता भंग होती है, वे पुनः डगमगाने लगते हैं, अधीर हो जाते हैं ।
●●●एकाग्रता व तल्लीनता के चमत्कारिक उदाहरण ●●●
स्वामी विवेकानंद के बारे में यह कहा जाता है कि वे एक नजर में ही किताब का पूरा पन्ना पढ़ लेते थे।एक बार जब वे कुछ व्यक्तियों के सामने कुछ ही समय में 400 पन्नों की एक किताब पढ़ गए तो आश्चर्यचकित होते हुए लोगों ने उनसे इसके रहस्य के बारे में पूछा तो इस बारे में स्वामी जी ने उनसे कहा कि " यह कोई बड़ी बात नहीं ।बस , मैंने दुनिया की सारी बातें एक तरफ रख दीं और किताब पढ़ने में जुट गया ।ऐसा करके मैंने न केवल किताब की सारी बातें जान लीं , बल्कि मूझे सब याद भी हो गया ।
एक प्रसिद्ध चित्रकार विन्सेंट वाॅन गाॅग का कहना था कि ' मैं चित्र बनाते हुए उससे एकाकार हो जाता हूँ , इसी से मेरा अस्तित्व है ।' एक अमेरिकी लेखक विलियम फेदर भी इस बारे में कहते थे कि ' जब व्यक्ति तन्मय होकर कार्य करेंगे तो उनके जीवन में आने वाली आपदाएँ निष्प्रभावी हो जाएँगी और फिर उनके रोजमर्रा के तनावों का असर कमतर होता जाएगा।'
एकाग्रता व तन्मयता से ही वैज्ञानिक नए-नए आविष्कार कर पाते हैं, संगीत कार नई-नई धुनें बनाते हैं, साहित्यकार श्रेष्ठ साहित्य का निर्माण करते हैं । अन्य क्षेत्रों में भी एकाग्रता और तल्लीनता से कार्य से सफल होने के उदाहरण देखने मिलते हैं ।विद्यार्थी जीवन में भी यही एकाग्रता व तल्लीनता काम आती है।
●●● एकाग्रता एक प्रकार का योग ●●●
एकाग्रता व तल्लीनता एक प्रकार का योग भी है।ध्यान , मंत्रजप आदि यौगिक क्रियाओं में एकाग्र होकर ही हम स्वयं को जान पाते हैं, अंतर्यात्रा कर सकते हैं और इस यात्रा में हम अपनी उस आत्मचेतना से परिचित होते हैं जो हमारी कल्पनाओं से अलग है और हमसे ज्यादा महान भी है।वास्तव में अपने कार्य में तल्लीन होकर ही हम स्वयं की क्षमता का विस्तार कर सकते हैं ।
यदि एक बार हमें अपने सभी कार्य एकाग्र व तल्लीन होकर करने की आदत बन जाए तो कठिन समय में भी हम कार्य करने से पीछे नहीं हटते।परेशानियों में भी अपने कार्य में लगे रहकर जीवन में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के स्वामी बन सकते हैं ।ध्यान साधना से भी हमारी एकाग्रता का विकास होता है।
जिस तरह सोने को निखारने के उसे तपाया जाता है और आग की इस तपन में स्वर्ण की अशुद्धियाँ जलकर भस्म हो जाती हैं व केवल शुद्ध स्वर्ण बचता है उसी तरह जीवन के कठिन मार्ग हमें निखारने आते हैं, हमारे व्यक्तित्व को तपाकर उसे श्रेष्ठ बनाते हैं ।इसलिए जरूरी है कि हम बड़ी लगन और परिश्रम से अपने कार्य करते रहें ।कार्य करने का यह तरीका ही हमें वह सब कुछ हासिल करा देगा , जो हम चाहते हैं ।
जो अपनी दृष्टि अपने लक्ष्य पर रखते है , बाहरी परिस्थितियों से अपने आंतरिक मन की एकाग्रता भंग नहीं होने देते , सदा आगे बढ़ते रहते हैं, अपने कार्य में इतना डूबकर कार्य करते हैं कि किसी भी तरह की समस्याओं से खुद को दूर कर लेते हैं ।परेशानियाँ आती भी हैं तो उन्हें तन्मय देखकर लौट जाती हैं ।अपने आप में इतने एकाग्र, अपने कार्य में इतने तल्लीन व्यक्ति ही अपने कार्यों में चमत्कारिक परिणाम प्राप्त कर पाते हैं ।
एकाग्रता व तल्लीनता से कार्य करने पर सदा ही अच्छे परिणाम हासिल होते ही हैं ।इसी एकाग्रता से ही अनेक व्यक्तियों ने जीवन में महानता हासिल की है ।हम सब भी एकाग्रता से कार्य करने का अभ्यास करके अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें ।एकाग्रता साधने में यौगिक क्रियाएँ सदा ही लाभदायक हैं ।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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