नमक का स्वाद न केवल भोजन में जरूरी है, बल्कि यह हमारे जीवित रहने के लिए भी अनिवार्य है।नमक की न्यून ( अल्प) मात्रा से हमारे मस्तिष्क में अतिसूक्ष्म विद्युत-प्रक्रियाओं का संचालन होता है।इसके अलावा, हमारे शरीर में जलसंचय-संतुलन बनाए रखने में यह निर्णायक भूमिका निभाता है।नमक सिर्फ स्वाद प्रदान करने वाला तत्व ही नहीं बल्कि चीनी की तरह बेहतरीन कुदरती संरक्षक भी है।
स्वाद के मामले में नमक का संतुलित मात्रा में होना आवश्यक है ।भोजन में यदि नमक कम हो या ज्यादा हो , दोनों ही स्थितियों में यह स्वाद को बिगाड़ता है , लेकिन भोजन में ठीक-ठीक नमक की मात्रा भोजन के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है।संतुलित मात्रा में नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी व आयु में वृद्धि करने वाला होता है , वहीं नमक का कम या अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाला व आयु को घटाने वाला होता है।
हमारी लोक संस्कृति में भी नमक से जुड़े हुए कई तरह के मुहावरे प्रचलित हैं , जो नमक के साथ भोजन का संबंध बताने के साथ-साथ मानवीय संबंधों को भी दर्शाते हैं । जैसे -- नमक का कर्ज अदा करना , नमक हलाली करना आदि।नमक के साथ सौन्दर्य का अंतरंग संबंध ' सूरत के नमकीन होने ' , ' रूप लावण्य 'जैसे प्रचलित मुहावरों से भी स्पष्ट होता है।
<<<<<<<< नमक का प्रादुर्भाव >>>>>>>>>
वैज्ञानिकों का यह मानना है कि धरती पर जीवन नमकीन जल वाले महासागर में हुआ था ।इसलिए धरती पर जो भी खाद्य पदार्थ व साग-सब्जियाँ हैं, उनमें भी नमक की अल्प मात्रा घुली मिली है, जो हमारे शरीर के संपोषण के लिए जरूरी है ।स्पष्ट है कि नमक का प्रादुर्भाव समुद्र से ही हुआ है।
नमक हमें सागर के जल के वाष्पीकरण से प्राप्त होता है।इसे जहाँ चट्टान से काटकर निकाला जाता है , वहाँ कभी समुद्र या खारे जल का भारी संग्रहण रहा होगा। सदियों से नमक का व्यापार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व संबंधों को प्रेरित करता रहा है।
<<<<<<< नमक के प्रकार >>>>>>>>
नमक कई प्रकार के होते हैं; जैसे सेंधा नमक( पहाड़ी नमक) समुद्री नमक, काला नमक , सामान्य नमक।
●● सामान्य नमक -- आमतौर पर भोजन में जो नमक प्रयोग होता है वही सामान्य नमक है।भोजन में प्रयोग किए जाने वाले इस नमक में प्रायः सोडियम होता है।सोडियम हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप को जन्म देता है तो पोटेशियम उसे कम करता है।इसके अलावा इसमें कुछ अन्य तत्व व रसायन भी होते हैं। आजकल बाजार में यही रिफाइंड आयोडाइज्ड के नाम से मिलता है।इस नमक के अनेक ब्रांड मिलते हैं ।
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार-- रिफाइंड नमक में सोडियम व अन्य रसायन अधिक मात्रा में होते हैं, इसलिए यह स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है।व्रत- उपवास के दिनों में नमक से परहेज करने का विधान है।
●● सेंधा नमक ( पहाड़ी नमक) -- सेंधा नमक साधारण नमक से थोड़ा भिन्न है और यह शाकाहार के लिए उपयुक्त समझा जाता है।सेंधा नमक में कैल्सियम, आयरन, मैग्नीशियम, काॅपर जैसे लगभग 94 तरह के खनिज तत्व पाए जाते हैं, इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से यह नमक अच्छा माना जाता है ।इसे ही पहाड़ी या हिमालयन नमक भी कहते हैं ।
सेंधा नमक हृदय व पेट के लिए अच्छा माना जाता है और कई तरह की बीमारियों से बचाता है, जैसे-- ब्लडप्रेशर, त्वचा रोग, आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, डिप्रेशन , स्ट्रेस आदि।इस नमक के स्तेमाल से मांसपेशियों के खिंचाव व जकड़न में भी राहत मिलती है।व्रत-उपवास में भी इस नमक का प्रयोग किया जाता है ।
●● काला नमक-- काला नमक लौहतत्व से भरपूर होता है।ठन्डी व रेचक प्रकृति के इस नमक से कब्ज, एसिडिटी, पाचन समस्याएँ, गैस, सीने में जलन , हिस्टीरिया, मंददृष्टि , हाई ब्लडप्रेशर, रक्त की कमी व अन्य कई बीमारियों के इलाज में लाभ मिलता है।आयुर्वेद में कई पाचक चूर्णों में काला नमक इस्तेमाल होता है ।
काला नमक के अन्य औषधीय उपयोग भी हैं ।दही या छाछ में भी काला नमक डालते हैं ।गंधक की गंध वाले काले नमक का इस्तेमाल भोजन का स्वाद बढ़ान के लिए भी किया जाता है।बाजार में साबित व पिसा हुआ- दोनों ही रूपों में काला नमक उपलब्ध होता है।
<<<<<<<<< ऊर्जा का स्रोत नमक>>>>>>>>>>
नमक केवल एक खाद्य पदार्थ ही नहीं है, बल्कि ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत भी है।नमक हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्व है, जो रक्तशोधक के रूप में काम करता है और शरीर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके होने वाली बीमारियों से हमारी रक्षा भी करता है ।यदि लम्बे समय तक नमक का सेवन न किया जाए तो शरीर में दुर्बलता आ जाती है, लेकिन नमक का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक है ।हर दिन चार ग्राम मात्रा तक नमक का सेवन एक सामान्य शरीर के लिए पर्याप्त माना जाता है ।
गरमी के मौसम में डीहाइड्रेशन ( शरीर में पानी की कमी) की समस्या में, नमक-चीनी के मिश्रण द्वारा ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के माध्यम से उपचार किया जाता है ।हालाँकि रक्तचाप के रोगियों या क्षतिग्रस्त गुरदे वालों को नमक से परहेज करना पड़ता है या उन्हें कम सोडियम वाले ( पोटेशियम जनित) नमक का नुस्खा अपनाना पड़ता है।
नमक कुदरती संरक्षक है इसलिए दुनिया में पिछले कई वर्षों से अचार, जैम आदि बनाने में नमक का इस्तेमाल किया जाता रहा है।सभी साग- सब्जियाँ, फल व अन्य खाद्य पदार्थ इत्यादि में कुदरती तौर पर नमक की अल्प मात्रा रहती है इसी कारण जो व्यक्ति बिना नमक का ( अस्वाद ) भोजन लेते हैं उनके शरीर में नमक की आपूर्ति इन फल, सब्जियाँ व खाद्य पदार्थों से किसी न किसी रूप में हो जाती है।इसलिए वे सामान्य जीवन जी पाते हैं ।
नमक के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद हम कह सकते हैं कि नमक की जीवन में बहुत उपयोगिता है ।इसलिए हमें अपने भोजन में सभी प्रकार के नमक संतुलित मात्रा में ग्रहण करने चाहिए ।जिस तरह भोजन में नमक की मात्रा संतुलित होनी चाहिए, उसी तरह हमें अपने जीवन के हर आयाम में संतुलन बैठाना चाहिए और अतिवाद या न्यूनवाद से बचना चाहिए ।
भोजन में नमक का संतुलन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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