head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): वर्तमान का महत्व, वर्तमान के समय का सदुपयोग

Monday, April 20, 2020

वर्तमान का महत्व, वर्तमान के समय का सदुपयोग

             ●●●वर्तमान का महत्व ●●●
                  वर्तमान ही सच है । इस सच्चाई का अनुभव सभी करते हैं ।इसे छू सकते हैं, इसमें जी सकते हैं, परंतु यह जब चला जाता है, तो अतीत का कालखंड बन जाता है फिर यह हमारा नहीं रहता।इसलिए वर्तमान समय का अधिक महत्व है ; यही समय हमारे हाथ में है, चाहे उसका सदुपयोग किया जाए या दुरुपयोग । 

विरले ही होते हैं, जो वर्तमान क्षण में खड़े रहकर कुछ कर पाने का साहस रखते हैं ;क्योंकि सामान्यतः मन वर्तमान में टिकता नहीं है , मन इतना चंचल है कि या तो यह अतीत की अच्छी-बुरी स्मृतियों में भटकता रहता है या फिर भविष्य के सपनों का ताना-बाना बुनता रहता है।

                जिस प्रकार नदी के बहते हुए जल को दोबारा छू पाना संभव नहीं उसी प्रकार वर्तमान के पल को भी रोक कर नहीं रखा जा सकता ।समय सदा प्रवाहमान है , बह रहा है , इस बहाव एवं प्रवाह का उपयोग कर पाना बोध द्वारा ही सम्भव है अन्यथा मन या तो पीछे की ओर भागता है या फिर किंकर्तव्यविमूढ़ सा बैठे हुए भविष्य के बारे में सोचता रहता है। 

वर्तमान पल से आगे भविष्य है ।भविष्य वर्तमान का प्रतिफल एवं परिणाम है।वर्तमान ही भविष्य को गढ़ता , सँबारता या बिगाड़ता है।वर्तमान ही भविष्य को आधार प्रदान करता है वर्तमान के पीछे अतीत है और आगे भविष्य, दोनों ही हमसे दूर हैं, केवल वर्तमान का पल ही हमारे पास है।

      ●●● वर्तमान के समय का सदुपयोग ●●●

समय का हर पल महत्वपूर्ण है लेकिन इसे पहचानना , स्वीकारना , इसका उपयोग करना व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है ।हर मनुष्य को परमात्मा ने समय रूपी उपहार दिया है , उसका उपयोग करके अनेक लोगों ने जीवन में महानता हासिल की है।अतीत अच्छा है , यदि इससे सीख ली जाए और इस सीख से वर्तमान के सदुपयोग करने का कौशल प्राप्त किया जाए।

सूफी अपने सूफियाना अंदाज में कहते हैं --- पल का सदुपयोग कर लो, वरना पल पराया हो जाएगा और पराया कभी अपना नहीं हो सकता । विख्यात सूफी संत जलालुद्दीन रूमी कहते हैं -- " ऐ मन ! वर्तमान में ठहर जा , अतीत एवं भविष्य की बातें मत बना ।

उपनिषद् कहता है कि क्षण में शाश्वत छिपा हुआ है और अणु में विराट ।जो क्षण को पहचान लेता है वह शाश्वत अर्थात कभी समाप्त नहीं होने वाले सत्य को जान जाता है।इसी तरह जिसने क्षण का तिरस्कार किया , उसका शाश्वत से नाता टूट जाता है।अणु को जो अणु मानकर छोड़ दे , वह विराट की व्यापकता को ही खो बैठता है।

वर्तमान समय में जीना परम साहस का कार्य है ।जो इस साहसिक कार्य को कर पाते हैं अर्थात वर्तमान का सदुपयोग कर लेते हैं, वे सफलता के सर्वोच्च शिखर पर आरूढ़ हो जाते हैं ।वर्तमान का सदुपयोग करने वाले योद्धा वीर जाँबाज ही नहीं, अपितु भविष्य को बदलने की प्रबल क्षमता रखते हैं ।इनको यह पता होता है कि भविष्य गढ़ने के लिए होता है और यह भी वर्तमान के सदुपयोग     ही से संभव एवं साकार हो सकता है।

वर्तमान का सदुपयोग कैसे हो , इसके लिए सर्वप्रथम अपना लक्ष्य स्पष्ट एवं साफ होना चाहिए ।हमें पता तो चले कि हमें करना क्या है ।हम केवल हम बनें, किसी के जैसा नहीं ।इसके लिए अपनी मौलिकता को विकसित करें ।इस लक्ष्य के लिए अपनी क्षमता एवं सामर्थ्य का आंकलन करें कि क्या हमारा लक्ष्य हासिल करने योग्य है। हमें हमारी क्षमता समुचित ज्ञात होनी चाहिए, नहीं तो हमारा लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाएगा ।

लक्ष्य को कुछ भागों में बाँटकर फिर प्राथमिकता के आधार पर वरीयता दें और फिर उनको कार्यान्वित करना शुरू करें तो लक्ष्य की प्राप्ति आसान हो जाती है ।जो कार्य पहले करना है , उसे पहले करें, भविष्य के लिए न टालें अन्यथा समय का सार्थक सदुपयोग संभव नहीं हो सकेगा एवं लक्ष्य की उपलब्धि भी नहीं हो पाएगी।समय का सदुपयोग करने के लिए आवश्यक है - पल-पल का अनुशासन मानें एवं इसे क्रियान्वित करें ।

लक्ष्य प्राप्त करने एवं आनन्द प्राप्ति के लिए किसी विशेष समय की प्रतीक्षा करना व्यर्थ है ।जीवन का प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण है, किसी भी  क्षण का मूल्य किसी दूसरे क्षण से न तो ज्यादा है और न ही कम।जो इस बात को जानते हैं, वे अपने प्रत्येक पल को ही आनंदमय बना लेते हैं , और जो विशेष समय की , किसी खास अवसर की प्रतीक्षा करते रहते हैं, वे अपना बहुमूल्य समय गँवा देते हैं ।अवसर चूक न जाए , इसलिए वर्तमान पल-क्षण का सार्थक एवं समुचित सदुपयोग करना सीख लेना चाहिए ।

          ●●● 'अब' की परिभाषा वर्तमान  ●●●

वर्तमान का क्षण 'अब' को परिभाषित करता है । ' अब' का परिचय वर्तमान की गहनता में है। 'अब ' में संभावनाएँ हैं, अनंत उपलब्धियों की धरोहर छिपी है इसमें । फिर भी हम अब को भूले हुए रहते हैं ।अब के स्वर्णिम सत्य को छोड़कर गहरी भ्रांति में जीते रहते हैं , बीती हुई बातों की भ्रांति, आने वाले कल की आशा की भ्रांति । इन्हीं भ्रान्तियों के कारण हम वर्तमान के अवसर का लाभ नहीं ले पाते ।

उपलब्धियाँ प्राप्त करने के लिए  'अब ' में जीना पड़ता है । जीवन की कठिनाइयों को स्वीकार करते हुए पुरुषार्थ करना पड़ता है ।अब का क्षण कर्म के लिए है ; नवजागरण के लिए है ; भ्रांतिमुक्त होने के लिए है।जिसने 'अब ' के लिए स्वयं को तैयार किया , समझो कि उसने जीवन को जान लिया , जीवन को पा लिया और अब रूपी वर्तमान के पल का सदुपयोग करना सीख लिया।

  हर पल बहुमूल्य है।इसे व्यर्थ न गँवाएँ।गया वक़्त वापस नहीं आता ।

सादर अभिवादन व धन्यवाद ।

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