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Sunday, November 10, 2019

प्राणायाम का स्वास्थ्य से सम्बन्ध

             ●●● प्राणयोग अथवा प्राणायाम●●●
प्राणायाम प्राण व आयाम इन दो शब्दोंके समायोजन से बना है।'प्राण' वायु का शुद्ध और सात्विक अंश है।वस्तुतः यह एक प्रबल जीवनी शक्ति है।
आयाम का अर्थ है-विस्तार करना या नियंत्रण करना।
प्राणों के सम्यक व संतुलित प्रवाह को ही प्राणायाम कहते हैं ।
   
योगियों ने श्वास पर गहन,गंभीर प्रयोग किए और यह निष्कर्ष निकाला-  "श्वास सधे तो सब सधे"। जैसे आहार हमारे स्थूल शरीर को पुष्ट करता है, उसी तरह प्राणायाम हमारे सूक्ष्म शरीर को पुष्ट करता है।प्राणायाम से रक्त- परिभ्रमण की गति में तेजी आती है, फलतः मस्तिष्क की सूक्ष्म नाड़ियों तक वह ( रक्त) आसानी से पहुँच जाता है।
    
वस्तुतः प्राणयोग(श्वास पर ध्यान देना)एक ऐसा सीधा,सरल योगाभ्यास है जो बिना किसी बाधा के कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है ।गहरी श्वासों से एकाग्रता में वृद्धि होती है।
   
यदि मनुष्य ने लयबद्ध, तालबद्ध ढंग से श्वास लेना सीख लिया तो शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार के विकारों से बच सकता है।योगाभ्यास एवं प्राणायाम की प्रक्रिया से प्राण की क्षमता को अद्भुत रूप से बढाया जा सकता है।
   
विद्यार्थियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम अति उपयोगी है इससे स्मृति क्षमता, स्थिरता व एकाग्रता बढ़ती है।कपालभाति व अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से रक्त का संचार पूरे शरीर के साथ- साथ मस्तिष्क क्षेत्र की ओर अधिक होता है ।जिससे हार्मोन्स संतुलित होते हैं, मानसिक सामर्थ्य बढ़ती है।
    
नाड़ी- शोधन प्राणायाम के अभ्यास से न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होते हैं।मनोदशा का हमारे श्वासों से गहरा सम्बन्ध है।यदि व्यक्ति अपने श्वासों को बदलने की कला सीख ले, तो मन की दशा को सरलता से काबू में लाया जा सकता है।प्राणायाम करते समय मन शान्त एवं प्रसन्न होना चाहिए ।प्राणायाम के दौरान संपूर्ण शरीर ऊर्जा से भर जाता है।
  
 मनुष्य ईश्वर का वरिष्ठ राजकुमार है।उसके भीतर अपने सृजेता  की तरह ही शक्तियों का अनंत भंडार प्रसुप्त अवस्था में छिपा पड़ा है।योग से जिसका जागरण सम्भव है।
  
प्राणायाम से जीवन में ध्यान का संगीत एवं समाधि की सरगम झंकृत होने लगती है।प्राणायाम से पूर्व 'ओउम्' का लम्बा उच्चारण करने से मन को शान्ति मिलती है।
     " प्राणायाम से जीवन सधता 
      लोम- अनुलोम करो स्वस्थ हमेशा रहें
      योग की राह चलें "
'स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है प्राणयोग'  इस विषय पर मेरा लेख पढ़ने के लिए सादर धन्यवाद । 
        


5 comments:

  1. आपके ब्लाग का एक एक शब्द अपनी दैनिक जीवनशैली में उतारने योग्य है एक और अमूल्य ब्लाग के लिए आपका अभिनन्दन ����

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  2. सादर धन्यवाद
    जय श्री कृष्ण

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  3. आपका प्राणायाम हमारे लिए इस जन्म और पुनर्जन्म को संवारने के लिए सुधारने के लिए श्रेष्ठ बनाने के लिए बहुत अत्यधिक उपयोगी है आपके इस योग से मैं निरंतर अपनी बुद्धि को सात्विक बनाने की भरपूर कोशिश कर रहा हूं निरंतर प्रयास जारी है हर पल सर्वशक्तिमान (सच्चिदानंद घन परमात्मा )सत्ता के निकट पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया अदा करता हूं

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  4. श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् ने अर्जुन को ओउम् साधना करने का निर्देश दिया है।गीता में भगवान् कहते हैं- सर्वेषु कालेषु मामऽनुस्मर

    आपको सादर धन्यवाद ।जय श्री कृष्ण



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  5. आपको सादर धन्यवाद
    जय श्री कृष्ण

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