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Monday, November 11, 2019

"वर्तमान में जल की कमी व जल प्रदूषण के कारण"

                  ●●●जल ही जीवन है●●●
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  भगवान् का एक नाम नारायण भी है।
नार- जल को कहते हैं और अयण - घर को अर्थात् जल भगवान् का घर है ।जल शुद्ध हो तो वहाँ नारायण वास करते हैं।लेकिन आज के समय में एक तो पर्याप्त मात्रा में जल नहीं है और दूसरा जो बचा हुआ है, उसका रूप- रंग और स्वाद तेजी से बिगड़ रहा है।
नासा के अनुसार- भारत में हर वर्ष जलस्तर 0.3मीटर की दर से लगातार गिर रहा है।नगर हो , महानगर हो या देश, जो जितना अधिक विकसित है, उतना ही प्रदूषित है।
     
 ●●●जल की कमी व जल प्रदूषण के प्रमुख कारण●●●

जनसंख्या की वृद्धि के कारण हमारी जरूरतें बढीं और हम पृथ्वी का दोहन करते चले गए।शहरीकरण के नाम पर जो विकास हुआ उसमें धरती और जल का संपर्क ही न्यून हो गया।
 
 उद्योग बढ़ते गए और उनका प्रदूषित जल व कचरा नदियों में बहाया जाने लगा जिससे नदियों का जल प्रदूषित हो गया।
  पाॅलीथिन का उत्पादन जीरीलीर प्रक्रिया से जुड़ा है, जो बड़े पैमाने पर जल को प्रदूषित करने वाला कचरा उत्पन्न करता है।
वन- जंगल, खेत- खलिहान निरन्तर कम होते जा रहे हैं जिसके कारण पृथ्वी,  बरसात का जल अपने में सोख नहीं पाती ।

हिमालय की अनदेखी भी जल संकट का प्रमुख  कारण है।गोमुख ग्लेशियर प्रतिवर्ष तीन मीटर पीछे छूट रहा है।हिमालय के क्षेत्र में विस्फोट करके वहाँ चारलाइन सड़कें बना रहे हैं।सैकडों बाँध इनके माध्यम से बना रहे हैं और बदले में भयानक विप्लव का सामना कर रहे हैं ।

पेडों की कटाई के कारण धरती को रेगिस्तान बनते, भूमि की उर्वरता कम होते,वर्षा का अनुपात कम होते देर नहीं लगती। जल की कमी व जल प्रदूषण के अन्य कारण भी हैं।देश की कुल बरसात के जल का सिर्फ़ 15% जल का ही संरक्षण हो पाता है, शेष समुद्र में मिल जाता है।जल संचयन की तकनीकों पर बहुत ध्यान नहीं दिया गया।

कहते हैं कि यदि तीसरा विश्वयुद्ध होगा तो वह पानी के लिए ही होगा।
जल की समस्याओं के समाधान के  लिए पर्यावरण की रक्षा अनिवार्य है।
धन्यवाद ।

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