head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): विश्व योग दिवस का प्रस्ताव कब पारित एवं लागू हुआ, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव व 69 अधिवेशन के अध्यक्ष के संदेश, श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर विश्व योग दिवस का शुभारंभ

Friday, June 19, 2020

विश्व योग दिवस का प्रस्ताव कब पारित एवं लागू हुआ, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव व 69 अधिवेशन के अध्यक्ष के संदेश, श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर विश्व योग दिवस का शुभारंभ

●● विश्व योग दिवस का प्रस्ताव कब पारित एवं लागू हुआ●●
विश्व योग दिवस का अर्थ है--- स्वस्थ जीवन-स्वच्छ जीवन के लिए विश्वव्यापी अलख जगाना । प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है । यह इस सत्य का उद्घोष है कि भारतीय संस्कृति विश्वसंस्कृति बनने की ओर गतिशील हो चुकी है ।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की बात उठाई थी ।बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के राजदूत अशोक मुखर्जी ने विधिवत् प्रस्ताव पेश किया ।इस प्रस्ताव में कहा गया था कि योग स्वास्थ्य को समग्रता प्रदान करता है ।इस प्रस्ताव में इक्कीस जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के अलावा कहा गया कि योग के लाभ की जानकारियाँ फैलाना सम्पूर्ण विश्ववासियों के स्वास्थ्य के हित में होगा।प्रस्ताव में सभी सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठनों, अन्य अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय निकायों से योग के फायदों  के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए योग दिवस मनाने की अपील की गई ।

भारत ने यह प्रस्ताव तैयार किया और इस विषय में भारतीय मिशन ने अक्टूबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक अनौपचारिक परिचर्चा आयोजित की , जिसमें अन्य प्रतिनिधियों ने योग के विषय पर अपनी राय रखी ।भारतदेश को अपने इस प्रयास में भारी सफलता प्राप्त हुई और 193 सदस्यीय महासभा में 172 सदस्य, नौ दिसम्बर 2014 को उसके इस प्रस्ताव के सहप्रायोजक बन गए।

संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों ने इस सत्य को स्वीकार किया कि योग 5000 वर्ष से भी अधिक पुरानी भारतीय शारीरिक-मानसिक एवं आध्यात्मिक पद्यति है , जो मानव जीवन को सम्पूर्णता प्रदान करती है।

योग दिवस मनाने के इस प्रस्ताव को उत्तरी अमेरिका के 23 देशों ने , दक्षिणी अमेरिका के 11 देशों ने , यूरोप के 42 देशों ने , एशिया के 40 देशों ने , अफ्रीका के 46 देशों ने एवं प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के 12 द्वीपीय देशों ने समर्थन दिया है।इसे हम अदृश्य शक्तियों का दृश्य प्रभाव कहेंगे कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इतने विराट बहुमत से प्रस्ताव पारित होने का रिकॉर्ड बन गया।इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र में विश्व योग दिवस के प्रस्ताव ने एक दूसरा रिकाॅर्ड भी कायम किया , यह रिकाॅर्ड बना 90 दिन में किसी देश के प्रस्ताव को पारित होने का ।

●संयुक्त राष्ट्र महासचिव व 69 अधिवेशन के अध्यक्ष के संदेश●

विश्व योग दिवस के प्रस्ताव पारित होने और लागू होने पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा--- " 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर स्वीकार किए जाने पर आधुनिक दुनिया में स्वास्थ्य और मानव कल्याण के क्षेत्र में योग के लाभों पर ध्यान खिंचेगा।"  मून ने आगे कहा -- "योग एक ऐसी परंपरा है , जिससे शांति व विकास में योगदान मिलेगा ।" 

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69 वें अधिवेशन के अध्यक्ष सैम कुटेसा ने अपने संदेश में कहा कि  " 172 से भी अधिक देशों द्वारा योग दिवस के प्रस्ताव को समर्थन देने से पता चलता है कि दुनिया भर के लोगों को योग कितना प्रभावित करता है।" कुटेसा ने इस योग दिवस के प्रस्ताव को पारित होने पर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को बधाई दी ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने योग दिवस के प्रस्ताव पारित और लागू होने पर खुश होकर प्रतिक्रिया व्यक्त की --- " प्रफुल्लित ! संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति दी गई है ।मेरे पास खुशी को बयाँ करने के लिए शब्द नहीं हैं ।मैं इस फैसले का स्वागत करता हूँ ।"  इसी के साथ उन्होंने दुनिया भर के उन 172 से भी अधिक देशों का शुक्रिया कहा , जिन्होंने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने के प्रस्ताव पर मोहर लगाई।

●●श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर योग दिवस का शुभारंभ●●

प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि----- "योग में पूरी मानवता को एकजुट करने की शक्ति है।योग में ज्ञान, कर्म और भक्ति का समागम है।मैं वर्षों से योग करता रहा हूँ और आप विश्वास नहीं करेंगे कि इससे मेरे जीवन में कितना सकारात्मक बदलाव आया ।योग मेरे जीवन का सहारा है, इसलिए मैं खासकर युवाओं से अपील करता हूँ कि वे इसे दैनिक जीवन में अपनाएँ ।मुझे पूरा भरोसा है कि इससे उनका जीवन बदल जाएगा।"  प्रधानमंत्री के इस आह्वान के साथ ही भारत सरकार ने  'विश्व योग दिवस ' मनाने की तैयारियाँ शुरु कर दीं।

भारत सरकार की तत्कालीन विदेश मंत्री  " श्रीमती सुषमा स्वराज" ने  योग दिवस के शुभारम्भ हेतु 9 मार्च 2015 को जवाहरलाल नेहरू भवन में एक मीटिंग बुलाई ।इस मीटिंग में शांतिकुंज और देव संस्कृति विश्वविद्यालय को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया ।इसमें माननीय विदेश मंत्री के साथ विदेश सचिव एसo जयशंकर एवं आयुष सचिव की उपस्थिति विशेष रही।इस मीटिंग में  'विश्व योग दिवस' से सम्बंधित कई प्रस्ताव रखे गए ।
 
इसके बाद समस्त देश में 21 जून योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा - यह घोषणा कर दी गई और सभी राजनीतिक संस्थान , शैक्षणिक संस्थान व धार्मिक संस्थानों को योग दिवस की तैयारी के लिए निर्देश दिए गए ।सभी ने इस योग दिवस पर बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और प्रथम विश्व योग दिवस को सफलता दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

सभी स्कूलों के बच्चों ने सामूहिक योग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया , सभी प्रदेशों के राजनीतिक संस्थानों के शीर्ष नेताओं व अधिकारियों ने  भी योग दिवस पर सामूहिक रूप से योग किया।
भारत में ही नहीं इस दिन पूरे विश्व में योग कार्यक्रम आयोजित किए गए ।धार्मिक संस्थाओं के योग गुरुओं ने विशाल जन-समूह के साथ योग कार्यक्रमों का आयोजन किया।

         2015 के बाद अब प्रति वर्ष 21 जून को "विश्व योग दिवस "  सम्पूर्ण विश्व में पूरे उत्साह से मनाते हैं और योग से लाभ उठाते हैं ।इस दिन टीवी पर पूरे विश्व के योग कार्यक्रमों की झलक देखने मिलती है।
   
●● योग में मानवीय चिंतन को देवत्व में बदलने के तत्व●●

योग के आसन-प्राणायाम से जुड़ी योग की जीवन शैली में मानवीय चिंतन और चरित्र को देवत्व में बदलने के सभी तत्व विद्यमान हैं ।भारत का पुरातन अतीत इस सत्य का सदा से साक्षी रहा है ।इसका सहारा लेकर पुरातन युग के निवासी स्वर्गीय परिस्थितियों का लाभ उठाते रहे हैं ।विश्व योग दिवस की बेला में वही पुरातन पुनर्जीवित हो रहा है।जो हो रहा है , वह पुनरावर्तन मात्र है ।इसमें सतयुग की वापसी के सभी संकेत समाहित हैं ।

योग का प्रकट रूप भले ही आसन-प्राणायाम जैसी क्रियाओं में दिखता है , पर इसका अदृश्य आधार यम-नियम में ही समाहित है।जनमानस का परिष्कार और देवयुग का निर्धारण, योग के तत्वज्ञान के आलोक से ही संभव है।हाँ यह सच है कि कुछ लोगों ने योग की प्रक्रियाओं व प्रयासों को शारीरिक व्यायाम तक सीमित कर दिया है ।वस्तुतः यह इतना स्वल्प व सीमित नहीं है।

इक्कीसवीं सदी की गंगोत्तरी में उमगती उमंगें अब न केवल दृश्य रूप लेने लगी हैं, बल्कि उनके व्यापक व विस्तृत होने का क्रम भी आरंभ हो चुका है।प्रभात का शुभारंभ पूर्व से होता है ।अग्रणी होने का सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है।भारत पूर्व में है और अग्रणी भी ।आध्यात्म उसकी अपनी प्रकृति और परंपरा है ।अतएव शुभारंभ का दायित्व उसी के कंधे पर आता है , सो आ रहा है।

 
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।





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