आज की पीढ़ी को 'मल्टीमीडिया जनरेशन' कहा जाता है ।सूचना क्रांति के इस दौर ने लोगों का जीवन ही बदल दिया है।मोबाइल फोन धीरे-धीरे, ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं से जुड़ते जा रहे हैं ।
आजकल सभी जगहों पर संगीत के दीवाने लोग कानों में हैडफोन या ईयरफोन लगाए हुए मिल जाते हैं ।मेट्रो, बस, ट्रेन,कार और यहाँ तक कि साइकिल पर ही क्यों न हों, उनके कान में ईयरफोन लगे दिख ही जाते हैं ।उन्हें यह नहीं पता होता कि ये गैजेट्स उनके स्वास्थ्य को , उनके सुनने की क्षमता को कितना नुकसान पहुँचाते हैं और इसके साथ ही सड़क पर घटने वाली दुर्घटनाओं की संभावनाओं को कितना बढ़ाते हैं ।
गैजेट्स आज हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं लेकिन ये धीरे-धीरे हमारी सेहत को ही नुकसान पहुँचा रहे हैं ।युवा पीढ़ी आज इन उपकरणों के प्रति अत्यन्त आकर्षित है और इनसे कुछ क्षणों के लिए भी दूर नहीं होना चाहती ।मोबाइल फोन, कंम्प्यूटर आदि के कारण सभी के कार्य करने की गति में तीव्रता आई है , अब घंटों में पूरे होने वाले काम मिनटों में होने लगे हैं ।
आजकल पेमेंट से लेकर ऑनलाइन शाॅपिंग और बुकिंग सब कुछ मोबाइल पर होने लगा है।छोटे से मोबाइल भी संचार का ऐसा माध्यम है , जिसमें गीत-संगीत, फोटो, वीडियो व सूचनाओं का बड़ा भंडार हो सकता है ।हालाँकि इन तकनीकों से हमें अनेक लाभ हैं लेकिन इसका एक ऐसा पहलू भी है , जो हमारे लिए नुकसानदेह है और इसकी जानकारी भी हमें होनी चाहिए ।
●●ईयरफोन के उपयोग पर शोधकर्ताओं के अध्ययन●●
शोध के अनुसार, ईयरफोन के लगातार उपयोग से व्यक्ति के सुनने की क्षमता में 40 से 50 डेसीबल तक की कमी हो जाती है ।इससे कान का परदा हिलने लगता है , जिससे दूर की आवाज़ सुनने में परेशानी होने लगती है ।हमारे देश में 50 % युवाओं में कान संबंधी समस्याओं का कारण ईयरफोन का अत्यधिक इस्तेमाल है ।ईयरफोन का अत्यधिक उपयोग करने से कान में दर्द, सिरदर्द या नींद न आने जैसी सामान्य समस्याएँ पैदा हो सकती हैं ।
वैज्ञानिकोंके अनुसार, मनुष्य के कान आमतौर पर 65 डेसिबल तक की ध्वनि को ही सहन कर सकते हैं, लेकिन ईयरफोन पर अगर 90 डेसिबल की ध्वनि 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाए तो कान की नसों को नुकसान हो सकता है।शोधकर्ताओं के अनुसार, ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से कानों में अनेक समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे ---- कान में छन-छन की आवाजें आना, चक्कर आना, सनसनाहट, नींद न आना आदि प्रमुख हैं ।
हेडफोन व ईयरफोन बनाने वाली कंपनियाँ आजकल बेहतर परिणाम देने के चक्कर में ऐसे उपकरण तैयार करती हैं, जिससे श्रोता बाहर की दुनिया से कट जाए और उसे संगीत का आनंद बिना किसी रुकावट के मिले।लेकिन इन उपकरणों द्वारा जब कान पूरी तरह से बन्द हो जाते हैं, तो उनके अंदर हवा नहीं जा पाती और इससे कान में संक्रमण पनपने का खतरा बढ़ जाता है ।ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से ईयर वैक्स बनता है , जिससे कान में टिनिटस ( कुछ बजने जैसी आवाज़ )का खतरा बढ़ जाता है ।ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से कान के सुन्न पड़ जाने की भी आशंका पैदा हो जाती है।
ईयरफोन व हेडफोन के इस्तेमाल होने पर जो तरंगें पैदा होती हैं, उनका सीधा असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है ।हमारे कान का भीतरी हिस्सा सीधे मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है ।तेज आवाज़ का स्वर हमारे कानों के बाहरी भाग के परदे को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ अंदरूनी कोशिकाओं को भी क्षति पहुँचाता है।
मनोवैज्ञानिक ब्लूटूथ, हेडफोन, या ईयरफोन लगाकर चलना अच्छा नहीं मानते । सड़क पर ईयरफोन व हेडफोन लगाकर चलने के कारण लोग पीछे से आने वाली आवाजों को नहीं सुन पाते और इससे हादसों की आशंका रहती है।भारतीय रेल अधिकारियों का भी यह कहना है कि ट्रैक पर हादसों का शिकार होने वालों में बड़ी संख्या में वे लोग होते हैं, जो कान में ईयरफोन लगाकर चलते हैं ।
बहुत से लोग ईयरफोन व हेडफोन लगाकर गाना सुनते-सुनते सो जाते हैं, यह कान के लिए और भी नुकसानदायक है।इससे व्यक्ति के गहरी नींद में जाने में बाधा पड़ती है और इस कारण व्यक्ति लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं, जिससे रोगों का खतरा बढ़ जाता है ।
●●● विश्व स्वास्थ्य संगठन की युवाओं को चेतावनी●●●
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डबल्यू एच ओ) की एक रिपोर्ट ने युवा पीढ़ी को यह चेतावनी दी है कि वे ब्लूटूथ, ईयरफोन या हेडफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें ।उनकी रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 1.1 अरब युवा तेज आवाज़ सुनने की आदतों के कारण कानों की समस्या से जूझ रहे हैं अर्थात उनकी श्रवणशक्ति प्रभावित हो रही है।इसलिए यह सावधानी बरतनी जरूरी है कि लोग ईयरफोन का इस्तेमाल कम-से-कम करने की आदत डालें ।
जो लोग कॉल सेंटर या ऐसी जगह काम करते हैं, जहाँ हेडफोन जरूरी है, तो वहाँ हरेक घंटे पर कम-से-कम पाँच मिनट का ब्रेक जरूर लें।साथ ही अच्छी गुणवत्ता के हेडफोन या ईयरफोन का ही इस्तेमाल करें ।ईयरबड के बजाय ईयरफोन का उपयोग करें, क्योंकि ये बाहरी कान में लगे होते हैं ।
●●● कानों की सुरक्षा के लिए क्या सावधानियाँ बरतें ●●●
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इस तरह के गैजेट्स का इस्तेमाल तीस मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए और न ही तेज स्वर में इसे सुनना चाहिए । 24 घंटे में एक घंटे से ज्यादा ईयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और कान संबंधी किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सकों से संपर्क करना चाहिए और उनकी सलाह माननी चाहिए ।साथ ही एक बार में लंबे समय तक किसी से फोन पर बात नहीं करनी चाहिए।
कान ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम आवाजों को सुन सकते हैं, दूसरों से संपर्क कर सकते हैं, विभिन्न तरह की आवाजों का अन्तर समझ सकते हैं ।यदि किसी कारणवश हमारी श्रवणशक्ति प्रभावित होती है ,तो हमें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए कान की सुरक्षा के लिए हमें ईयरफोन व हेडफोन के इस्तेमाल की सीमा तय कर लेनी चाहिए व सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए ।
समय के साथ चलना भी आवश्यक होता है।आधुनिक युग में सभी मोबाइल, लैपटॉप आदि का उपयोग जीवन की सुगमता के लिए
जरूरी हैं, साथ ही हमें पूर्ण स्वस्थ रहना भी जरूरी है।इसलिए इन सभी उपकरणों का इस्तेमाल जरूर करें लेकिन सावधानी से ; क्योंकि स्वस्थ रहना आवश्यक है।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।
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