भारतीय योग साधना में ध्यान को सर्वाधिक महत्वपूर्ण सोपान माना गया है।ध्यान एक विलक्षण व समग्र प्रक्रिया है।वर्तमान समय में ध्यान- साधना के प्रभावों का अध्ययन व अनुसंधान विश्व के अनेक देशों में अपने - अपने ढंग से चल रहा है।
भारतीय ऋषि-मनीषियों ने प्राचीन काल में ही योग विज्ञान के माध्यम से मस्तिष्क की शक्ति को अभीष्ट दिशा में विकसित करने की सामर्थ्य विकसित कर ली थी।आधुनिक मनोवैज्ञानिक भी अब इस तथ्य को स्वीकारने लगे हैं ।जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक शोपेन हाॅवर ने मस्तिष्क की विद्युत तरंगों के नियमन एवं नियंत्रण के लिए ध्यान-साधना को अधिक महत्व दिया है।
हमारे मन में, हमारी भावनाओं में अनेक ऐसे कारण हैं जो भावनाओं में विक्षोभ और विचारों में द्वंद्व उत्पन्न करते रहते है,
और हमें अस्वस्थ बनाते रहते हैं ।ध्यान एक ऐसी चिकित्सा है---
जिसके द्वारा हम मन की कमी व कमजोरियों को दूर करते हैं।
ध्यान हमारे मन में एक चुंबकीय क्षेत्र ( मैग्नेटिक फील्ड) तैयार करता है।इसी चुंबकत्व के माध्यम से हम प्रकृति से, वातावरण से अपने अनुरूप चीजों को आकर्षित करते हैं ।ध्यान से हमारी नकारात्मता, सकारात्मकता में परिवर्तित होने लगती है।ध्यान हमारे व्यक्तित्व को पात्र बनाता है तथा हमारे अन्दर एक योग्यता, एक नई पात्रता विकसित करता है।
"नित ध्यान करें प्राणायाम करें
जीवन अपना चमकाएँ "
ध्यान के माध्यम से हम अपने विचारों व भावनाओं में गहन रूपांतरण अनुभव करते हैं।विलियम सीमैन के अनुसार ध्यान- साधना के नियमित अभ्यास से अंतःवृत्तियों एवं अंतःशक्तियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है और चिंतामुक्त हुआ जा सकता है।
फ्रैंक पैपैंटिन ने अपने अनुसंधान पत्र 'ध्यान और शुद्धिकरण' में लिखा है कि ध्यान- साधना का नियमित अभ्यास जीवनी शक्ति में वृद्धि करता है और रोगप्रतिरोधक शक्ति भी बढाता है।
चिकित्सा विज्ञान में आज ध्यान विद्या का उपयोग शारीरिक-मानसिक उपचार में सफलतापूर्वक किया जा रहा है ।कनाडा की मांट्रियल यूनिवर्सिटी के मूर्धन्य विज्ञान वेत्ता प्राध्यापक पियरे रेनविले के निर्देशन में जेन मेडिटेशन अर्थात ध्यान की बौद्ध पद्धति पर गहन अध्ययन व अनुसंधान किया गया और पाया कि ध्यान के अभ्यास से दर्द से परेशान लोगों की सहन शक्ति में अभिवृद्धि हुई व दर्द की अनुभूति का स्तर भी कम हो गया।यह निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए जोशुआ ग्रांट ( इस रिपोर्ट के सहलेखक) ने कहा कि यह तथ्य पहली बार उभरकर सामने आया है कि शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक दर्द को कम करने में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
बेलिंगटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक टाॅम जैराॅट कहते हैं कि ध्यानाभ्यासी साधक की शारीरिक क्रियाएँ सामान्य व सुचारु रूप से संपादित होने लगती हैं ।मूर्द्धन्य वैज्ञानिक डैविड डब्ल्यू आर्मे जॉन्सन के निष्कर्ष के अनुसार-- ध्यान साधना के अभ्यास द्वारा तंत्रिका- तंत्र के क्रियाकलापों में एक नई चेतना जाग्रत हो जाती है।
डेविड कोल्ब के अनुसार ध्यान के माध्यम से शरीर और मन के बीच अच्छा समन्वय, सतर्कता में वृद्धि, मतिमंदता में कमी और प्रत्यक्ष ज्ञान निष्पादनक्षमता तथा रिएक्शन टाइम में असामान्य रूप से वृद्धि होती है ।
अनुसंधानकर्ता योगविद्या के निष्णात कहते हैं कि ध्यान- साधना के अंतर्गत मस्तिष्क के नियोकाॅर्टेक्स वाले अति संवेदनशील क्षेत्र में एक विशिष्ट प्रकार की लयबद्धता उत्पन्न होती है ।ऐसी स्थिति में मानवीय मस्तिष्क का कार्य स्नायुकोषों के माध्यम से प्रकाश कंपनों को लयबद्ध स्पंदन ( रिद्मिक पल्सेसन) में परिवर्तित करने का होता है।
ध्यान मुद्रा में मस्तिष्क से निकलने वाली विशेष प्रकार की विद्युत तरंगों की आवृत्ति को औस्मिक फ्रिक्वेंसी कहा गया है , जो ब्रह्माण्डीय ऊर्जा को आकर्षित कर सकने की सामर्थ्य रखती है। विश्वप्रसिद्ध न्यूरोसाइकोलाॅजिस्ट कार्ल प्रिवाम ने इन फ्रिक्वेंसीज को मानव- जीवन को सुविकसित करने एवं देवतुल्य स्तर का बनाने के लिए अत्यंत उपयोगी बताया है।इसकी उपस्थिति को प्रामाणिकता की कसौटी पर कसने के लिए उन्होंने मस्तिष्क का 'होलोग्राफिक माॅडल' भी तैयार किया है।
कार्ल प्रिवाम कहते हैं कि मानसिक चेतना की यह विशेषता है कि वह स्थानीय सूचनाओं को एकत्रित करके समूचे ब्रह्मांड में बिखेर देती है।उनकी इस अभिनव मान्यता को 'होलोनोमी' के नाम से जाना जाता है ।प्रिवाम की इस नई तकनीक ने विश्व भर के भौतिकविदों को चिंतन की एक नई दिशाधारा दी है।
इन सभी अनुसंधानों के निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है कि "ध्यान साधना को आधुनिक चिकित्सा जगत में भी महत्वपूर्ण स्थान" प्राप्त है ।प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्रों में विभिन्न उपचारों के साथ ध्यान का अभ्यास भी कराया जाता है।
"मन की वीणा के तारों में अंतर्मन की झंकार को सुन"
विश्व ब्रह्मांड में "आनंद के कण" बिखरे हुए हैं---- ध्यान के माध्यम से मस्तिष्कीय शक्ति को जाग्रत करके उन आनंद के कणों को हम अपने अंदर आत्मसात् करके जीवन को सुखमय बना सकते हैं ।
"ध्यान एक चिकित्सा"
एक और अच्छे ब्लाग के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ,
ReplyDeleteआभारी हूं आपका निस्वार्थ हम सब के लिए इतनी अमूल्य जानकारी जुटा कर प्रस्तुत करती है आप ।
सादर अभिनन्दन आपका 🙏
पवित्रा दीदी प्रणाम आपके द्वारा ध्यान के विषय में ज्ञानवर्धक बातें आज के समय में अत्यंत आवश्यक है भौतिक वाद की इस दुनिया में आध्यात्मिक ध्यान योग भगवान की पूजा द्वारा इंसान अपने को सुखी सादा जीवन उच्च विचार जी सकता है आपके प्रासंगिक ब्लॉग पोस्ट के द्वारा
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