head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): भाषा की परिभाषा--" हिन्दी का उद्भव, हिन्दी की समृद्धता, विदेशों में व इंटरनेट पर हिन्दी का प्रयोग, 14 सितम्बर राष्ट्रभाषा दिवस व हिन्दी का उज्ज्वल भविष्य"

Friday, January 3, 2020

भाषा की परिभाषा--" हिन्दी का उद्भव, हिन्दी की समृद्धता, विदेशों में व इंटरनेट पर हिन्दी का प्रयोग, 14 सितम्बर राष्ट्रभाषा दिवस व हिन्दी का उज्ज्वल भविष्य"

   ●●●  भाषा की परिभाषा व हिंदी भाषा का उद्भव ●●●
भाषा शब्द संस्कृत के 'भाष' धातु से बना है, जिसका अर्थ है-- बोलकर या लिखकर भावों की अभिव्यक्ति करना।भाषा, भावों की अभिव्यक्ति का श्रेष्ठतम माध्यम है ।भाषा के माध्यम से ही हम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं ।भाषा के बिना विचारों का प्रकटीकरण संभव नहीं है।भाषा में निहित गुण, इन चार तथ्यों पर आधारित हैं -
● 1 भाषा एक शैली है - जिसमें कर्ता, कर्म, क्रिया आदि व्यवस्थित रूप में होते हैं ।
● 2  भाषा संकेतात्मक है।इससे जो ध्वनियाँ उच्चारित होती हैं, उनका किसी वस्तु या कार्य से सम्बन्ध होता है।
● 3 भाषा वाचिक ध्वनि संकेत है ।इसमें मानव अपनी जिह्वा के माध्यम से संकेतों का उच्चारण करता है।
● 4 भाषा यादृच्छिक संकेत है।प्रत्येक भाषा में किसी विशेष ध्वनि को किसी विशेष अर्थ का वाचक मान लिया जाता है।
                         हिंदी  में ये सभी विशेषताएँ हैं ।इसके अतिरिक्त भाषा विज्ञान की दृष्टि से हिंदी में अनेक विशेषताएँ भी हैं ।

हिंदी  भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है ।हिंदी  भाषा की लिपि देवनागरी है ।संस्कृत के अलावा हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जिसे जैसे लिखा जाता है, ठीक वैसा ही बोला जाता है ।किसी भाषा की समृद्धता व सरलता इसमें निहित है, कि उस भाषा के लिखने और बोलने में भिन्नता न हो।

                        हिंदी आधुनिक आर्ष भाषाओं में से एक है।आर्ष भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है।संस्कृत भाषा साहित्य की परिष्कृत भाषा थी।वैदिक संस्कृत में ही सभी वेद, संहिता, उपनिषद्, दर्शन आदि महान पौराणिक शास्त्रों का सृजन हुआ।

               हिंदी भाषा का उद्भव काल जानने के लिए भाषाओं के इतिहास पर दृष्टि डालें तब यह ज्ञात होता है, कि संस्कृत साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य है।संस्कृत पर आधारित बोल- चाल की भाषा कालांतर में परिवर्तित होकर 500 ई॰ पूर्व पाली के रूप में पहचानी गई।

पाली ईशा की प्रथम ईसवी तक रही ।पहली ईसवी तक यह और भी परिवर्तित हुई और 500  ईसवी तक उसे 'प्राकृत भाषा' की संज्ञा दी जाने लगी।कालांतर में प्राकृत भाषाओं के क्षेत्रीय रुपों से अपभ्रंश भाषाएँ प्रतिष्ठित हुईं ।इनका समय 500 ईसवी से 1000 ईसवी तक माना जाता है और इसी अपभ्रंश से ही "हिंदी भाषा" का प्रादुर्भाव हुआ । इसके बाद हिंदी में साहित्य रचना 1150 से प्रारम्भ हुई ।

                
            ●●● हिंदी भाषा की समृद्धता ●●●

               हिंदी एक समृद्ध भाषा है।भाषा विज्ञान की दृष्टि से हिंदी भाषाओं के आर्य वर्ग की एक भाषा है।वृजभाषा, अवधी, बुन्देलखण्डी आदि इसकी उपभाषाएँ हैं ।हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है और सम्पूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है।यह भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।हिंदी भाषा का इतिहास समृद्ध है और इसका व्याकरण अत्यन्त उन्नत है।यह अत्यन्त सरल, सहज एवं लोकप्रिय भाषा है।सन् 2015 के सर्वेक्षण के अनुसार यह दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।

          जिस प्रकार किसी वन-उपवन का सौन्दर्य उसके विविध प्रजाति के वृक्षों- पादपों एवं पुष्पों से होता है उसी प्रकार देश का सौन्दर्य उस देश की संस्कृति व भाषा के विविध रंगों से होता है ।
हिंदी हमारी भाषा है।अपनी भाषा में भावनाओं की अभिव्यक्ति सहज एवं सरल होती है।अपनी भाषा में आत्मीयता का बोध होता है और संवाद भी सहजता से स्थापित होता है ।भाषा हमारे देश की संपदा है अतः अपनी भाषा के प्रति श्रद्धा व दूसरों की भाषा के प्रति आदर का भाव होना चाहिए ।

हिंदी के अखिल भारतीय विस्तार में सर्वाधिक योगदान भक्ति आंदोलन व स्वाधीनता आंदोलन के भक्त कवियों और गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस जैसे लोकनायकों का भी है।हमें गर्व करना चाहिए कि हमारी हिंदी  भाषा की लोकप्रियता समस्त विश्व में बढ़ती जा रही है ।अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम, स्वाधीनता आंदोलन का आधार हिंदी भाषा थी।स्वतंत्र भारत में राम मनोहर लोहिया ने अंग्रेजी हटाओ- हिंदी लाओ के आंदोलन का सूत्रपात किया था।

         
हिंदी हमारी संस्कृति में रची- बसी है, रगों- रगों में घुली- मिली हुई है।यह एक विशाल समाज की भाषा है।बहुसंख्यक नागरिकों से संपर्क के लिए हिंदी अनिवार्य है ।इसीलिए अपने देश में एक स्विस कम्पनी हिंदी सिखाने का व्यवसाय कर रही है।

हिंदी कई राज्यों की भाषा है, जैसे -- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि।इन राज्यों का प्रशासनिक कार्य हिंदी के माध्यम से ही चलता है।इस सत्य के बावजूद लोगों का अंग्रेजी के प्रति आकर्षण कम होता नजर नहीं आता है।मैकाले जैसे चतुर चालाक कूटनीतिज्ञ ने बड़ी ही चतुराई से षडयंत्र करके अंग्रेजी को सभ्य एवं सम्मानित लोगों की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया।लेकिन अब हमारी हिंदी भाषा भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में अपनी पहचान बना रही है।

      ●●● विदेशों में व इंटरनेट पर हिंदी  का प्रयोग ●●●

                         अमेरिका के 50 विश्वविद्यालयों के साथ अन्य देशों में भी हिंदी को सम्मान के साथ पढाया जा रहा है।वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के 'डिपार्टमेंट ऑफ एशियन लेंग्वेज एंड लिटरेचर' में हिंदी साहित्य एवं भाषा के विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं ।जर्मनी के स्कूलों में तो हिंदी पढ़ाने को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जर्मन सरकार के साथ समझौता भी किया है।इसके अंतर्गत विदेश मंत्रालय आवश्यक पुस्तकें व शिक्षण-सामग्री भी उपलब्ध कराएगा

            हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का कार्य भारत के गिरमिटिया मजदूरों ने किया है, जिन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने अपने देश से ही विलग करके अन्य देशों में अपने कार्यों के लिए भेज दिया।नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान, कनाडा आदि के कुछ क्षेत्रों में व्यक्ति हिंदी बोलकर काम चला सकता है।

मॉरीशस में तो 'विश्व हिंदी सचिवालय' की स्थापना हुई है, जिसका उद्देश्य ही हिंदी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करना है।पड़ोसी देश चीन में इस समय कम से कम नौ विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।यूरोप के कई देश भी हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं यही कारण है कि टीवी पर विदेशी चैनल भी हिंदी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं ।

          इंटरनेट पर सन् 2000 में हिंदी का पहला वेब पोर्टल अस्तित्व में आया था और तब से इंटरनेट पर हिंदी का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है।गुगल के अनुसार इंटरनेट पर हिंदी साहित्य की खपत बढ़ती ही जा रही है।भारत में प्रचलित इंटरनेट पर अंग्रेजी की विषय सामग्री ( कंटेंट) 45% है तो हिंदी की विषय सामग्री ( कंटेंट) 55% है।इंटरनेट पर हिंदी उन सात भाषाओं में से एक भाषा है , जिसका प्रयोग वेब एड्रेस ( URL) बनाने के लिए किया जाता है ।

           ●●● 14 सितम्बर " हिंदी दिवस" ●●●

   14 सितम्बर को हमारे देश में "हिंदी दिवस" मनाया जाता है ; क्योंकि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा में सर्वसम्मति से हिंदी को राष्ट्र भाषा घोषित किया गया।इसे अनुच्छेद 343 के अंतर्गत देवनागरी लिपि में सन् 1950 में राष्ट्र भाषा का दरजा दिया गया।हिंदी दिवस पर देश में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी 
अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है ।वरिष्ठ राजनीतिज्ञ भी इन कार्यक्रमों में  उपस्थित रहते हैं ।
                 "हिन्दी दिवस" के माध्यम से हम सभी देशवासियों की यही कोशिश है कि हम अपनी मातृभाषा को सदा प्रथम स्थान पर रखें ।विश्व के अन्य देश भी अपनी भाषा को ही महत्व देते हैं ।जापान, चीन , कोरिया आदि बहुत से देश ऐसे हैं, जो अपनी भाषा के बल पर ही यूरोप व अमेरिका से कहीं अधिक विकसित हैं ।हमें भी अपनी हिंदी भाषा का महत्व समझना होगा।

           ●●● हिंदी का उज्ज्वल भविष्य ●●●

अपने देश में हिंदी, लगभग 36 करोड़ 60 लाख लोगों की मातृभाषा है ।सन् 2005 में विश्व के 160 देशों में हिंदी बोलने वालों की अनुमानित संख्या एक अरब , दस करोड़ तीस लाख थी।
भविष्य द्रष्टाओं का कहना है कि हिंदी को विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने से कोई नहीं रोक सकता ।वर्तमान प्रचलन को ध्यान में रखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सन् 2022 के बाद से हिंदी की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जाएगी और समस्त विश्व में 2036 के बाद यह विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो सकती है।
हम भारतवासियों को गर्व करना चाहिए कि हमारी भाषा हिंदी है, जिसकी लोकप्रियता समस्त विश्व में बढ़ती जा रही है ।

   हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है ।हिंदी समृद्ध भाषा है।हिंदी हमारा गौरव है।हमारी हिंदी भाषा

का भविष्य उज्जवल है ।

सादर अभिवादन व धन्यवाद ।

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