संसार में जितने भी खाद्य पदार्थ हैं, उन सभी में कुछ न कुछ स्वाद है ।स्वाद , रंग व आकार-प्रकार के आधार पर ही खाद्य पदार्थों की पहचान होती है ।भोजन में अगर स्वाद की बात की जाए तो उसमें मुख्य रूप से छः स्वाद ( षड् रस ) हैं ।ये षड् रस हैं-- मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा व कसैला ।
इन रसों से ही भोजन में स्वाद आता है , लेकिन इन स्वाद के रसों में से भी लोग प्रायः किसी एक रस को अधिक पसंद करने लगते हैं ।किसी को मीठा पसंद होता है, तो किसी को नमकीन स्वाद , किसी को खट्टा अधिक पसंद होता है तो किसी को तीखा।कम लोग ही ऐसे होते हैं, जो कड़वा व कसैला स्वाद पसन्द करते हैं ।
स्वादिष्ट भोजन सबको अच्छा लगता है ।विभिन्न खाद्य पदार्थों व फलों में ऐसा स्वाद होता है , जो याद रहता है, उसे याद करते ही मुँह में पानी भर आता है और उसे खाने का, उसका स्वाद फिर से लेने का मन करता है।भोजन अगर स्वादिष्ट है तो व्यक्ति उसे बड़े चाव से , पूरे मन से ग्रहण करता है लेकिन भोजन स्वादिष्ट नहीं है तो वह उसे बेमन से आधा-अधूरा ही खा पाता है।
<<<<< स्वाद कोशिकाएँ और उनका काम >>>>>>>
हमारे मुँह में करीब दस हजार स्वाद-कोशिकाएँ होती हैं ।ये अधिकतर छोटे उभारों के रूप में जीभ पर और उसके किनारों पर मौजूद होती हैं ।नमकीन व मीठे स्वाद की स्वाद-कोशिकाएँ जीभ के अग्रभाग में, खट्टे की जीभ के दोनों किनारों पर और कड़वे की जीभ के पिछले भाग पर होती हैं ।जब मुँह में खाने का टुकड़ा रखा जाता है तो उसमें मौजूद रसायन स्वाद-कोशिकाएँ को सचेतकर देते हैं व उनके माध्यम से स्वाद का संदेश मस्तिष्क तक पहुँचा देते हैं ।महिलाओं में स्वाद-कोशिकाएँ अधिक संख्या में होती हैं ।
●● मीठा स्वाद--------- मीठे पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा व पानी काफी मात्रा में होते हैं ।ये शरीर के सात प्रमुख घटक -- प्लाज्मा, रक्त, वसा , माँसपेशियों , हड्डियों, मज्जा और प्रजनन द्रव्य के निर्माण में उपयोगी हैं ।मीठे का स्वाद -- दूध, क्रीम, घी, साबुत अनाज , चावल, गेहूँ, पके फलों, सब्जियों जैसे-- गाजर, शकरकन्द आदि में घुला होता है ये खाद्य पदार्थ हमारे ऊतकों को पोषण प्रदान करते हैं, तंत्रिकाओं को शान्त कर मन अच्छा करते हैं ।ये त्वचा और बाल के विकास के लिए भी अच्छे होते हैं ।
मीठा भोजन ठंडा व भारी होता है तथा कफ बढ़ाता है ।ज्यादा मीठा खाने से जल्दी थकान , भारीपन, भूख कम लगना , अपच जैसी समस्याएँ हो सकती हैं ।अधिक मात्रा में मीठे का सेवन करने से शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है ।विशेषज्ञों के अनुसार-- अधिक शक्कर हाइपरटेंशन को जन्म देती है ।अधिक मीठा खाने और दाँतों की भलीप्रकार सफाई न करने से दाँतों को नुकसान होता है ।
●●● नमकीन स्वाद------- नमक हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण घटक है ।इसके बिना न खाने में स्वाद आता है और न ही शरीर ढंग से काम कर पाता है ।ऊतकों में चिकनाई बनाए रखने और पाचन तंत्र को सुचारु रखने के लिए भी नमक का प्रयोग आवश्यक है।यह तंत्रिका तंत्र , माँसपेशियों की गति और कोशिकाओं में पोषक तत्वों के परिवहन के लिए भी जरूरी है।आजकल कोल्ड स्टोरेज में रखे जाने वाले खाद्य पदार्थ, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ व फास्टफूड का सेवन बढ़ गया है , जिनमें सोडियम अधिक होता है, जो कि नमक का ही घटक है।
नमक आवश्यक है लेकिन आवश्यकता से अधिक नमक का सेवन हानिकारक भी हो सकता है।भोजन में नमक की अधिक मात्रा लेने से यह रक्तकोशिकाओं से नमी खींच लेता है , जिससे हाईब्रडप्रेशर का खतरा बढ़ जाता है ।खाने में अधिक नमक हो तो यह छोटी आँत से रक्त में मिलकर रक्त को खारा कर सकता है , जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं । अतः हम कह सकते हैं कि नमक जरूरी भी है लेकिन अत्यधिक नमक के नुकसान भी हैं ।
●●● खट्टा स्वाद---------- भोजन में खटाई का स्वाद मुँह में अनायास ही पानी ले आता है ।मीठे की तरह खटाई के भी लोग बहुत शौकीन होते हैं ।इमली, आँवला, अचार, नीबू, संतरा , दही, सिरका जैसी खट्टी चीजें लोगों को बहुत अच्छी लगती हैं ।खट्टा भोजन भूख बढ़ाता है और पाचक रसों का स्राव बढ़ाकर पाचनतंत्र को ठीक रखता है,ऊतकों को पोषण देता है और लवणों के अवशोषण में मदद करता है ।खट्टे खाद्य पदार्थ शरीर को ऊर्जा देते हैं और शरीर में अम्लता को बनाए रखते हैं ।इसके अतिरिक्त खट्टे खाद्य पदार्थ ऊतकों की सफाई भी करते हैं ।
जब लम्बी बीमारी के बाद मुँह का स्वाद बिगड़ जाता है तो खट्टा खाने से स्वाद-कोशिकाओं में नई जान आती है।खट्टा भोजन दिल के लिए भी अच्छा होता है।आँवला, नीबू, संतरा सभी लाभदायक हैं ।खट्टे खाद्य पदार्थ गर्मियों के ताप में आराम पहुँचाता है , इसलिए गर्मियों में खट्टा खाने की सलाह दी जाती है ।आयुर्वेद के अनुसार, जिनके शरीर में खून की कमी होती है , उन्हें खट्टा खाने का अधिक मन करता है लेकिन ज्यादा खट्टा खाने के भी नुकसान हैं ।ज्यादा मात्रा में खट्टा भोजन करने से शरीर शिथिल हो जाता है, इससे त्वचा रोग अधिक होते हैं ।खट्टे पदार्थों के अधिक सेवन से प्यास लगती है , एसिडिटी होने पर इससे नुकसान पहुँचता है और इसकी अधिकता पित्त व कफ बढ़ाती है।
●●● कड़वा स्वाद --------- कड़वा स्वाद भी लोगों को पसन्द होता है ।एक कहावत है -- अच्छी दवा का स्वाद कड़वा होता है।कड़वा स्वाद भले ही ज्यादातर लोगों को पसन्द नहीं होता लेकिन कड़वे स्वाद के भोजन में कई एमीनो एसिड , विटामिन और मिनरल होते हैं, जो दिमाग को तरोताजा करते हैं ।कड़वे खाद्य पदार्थ ऊतकों से विषैले पदार्थों को बाहर निकालते हैं ।इससे यकृत स्वस्थ रहता है।कड़वे खाद्य पदार्थों में मुख्य रूप से करेला, मैथी दाना, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल हैं ।
कड़वा भोजन अधिक मात्रा में एक साथ नहीं खाया जा सकता लेकिन इसकी थोड़ी मात्रा ही हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।कड़वा भोजन भी अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।स्वास्थ्य के लिए स्वाद सभी लाभदायक हैं लेकिन अत्यधिक मात्रा किसी भी स्वाद की न होकर संतुलन होना चाहिए ।
●●● तीखा स्वाद ---------- भोजन में स्वाद का तीखा होना भी लोगों को अच्छा लगता है ।इसलिए भोजन को तीखा बनाने के लिए कई तरह के मसालों का प्रयोग किया जाता है, जैसे-- काली मिर्च, सफेद गोल मिर्च, पिप्पली, सोंठ, लोंग, कश्मीरी मिर्च व हरी मिर्च आदि।ये मसाले शरीर के लिए सेहतमंद नुस्खे की तरह होते हैं ।
तीखे स्वाद ( मसाले ) रक्त को साफ करते हैं, प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाते हैं और शरीर में ऐंटीबाॅडी की मात्रा बढ़ाकर शरीर को बाहरी रोगाणुओं से बचाते हैं ।तीखा भोजन मांसपेशियों के दर्द को भी कम करता है।आयुर्वेद में त्रिकटु ( काली मिर्च, सोंठ , पिप्पली ) के सेवन का बहुत महत्व है, इससे सर्दी, जुकाम, कफ, खाँसी आदि में बहुत आराम मिलता है।
ज्यादा तीखा भोजन स्वाद-कोशिकाओंको नुकसान पहुँचाता है।प्याज, लहसुन, मिर्च आदि अधिक मात्रा में खाने से साँस की बदबू की समस्या बढ़ जाती है ।मसाले गरम होते हैं, ये शरीर के ताप को बढ़ा देते हैं, जिससे अनिद्रा की समस्या हो सकती है ।अधिक तीखा भोजन करने से एसिडिटी आदि की समस्या हो सकती है।
●●● कसैला स्वाद---------- कसैलापन भी भोजन का एक स्वाद है , जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।ज्यादातर कच्चे फल कसैले स्वाद के होते हैं, इसके अलावा कुछ फलों व सब्जियों में कसैलापन स्वभावतः होता है।उदाहरण के लिए आँवला, कैथ, कच्चा केला , अनार, जामुन आदि में भरपूर कसैलापन होता है।इसके अलावा नाशपाती, शलजम, भिंडी, तुलसी आदि का स्वाद भी कसैला होता है।
कसैला स्वाद हमारे शरीर से अधिक पसीना निकालने में लाभकारी है।ऐसा भोजन पानी का अवशोषण करके ऊतकों को ठोस बनाता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में कसैला भोजन भी नहीं करना चाहिए ।
<<<<<<< स्वादों में छिपा स्वस्थ जीवन का रहस्य >>>>>>>>
स्वाद का हमारी जीभ से ही नहीं, बल्कि हमारी सेहत से भी गहरा रिश्ता है ।हर तरह के स्वाद का हमारे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है ।उदाहरण के लिए, मीठा स्वाद मन अच्छा करता है, कड़वा स्वाद वजन कम करता है।खट्टा स्वाद दिमाग तेज करता है और तीखा स्वाद शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, इसलिए हमारे जीवन में हर स्वाद का स्थान व महत्व होता है।इन स्वादों को ग्रहण करने में मात्रा व संतुलन जरूरी है ।
हालाँकि स्वास्थ्य के लिए सभी स्वाद जरूरी है , लेकिन किसी एक स्वाद की अधिकता हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती है।अतः यदि हमें अपने स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ स्वाद में छिपे स्वस्थ जीवन के रहस्य को पाना है तो अपने सभी प्रकार के स्वादों में एक संतुलन लाना होगा , इनमें एक सामंजस्य स्थापित करना होगा और कभी-कभी अस्वाद भोजन करके उसमें छिपे स्वाद को भी ग्रहण करना होगा।
अस्वाद भोजन यानी ऐसा भोजन जिसे पकाने में नमक, शक्कर व अन्य मसालों का इस्तेमाल न किया गया हो । ऐसे भोजन में जो स्वाद होता है, वह प्राकृतिक होता है।ऐसा अस्वाद भोजन हमारे मन पर संयम करने में सहायक होने के साथ-साथ हमारी स्वाद की ग्रहणशीलता को भी बढ़ाता है।
सभी स्वादों में संतुलन बनाना अच्छे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।अतः बचपन से ही भोजन में सभी तरह के स्वादों का उचित संतुलन होना जरूरी है।
सादर अभिवादन व धन्यवाद ।