head> ज्ञान की गंगा / पवित्रा माहेश्वरी ( ज्ञान की कोई सीमा नहीं है ): 2015

Monday, August 24, 2015

ganesh vandana

पार्वती सुत तुम्हें प्रणाम
हे शिव नंदन तुम्हें प्रणाम
मस्तक पर सिंदूरी शोभा
गल मणियों की माल की शोभा
करते शुरू तुमसे सब काम
हे शिव नंदन तुम्हें प्रणाम
हे गजबदन चतुर्भुज धारी
करते तुम मूषक की सवारी
संत तुम्हें पूजें सुबह शाम
हे शिव नंदन तुम्हें प्रणाम